जानिए भारत में क्यों है बिजली संकट?
देश में चढ़ते पारे (Heat) के साथ ही हर बार की तरह इस बार भी बिजली संकट (Power Crisis) गहराता जा रहा है. लेकिन, इस बार का ये संकट हर बार से ज्यादा गंभीर माना जा रहा है. क्योंकि, कोयले की कमी के चलते कई पावर प्लांट बंद होने की कगार पर हैं.
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देश में बढ़ती गर्मी के साथ ही हर बार की तरह इस बार भी बिजली संकट बढ़ता जा रहा है. लेकिन, इस बार का ये संकट हर बार से ज्यादा गंभीर माना जा रहा है. देश के अधिकतर राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली और आंध्र प्रदेश में हर दिन के साथ बिजली संकट गहराता जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने, तो भारत में पिछले हफ्ते 623 मिलियन यूनिट बिजली की शॉर्टेज हुई है. जबकि, मांग हर दिन बढ़ती जा रही है. POCOSO.in से मिले आंकड़े के अनुसार, इस साल मार्च के महीने में देश में कुल 131375 मिलियन यूनिट बिजली की मांग थी. जबकि, पिछले साल मार्च में ही मांग 120579 मिलियन यूनिट की ही थी.
देश में कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट की यह स्थिति बनी है.
कोयला बना संकट की वजह
दरअसल, देश में कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट की यह स्थिति बनी है. देश में 70 फीसदी बिजली कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स से ही बनाई जाती है. ऐसे पावर प्लांट्स की बिजली बनाने की क्षमता फिलहाल 204080 मेगावॉट है. यह कुल बिजली उत्पादन का 51.1 प्रतिशत है. नेशनल पावर पोर्टल के अनुसार, देश में 108 पावर प्लांट क्रिटिकल स्टेज में हैं. जहां निर्धारित मात्रा से 25 फीसदी से भी कम कोयला बचा हुआ है.
No of plants having critcal stock (*)
Plants based on domestic coal - 88
Plants designed on imported coal - 12
Plants currently not in operation - 8
राज्यों में गंभीर हुए हालत
अगर राज्यों की बात की जाए, तो हरियाणा में दो, पंजाब में दो, राजस्थान में सात, उत्तर प्रदेश में तीन, गुजरात में दो, मध्यप्रदेश में तीन, महाराष्ट्र में सात, आंध्रप्रदेश में तीन, कर्नाटक में तीन, तमिलनाडु में चार, तमिलनाडु में दो और झारखंड में एक पश्चिम बंगाल में छह पावर प्लांट क्रिटिकल स्टेज में हैं. दिल्ली सरकार के अनुसार, दादरी-2 पावर प्लांट में सिर्फ एक दिन का कोयला स्टॉक बचा है. ऊंचाहार पावर प्लांट में दो दिन का स्टॉक है. कहलगांव में साढ़े तीन दिन का स्टॉक बचा है. फरक्का के पास पांच दिन का स्टॉक है. जबकि, झज्जर (अरावली) के पास सात से आठ दिन का स्टॉक बचा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध भी बना वजह
पावर प्लांट में कोयले की कमी होने की एक वजह ये है कि रूस-यूक्रेन जंग के चलते कोयले के दाम में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में सरकार ने रूस और दूसरे देशों से कोयले की आपूर्ति कम की है. जिसके चलते इस साल कोयले के कुल आयात में कमी हुई है. गैस की कीमतों में बढ़ोतरी को भी बिजली की किल्लत के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है.
राज्यों में बिजली की कमी
posoco के अनुसार, कई राज्य बिजली की व्यापक कमी से जूझ रहें हैं. इसमें सबसे अधिक ख़राब स्थिति राजस्थान की है. जहां 28 अप्रैल के दिन 43.59 मिलियन यूनिट की कमी थी. इसी तरह हरियाणा में 33.72, पंजाब में 30.65, उत्तरप्रदेश में 29.52, बिहार में 16, मध्यप्रदेश में 13.72 मिलियन यूनिट की कमी थी.
रेलवे ने कैंसिल की ट्रेनें
रेलवे ने कोयले की सप्लाई तेज करने के लिए कई ट्रेनों को कैंसिल कर दिया है. रेलवे ने अगले 1 महीने के लिए कुछ गाड़ियों को रद्द करने का निर्णय लिया है. 24 मई 2022 तक 670 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द किया गया है. इसमें से 500 से ज्यादा ट्रेनें लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें हैं. जबकि, मालगाड़ियों की औसत संख्या बढ़ा दी गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रेलवे ने कोयले की ढुलाई के लिए हर रोज 415 मालगाड़ियां मुहैया कराने का निर्णय लिया है. इससे कोयले की मांग को पूरा किया जा सकेगा.
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