छह महीने में कैसे किम जांग उन ने दुनिया का नजरिया बदल दिया
जिस किम जांग उन को कुछ महीने पहले तक पूरी दुनिया मानवता के लिए खतरा मान रही थी, आज उसी के गुणगान किए जा रहे हैं. देखिए इस नेता ने कैसे अपने बारे में लोगों का नजरिया बदला और क्यों अब भी हालात चिंता से बाहर नहीं हैं.
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तानाशाह, सनकी, हत्यारा और दुनिया की शांति का दुश्मन. जी हां, कुछ महीने पहले तक उत्तर कोरिया के किम जोंग उन के लिए दुनिया भर में कुछ इसी तरह की उपमाएं दी जाती रहीं. लेकिन मंगलवार को अचानक सब बदल गया. सिंगापुर के सैंटोसा द्वीप पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ किम की चहल-कदमी को दुनिया ने सिर-आंखों पर लिया. पर इस जोड़ी से कितनी उम्मीद की जा सकती है ? और कब तक की जा सकती है ?
एक नजर मानवता के खिलाफ किम के अपराधों पर:
- अंतर्राष्ट्रीय बार एसोसिएशन वॉर क्राइम कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक किम 11 अपराधों के सीधे दोषी हैं. इनमें हत्या, नरसंहार, गुलाम बनाकर रखना, पलायन को मजबूर करना, जबरन कैद, यातना देना, यौन हिंसा, नस्लभेद वाली हिंसा, अपहरण और दूसरे अमानवीय कृत्य शामिल हैं.
- गवाहों ने इस समिति को बताया है कि किस तरह उत्तर कोरिया में विरोधियों के नवजात बच्चों को कुत्तों के सामने फेंका गया. भूखे कैदियों को पौधे खा लेने पर गोली मारी गई और ईसाइयों और दूसरे धर्मावलंबियों को ढूंढकर यातना दी गई.
किम के अपराधों को जगजाहिर करने वाली यह रिपोर्ट दिसंबर 2017 में ही प्रकाशित हुई थी. इस रिपोर्ट से पता चला कि उत्तर कोरिया के भीतर कुछ स्थान ऐसे हैं जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी के नाजी कैंपों में थे. जहां यहूदियों को यातना दे देकर मारा गया. लेकिन छह महीने के भीतर ही सबकुछ बदल गया.
आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने किम को दुनिया के सबसे बर्बर राष्ट्राध्यक्ष से बदलकर एक ऐसा शख्स बना दिया, जिसकी तरफ दुनिया उम्मीद भरी नजरों से देख रही है. दरअसल, जनवरी 2018 में किम ने फैसला किया कि वे अपनी टीम को दक्षिण कोरिया के प्योंगचेंग शहर में हो रहे विंटर ओलंपिक में हिस्सा लेने भेजेंगे. कई वर्षों के तनाव, युद्धाभ्यास, मिसाइल प्रक्षेपण और परमाणु परीक्षण के बाद किम का ये उदार कदम दुनिया के लिए चौंकाने वाला था. और फिर क्या था, वे एक के बाद ऐसे ही फैसले लेते गए और दुनिया को चौंकाते गए.
दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स का यूं साथ मिले, तो सारे गुनाह यूं ही माफ हो जाते हैं.
सिंगापुर में पत्रकारों ने ट्रंप को किम के पुराने अपराध याद दिलाए, तो उन्होंने उसका गोलमोल जवाब दे दिया. और उनके यही जवाब इशारा कर रहे हैं कि किम के लिए आगे का सफर तब तक ही रूमानी है, जब तक वह अंतर्राष्ट्रीय दबाव की राजनीति में उपयोगी हैं. फिर चाहे यह स्वार्थ अमेरिका का हो या चीन और रूस का.
1. जो हजारों लोगों का हत्यारा है, वह अचानक टैलेंटेड कैसे हो गया ?
एक ऐसा आदमी, जिसने कई लोगों को मारा है, अपने रिश्तेदारों को भी. उसे डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में टैलेंटेड कहकर पुकारते हैं. उनकी दलील है कि ट्रंप टैलेंटेड हैं. क्योंकि, जिस उम्र में उनके सामने चुनौतियां आई हैं, उसका सामना दस हजार लोगों में से कोई एक ही कर पाता है. फिर ट्रंप बात को संभालते हुए कहते हैं कि मैं ये नहीं कहता है कि उन्होंने जो किया है वह ठीक किया है, लेकिन 26 साल की उम्र से कुछ किया है वह असाधारण है.
2. मानवाधिकार उल्लंघन का क्या ?
