एक हाथ में कुरान दूजे में बम, पाकिस्तान में कट्टरपंथियों से इससे ज्यादा की उम्मीद क्या ही करें!
आर्थिक संकट से उभरने का जो रास्ता तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान पार्टी के नेता साद रिजवी ने सुझाया दरअसल वही पाकिस्तान की समस्या है. पाकिस्तान दुनिया भर में इसी लिए मुंह की खा रहा है क्योंकि उसके नेता साद रिज़वी जैसे लोग हैं जिन्हें रोटी, रोजगार की नहीं जिहाद, जन्नत और हूरों की फ़िक्र है. गर्त के अंधेरों में जाने के बावजूद पाकिस्तान का ढीठ रवैया हैरान तो बिलकुल नहीं करता है.
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जाहिलियत के ऊपर जब कट्टरपंथ की परत चढ़ती है तो कैसा कॉम्बो तैयार होता है? इसे अगर समझना हो तो पाकिस्तान चलिए और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी के प्रमुख साद रिजवी की बातें सुनिए. जिन्होंने कहा है कि पूरी दुनिया के सामने गिड़गिड़ाने, भीख के लिए झोली फैलाने से अच्छा था कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सरकार अलग अलग देशों के पास परमाणु बॉम्ब के साथ जाना चाहिए और पैसों की डिमांड करनी चाहिए. साद के कहे अनुसार जब परमाणु बॉम्ब से लैस होकर पाकिस्तान भिन्न राष्ट्रों के पास जाएगा तो लोग दहशत में आ जाएंगे और तब उसे किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना होगा.
तहरीक ए लब्बैक पार्टी के मुखिया ने एक बार फिर पाकिस्तान का असली चेहरा दुनिया को दिखा दिया है
लाहौर में आयोजित एक रैली में साद ने तमाम मुद्दों पर जहर उगला है. और स्वीडन और नीदरलैंड में कुरान जलाने के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी है. साद और तहरीक-ए- लब्बैकपाकिस्तान पार्टी का मानना है कि स्वीडन और नीदरलैंड में कुरान जैसे अहम मसले पर पाकिस्तान की हुकूमत ने अपनी कमजोर प्रतिक्रिया दी है और एक मुल्क के रूप में पाकिस्तान उन्हें सबक सिखाने में नाकाम रहा है.
साद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल में लगी आग की तरह वायरल हुआ है. वीडियो में साद ने बात तो पाकिस्तान के आर्थिक संकट पर की है लेकिन उससे निपटने का जो रास्ता उसने सुझाया है दरअसल वही एक मुल्क के रूप में पाकिस्तान की समस्या है. कह सकते हैं कि भले ही आज पाकिस्तान हाथों में भीख का कटोरा लेकर दर दर की ठोकरें खा रहा है लेकिन मुल्क को गर्त के अंधेरों में ले जा चुके कटटरपंथियों को इससे कोई मतलब नहीं है. उन्हें पेट्रोल-डीजल, खाने के लिए रोटी, स्वास्थ्य और शिक्षा नहीं चाहिए. उनकी नजर जिहाद का रास्ता अपनाकर जन्नत और वहां हूरें पाने में है.
Tehreek-e-Labbaik Pakistan leader on #PakEconomicCrisis and Turkey-Sweden #Quran controversy ?:'Hold Quraan in Right Hand & Atom Bomb suitcase in Left Hand...go to Sweden... Tell them we have come here to protect Quran...All the boons/blessings of this world will come to you' pic.twitter.com/JHamiUBwBY
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) February 4, 2023
कैसे पाकिस्तान की बदहाली के लिए साद जैसे लोग जिम्मेदार हैं इसपर चर्चा होगी लेकिन आइये उससे पहले ये जान लें कि आखिर लाहौर की रैली में साद ने बोला क्या है. जैसा कि वायरल वीडियो में दिख रहा है. स्वीडन और नीदरलैंड में कुरान जलाने के मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए साद ने कहा है कि पाकिस्तान की हुकूमत प्रधानमंत्री, उनके पूरे मंत्रिमंडल और सेना प्रमुख को दूसरे देशों में आर्थिक सहायता की भीख मांगने के लिए भेज रही है… मैं पूछता हूं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? उन्होंने (हुकूमत ने) कहा कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था खतरे में है... इसके बजाय मैं उन्हें सलाह देता हूं कि एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में एटम बम का सूटकेस लेकर कैबिनेट स्वीडन जाए और कहे कि हम कुरान की सुरक्षा के लिए आए हैं. अगर यह पूरी कायनात आपके पैरों के नीचे नहीं आती है, तो आप मेरा नाम बदल सकते हैं.
