हाथरस मामले में योगी आदित्यनाथ ने एक ही फैसले से विपक्षियों को चित कर दिया
हाथरस का केस (Hathras case) एक बहुत बड़ा रहस्य है. पीड़ित पक्ष का कहना है की पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ है बर्बरता हुयी है तो वहीं आरोपी के परिवारजनों का कहना है कि उनको फंसाने का काम किया जा रहा है. इस बीच विपक्ष ने अपनी सियासत तेज की तो योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने केस सीबीआई को सौंपकर अपना पल्ला झाड़ लिया है.
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उत्तर प्रदेश का हाथरस मामला (Hathras Gangrape) जिस तरीके से पूरे देश में फैल गया उसका अंत भी कुछ वैसा ही हुआ है. यह घटना ऐसी है कि जिसमें अब तक स्थिति ही नहीं साफ हो सकी है कि आखिर हुआ क्या था. घटना के दो पहलू हैं और दम भी दोनों में है. घटना धीरे धीरे इतनी बड़ी हो गयी की राहुल गांधी (Rahul Gandhi) दिल्ली से एक बार नहीं दो बार दौड़े हाथरस के लिए, आमतौर पर ऐसा नहीं होता है. ख़ैर राहुल गांधी ने पीड़ित पक्ष से मुलाकात की तो लगा मामला योगी सरकार (Yogi Adityanath Government) के हाथ से निकल रहा है. योगी सरकार चारों ओर से घिर रही थी. योगी की पुलिस की भूमिका और उसके कामकाज को लेकर सवाल दागे जा रहे थे. पुलिस बैकफुट पर आ गई थी. देश भर में हाथरस मामले की ही की चर्चा थी. राहुल गांधी मुलाकात करके अभी दिल्ली भी न पहुंचे रहे होंगे की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपना पासा फेंक दिया और पूरे घटना की जांच भरोसेमंद एजेंसी सीबीआई (CBI) को सौंप दी और अपनी इसी रणनीति से वह एक बार फिर चर्चा में आ गए. जानकार मानते हैं कि इस फैसले से योगी आदित्यनाथ और मज़बूत हो गए हैं और लोगों में उनका भरोसा और बढ़ गया है.
मामले के दो पहलू हैं दोनों पर बात करना ज़रूरी है और उसके बाद की सियासत का भी ज़िक्र ज़रूर होना चाहिए इसलिए बहुत कम शब्दों में उसकी बात करते हैं.
हाथरस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के मुंह पर तमाचा जड़ा है
पहला पहलू :
घटना घटने के बाद की तस्वीर है, पीड़िता की मां ने थाने में जानकारी दी कि उनकी बेटी को मारा गया है, पुरानी रंजिश है आरोपी से जिसके चलते मारपीट हुयी है. पुलिस के पास अब भी ये रिकार्ड मौजूद है.
दूसरा पहलू :
परिवार वालों ने अस्पताल में आरोप लगाया की उनकी बेटी के साथ गैंगरेप हुआ है दोषी भी एक नहीं चार थे. उनकी बेटी के साथ सामुहिक बालात्कार हुआ है और उसकी ज़बान को कांट दिया गया है, खींचने के कारण लड़की की हड्डी तक टूट गई है.
पीड़िता बेहोश थी 9 दिन तक, जब उसे होश आया तो उसने खुद के साथ रेप होने की बात कही. हालांकि उसके ज़बान में चोंट ज़रूर थी लेकिन वह कांटी नहीं गई थी.पूरे मामले ने तूल तब पकड़ा जब चद्रंशेखर आज़ाद दिल्ली स्थित अस्पताल पहुंच गएं और वहां हंगामा किया इस बच्ची के साथ ज़्यादती के लिए. लड़की की मौत हो जाने के बाद ये पूरा मामला सुर्खियों में छा गया. देश की चोटी की मीडिया सस्ंथान भी इस बच्ची के साथ खड़े हो गए. बच्ची का शव पोस्टमार्टम कराया गया और इसके बाद हाथरस ले जाया गया. जहां फिर एक घटना घटी लड़की के अंतिम संस्कार को लेकर.
पुलिस का कहना था कि लाश खराब हो रही थी जिसके बारे में पीड़िता के घरवालों को बताया गया और रात में ही अंतिम संस्कार करने की अनुमति ले ली गई, पीड़िता के पिता और चाचा की सहमति के साथ ही अंतिम संस्कार किया गया. जबकि पीड़ित पक्ष का कहना है कि कोई भी राज़ी नहीं था उनके परिवार के सभी सदस्यों को घर में ही कैद कर दिया गया था और जबरन अंतिम संस्कार किया गया था. अभी तक इसकी सच्चाई सामने नहीं आ सकी है. ये एक रहस्य बन गया है.
पुलिस के अंतिम संस्कार के बाद देश भर में उबाल आ गया. उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी इसको लेकर राजनीति होने लगी. प्रदेश की योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाने लगा. कई विपक्षी दल के नेता हाथरस जाने का प्रयास करने लगे जिनको जबरन रोक दिया गया. एसआईटी का गठन किया गया प्रारम्भिक जांच शुरू की गई लेकिन मीडिया को गांव में जाने से रोक दिया गया. क्यों रोक दिया गया इसकी कोई पुख्ता जानकारी किसी को भी नहीं थी.
ये झ़ूठ और बयानों के खेल को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने एक लंबी लिस्ट निकाल दी नार्को टेस्ट कराने की. जिसमें आरोपी, पीड़ित पक्ष के परिवारजन और पुलिसवाले भी मौजूद हैं.ख़ैर मीडिया के गांव के अंदर जाने के बाद जो स्थिति नज़र आई वह अचंभित कर देने वाली थी. पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहा था वह पुलिस पर भी इल्ज़ाम लगा रहा था. लेकिन हैरानी तब हुयी जब वह नार्को टेस्ट और सीबीआई जांच से इंकार करने लगा.
आखिर इंसाफ के लिए सीबीआई से अच्छा रास्ता कौन हो सकता था लेकिन पीड़ित पक्ष का इससे कतराना नए सवालों को जन्म देता है. उधर गांव में ही स्वर्ण समाज एकजुट होकर इनके खिलाफ लामबंद हो गया है. उनका सीधा कहना है कि उनके जाति के बच्चों को फंसाया जा रहा है. जो लोग जातिवाद खत्म हो जाने का नारा देते हैं उन्हें एक बार हाथरस के इस गांव की यात्रा ज़रूर करनी चाहिए जहां ऐसे कई बयान आए हैं जो बताता है जातिवाद कितनी बड़ी समस्या पैदा कर सकता है.
विपक्ष का आरोप है कि सरकार कुछ बहुत बड़ा छिपा रही है वह आरोपियों के साथ खड़ी नज़र आ रही है तमाम विपक्षी दल के होहल्ला के बीच योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई को जांच सौंप दी है जिसके बाद अब विपक्षी दलों के पास इस मामले में क्रेडिट बटोर पाने के लिए ज़्यादा कुछ बचा नहीं है. जहां योगी इस पूरे मामले पर घिरे हुए थे उनके एक ही फैसले से उन्होंने पलटी हुयी बाजी अपने नाम कर ली है. अब उम्मीद है कि सीबीआई ही इस पूरे मामले की तस्वीर साफ करेगी.
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