कितना महत्वपूर्ण है अबु धाबी के प्रिंस का रिपब्लिक डे पर चीफ गेस्ट होना
830 मीटर ऊंचाई तक मेरे भारत की आन-बान-शान वैसे ही लहराएगी जैसे सियाचीन का हाईएस्ट पॉइंट हो या थार की आखिरी चौकी. मतलब 68वें गणतंत्र दिवस पर 12 गुना खुशी.
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ये हमारी विरासत की एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस, 'चीफ गैस्ट' जरूर बुलाते हैं.
अब सोचिये जरा, दुनिया का सबसे ऊंचा टॉवर 'बुर्ज़ खलीफ़ा' हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में कल नहाया और आज भी नहायेगा.
मतलब 830 मीटर ऊंचाई तक मेरे भारत की आन-बान-शान वैसे ही लहराएगी जैसे सियाचीन के सबसे ऊंचे पॉइंट हों या थार की आखिरी चौकी. मतलब 68वें गणतंत्र दिवस पर 12 गुना खुशी (अब 830/68 = 12.20)...तो हिसाब सही लगाया न..
और इससे भी बड़ी बात ये कि 14 एग्रीमेंट्स भी आखिर अपने भारत की झोली में आए. यूएई हमारा तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और छठा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर.
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प्रधानमंत्री मोदी 34 सालों बाद भारत के प्रधानमंत्री की हैसियत से यूएई सरकार के अगस्त 2015 में दो दिन के मेहमान बने और खींच लाए थे ढ़ेर सारा इन्वेस्टमेंट (लगभग 4.5 लाख करोड़).
20 लाख 60 हज़ार भारतीयों की आबादी वाले देश से आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते मज़बूत करना और तो और वहां दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्ज़िद (शेख़ ज़ायद ग्रांड मॉस्क) में जाने का गौरव, और यूएई सरकार का 'मंदिर के लिए भूमि आवंटित करना'.
आखिर बनता है अबू धाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाहयान का इस 'पावर पैक्ड थ्री डे ऑफीशियल विज़िट' पर हमारी सैन्य शक्तियों का सुंदर, मनोरम प्रदर्शन 'स्पेशल गैस्ट वाली सीट' पर बैठकर देखना.
वैसे, दुनिया देख तो रही होगी हमारे राष्ट्रीय ध्वज को को इतनी ऊंची इमारत की शोभा बढ़ाते हुए.
तो गणतंत्र दिवस के इस दिन को अभिमान से मनाइए
...जय हिंद!! जय भारत!!! वंदे मातरम्...!!!
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