अपने भाषण में तहरीक ए लब्बैक प्रमुख साद रिजवी ने ये भी कहा कि सरकार को राष्ट्रों के साथ चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है और पाकिस्तान उन्हें धमकियों के माध्यम से मजबूर कर सकता है.
ध्यान रहे कि गुजरे महीने स्टॉकहोम में स्वीडन के प्रयासों के बलबूते तुर्की को नाटो में शामिल किये जाने के खिलाफ खूब विरोध हुआ था जिसके परिणामस्वरूप कुरान की प्रति को जलाया गया था. डेनिश दक्षिणपंथी राजनीतिक दल हार्ड लाइन के नेता रैसमस पलुदान ने स्टॉकहोम में तुर्की के दूतावास के सामने कुरान की प्रति जलाई थी और अपना विरोध प्रकट किया था.
स्टॉकहोम की घटना के बाद कुछ ऐसा ही नजारा नीदरलैंड में भी देखने को मिला था जहां इस्लाम विरोधी चरमपंथी समूह पेगिडा के नेता एडविन वेगेन्सफेल्ड ने भी कुरान के पृष्ठों को फाड़ा था. मामला क्योंकि कुरान से जुड़ा था तमाम मुस्लिम मुल्क एकजुट हुए थे और सख्त प्रतिक्रिया दी थी.
कौन हैं साद रिजवी
जैसा कि हम बता चुके हैं साद रिजवी पाकिस्तान के कटटरपंथी संगठन तहरीक ए लब्बैक का प्रमुख है और ये संगठन वही संगठन जो लगातार पाकिस्तान में अहमदिया और शिया मुसलमानों पर जुल्म कर रहा है, इनका मानना है कि चाहे वो शिया समुदाय हो या फिर अहमदिया दोनों ही इस्लाम का हिस्सा नहीं हैं और काफिर हैं. अहमदिया मुसलमानों और शियों के प्रति तहरीक ए लब्बैक में नफरत किस हद तक भरी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी बीते दिनों ही इन्होने पूर्व की तरह कराची में अहमदिया मुसलमानों की मस्जिद को अपना निशाना बनाया है.
Sunni Muslims in Pak breaking mosque of minority Ahmadiyya Muslims in Karachi.In 1947 Ahmadiyya Muslims left India to became part of Pakistan but now they are not considered even human beings by majority Sunnis pic.twitter.com/CMKIj59K3X
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) February 3, 2023
बताते चलें कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान को पहले पाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन 2021 में, पार्टी के सदस्यों ने पूर्व पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान पर दबाव बनाया जिसके बाद इनके प्रमुख नेता को पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से आजाद किया गया. संगठन का पाकिस्तान पर कैसा प्रभाव है इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब इनके मुखिया खादिम हुसैन रिज़वी को गिरफ्तार किया गया था तो पाकिस्तान में उग्र प्रदर्शन हुए थे.
बहरहाल विषय साद रिज़वी की एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में परमाणु बॉम्ब की बातें और आर्थिक संकट है. इसलिए हम बस यही कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि अब भी वक़्त है. होश रहते पाकिस्तान संभल जाए और वहां की आवाम इस बात को पहचाने की साद रिजवी जैसे लोग इनके लिए किसी नासूर से कम नहीं हैं. ये इनकी विचारधारा है जो तेजी से आगे बढ़ती दुनिया के बीच पाकिस्तान को दशकों पीछे ले जा रही है.
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