देखिये कैसे एक दूसरे को घसीट रहे हैं यूपी की कुर्सी के तीन दावेदार
जिस दिन यूपी में पहले चरण के वोट डाले जाने हैं और ठीक उसी दिन राहुल गांधी और अखिलेश यादव बनारस में रोड शो करने जा रहे हैं. बनारस यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र.
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जिस दिन यूपी में पहले चरण के वोट डाले जाने हैं और ठीक उसी दिन राहुल गांधी और अखिलेश यादव बनारस में रोड शो करने जा रहे हैं. बनारस यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र. इससे पहले सोनिया गांधी ने बनारस में रोड शो किया था लेकिन तबीयत खराब हो जाने के चलते उन्हें बाकी कार्यक्रम रद्द करने पड़े. सोनिया के बनारस फिर जाने की बात हुई लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका.
11 फरवरी को पहले चरण में पश्चिम यूपी के तमाम इलाकों में मतदान होने हैं और फिलहाल मुख्यमंत्री की कुर्सी के तीन दावेदारों के नेता मैदान में डटे हुए हैं. सभी अपने अपने तरीके से दूसरों को टारगेट कर रहे हैं.
करण-अर्जुन!
समाजवादी कांग्रेस गठबंधन को लेकर इलाहाबाद में एक कांग्रेस नेता की ओर से पोस्टर लगाये गये हैं. फिल्म करण-अर्जुन की तरह बने इस पोस्टर में राहुल गांधी और अखिलेश के साथ साथ सोनिया गांधी की भी तस्वीर लगी है.
पोस्टर पर लिखा है - 'मेरे करन-अर्जुन यूपी जीत के आएंगे, फिर से वही विकास लाएंगे'.
इलाहाबाद में लगा पोस्टर
गोरखपुर में भी ऐसा ही एक पोस्टर चर्चा में है. इस पोस्टर में अखिलेश और राहुल एक ही साइकिल पर साथ दिखाये गए हैं. साथ ही, पोस्टर में
सोनिया गांधी, मुलायम सिंह यादव, प्रियंका गांधी और डिंपल यादव की भी तस्वीरें लगी हैं. इस पोस्टर पर लिखा है - 'मेरे करन-अर्जुन बीजेपी बीएसपी को हराएंगे'.
गोरखपुर में लगा पोस्टर
अपने चुनावी अभियान 'यूपी को ये साथ पसंद है' को लेकर अखिलेश यादव समझाते हैं, "जब नौजवान खुश होते हैं और आजादी महसूस करते हैं तो साइकल का हैंडल छोड़ कर चलाने लगते हैं. इस बार हैंडल पर कांग्रेस का हाथ. हमारी जीत पक्की है."
आगरा के रोड शो में भी दोनों का ऐसा ही अंदाज रहता है, राहुल और अखिलेश दोनों साथ साथ मुस्कुराते हुए जताने की कोशिश करते हैं कि गठबंधन कितना मजबूत है.
पलायन की बातें!
मुख्यमंत्री के मुजफ्फरनगर पहुंचने के पहले ही दंगों की चर्चा छिड़ जाती है और लोगों के जख्म कुरेदने की कवायद शुरू हो जाती है. मथुरा में बीजेपी प्रवक्ता मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आयी तो कैराना और शामली के मामलों की फिर से जांच करायी जाएगी.
अखिलेश की कुर्सी संभालने के साल भर बाद 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों में 65 लोग मारे गये थे. बीजेपी के साथ साथ मायावती भी इस मसले पर समाजवादी पार्टी की सरकार पर हमलावर हो जाती हैं.
ये ऐसा मुद्दा है कि अखिलेश यादव को बचाव की मुद्रा में ला देता है. हालांकि, अखिलेश इसको लेकर बीजेपी पर जवाबी हमले की रणनीति अपनाते हैं. बुढाना की रैली में अखिलेश यादव कहते हैं, "बीजेपी कहती है कि वह पलायन पर एक टास्क फोर्स बनाएगी. मैं उन्हें सलाह दूंगा कि जरा मजबूत टास्क फोर्स बनाना ताकि अगर कोई बड़ा नेता पलायन कर गुजरात से उत्तर प्रदेश आया हो और फिर दिल्ली चला गया हो, तो उसका भी पता चल जाए."
फिर प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट करते हुए अखिलेश पूछते हैं, "आपके सबसे बड़े नेता ने पलायन क्यों किया, मुझे बताएं?" अखिलेश का आशय मोदी के गुजरात से आकर बनारस से चुनाव लड़ने को लेकर है.
यूपी के लड़के...
अखिलेश की रैली के अगले दिन मायावती मुजफ्फरनगर पहुंचती हैं और लोगों को बताती हैं कि किस तरह समाजवादी पार्टी की सरकार में यूपी में गुंडाराज फैला रहा. मायावती आरोप लगाती हैं कि इस दौरान राज्य में 500 से ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए.
फिर मायावती समझाती हैं कि क्यों लोगों को समाजवादी पार्टी को वोट नहीं देने चाहिये - क्योंकि सिर्फ वही बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकती हैं. इसके लिए वो गठबंधन से लेकर कई बातों का जिक्र करती हैं.
"दंगों का हिसाब दो..."
मायावती कहती हैं, "सपा को वोट ना देकर बसपा को वोट दें, बसपा का वोट बेस मजबूत है. इसमें अल्पसंख्यक वोट जुड़ जाने से भाजपा काबिज नहीं हो सकती."
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह रोड शो के लिए मेरठ पहुंचते हैं तो कहते हैं, "कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन प्रदेश को लूटने के लिए किया गया. एक ने अब तक प्रदेश को लूटा और दूसरे ने देश को, दोनों शहजादों ने यूपी को नुकसान पहुंचाया."
"अब तक लूटते रहे, आगे मिल कर लूटेंगे"
अमित शाह अपना रोड शो रद्द कर देते हैं क्योंकि शहर में एक व्यापारी की हत्या हो गई रहती है. इसी बहाने शाह अखिलेश सरकार में कानून व्यवस्था पर चोट करते हैं.
देखना होगा बनारस में करण-अर्जुन की जोड़ी मोदी को कैसे घेरती है? क्योंकि गंगा मैया के बुलावे का हवाला देकर मोदी तो पहले ही साफ कर चुके हैं कि वो बनारस पलायन कर नहीं पहुंचे थे.
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