किम जोंग उन की क्रूरता के किस्से तो पूरी दुनिया में कुख्यात रहे हैं. कई अमेरिकी नागरिक और पत्रकार भी ये यातना झेल चुके हैं. ट्रंप ने माना है कि इस मुलाकात से पहले उन्हें कई लोगों निजी संदेश भेजे हैं. वे अपने पिता या बच्चों के शव या उसके अवशेष चाहते हैं जो उत्तर कोरिया के कब्जे में हैं. कोरिया प्रायद्वीप में भयंकर युद्ध का इतिहास रहा है. युद्धबंदियों का मामला भी गंभीर है. और कई लोगों की अपेक्षा जुड़ी है. उत्तर कोरिया की हुकूमत ने जिस तरह से लोगों के अपहरण करवाए हैं, उनका हिसाब कैसे लिया जाएगा, उसकी कोई रूपरेखा तय नहीं है. हालांकि ट्रंप कहते हैं कि उन्हें किम ने भरोसा दिलाया है और वे इस दिशा में काम करेंगे.
3. वार-गेम बंद रहेगा, लेकिन कब तक ?
पिछले तीन-चार वर्षों में दुनिया ने उत्तर कोरिया का सबसे डरावना रूप देखा है. जापान और दक्षिण कोरिया की जिसने नींद उड़ा दी थी. कभी अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें तो कभी परमाणु परीक्षण. इतना ही नहीं अमेरिकी शहरों पर परमाणु हमने की चेतावनी भी किम जोंग उन देते रहे हैं. जवाब में ट्रंप उत्तर कोरिया को ध्वस्त करने की बात करते रहे. इन सब धमकियों के बीच वार गेम लगातार चलता रहा. ट्रंप अब कहते हैं कि वार-गेम बहुत खर्चीले होते हैं. इस बारे में वे अपना एक खास अनुभव बताते हैं. ‘मुझे बताया गया कि हमारे बमवर्षक विमान सबसे नजदीकी बेस गुआम से उड़कर आते हैं. तो मैं जानना चाहता था कि ये नजदीकी बेस कितना दूर है. तब मुझे बताया जाता है कि यह छह घंटे की फ्लाइट होती है. अजीब है कि छह घंटे की फ्लाइट सिर्फ प्रैक्टिस के लिए, जिसमें विमान आते हैं दक्षिण कोरिया के पास बम गिराते हैं और वापस लौट जाते हैं.’
ऐसे वॉर-गेम बंद होना चाहिए. ट्रंप की ये टिप्पणी किम से हुई ताजा मुलाकात का हैंगओवर मानी जा रही है. क्योंकि ट्रंप तो बिना ताकत के इस्तेमाल के रह ही नहीं पाते हैं. अपने चुनाव से पहले वे इराक और अफगानिस्तान से फौजें बुलाने की बात कह चुके थे. लेकिन चुनाव के बाद तो वे इस इलाके में अमेरिकी सैनिकों की तादाद बढ़ाते जा रहे हैं.
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4. एक ऐसा परमाणु करार जिसके सिर-पैर नहीं
ट्रंप भरोसा दिलाते हैं कि सिंगापुर में हुआ समझौता कोरिया प्रायद्वीप से परमाणु हथियारों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए है. इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय काम करेगा, और अमेरिका इसमें मददगार की भूमिका में होगा. इस मामले में वैज्ञानिकतौर पर देखा जाए तो काफी वक्त लगता है. यानी ट्रंप परमाणु हथियारों के जखीरे के खात्मे की कोई निश्चित समय सीमा नहीं बता पाए हैं. उनका कनफ्यूजन उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों के सवाल पर भी कायम रहा. वे कहते हैं कि प्रतिबंध तब तक कायम रहेंगे जब तक कि यह भरोसा नहीं हो जाता कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार नाकाम हो चुके हैं. ट्रंप ये भी कहते हैं कि प्रतिबंध काफी कारगर साबित हुए हैं.
यानी अमेरिकी राष्ट्रपति न तो परमाणु हथियारों के समयबद्ध खात्मे को लेकर कोई ठोस बात कर पा रहे हैं और न ही प्रतिबंध हटाने को लेकर उनके पास कोई खाका है.
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ट्रंप और किम को व्यक्तित्व के मान से देखें तो दोनों में खास फर्क नहीं है. दोनों के फैसले अप्रत्याशित रहे हैं. इनके फैसले कब सकारात्मक होंगे और कब नकारात्मक, इनके नजदीकी भी नहीं जानते. ऐसे में कोरियाई प्रायद्वीप में अमन की बहाली के लिए सिर्फ इन दोनों नेताओं से कोई चमत्कार की उम्मीद रखना नासमझी ही होगी.
कुछ बातें, जो इस जमे रंग में भंग डाल सकती हैं :
- ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि शांति के रास्ते पर चलने की चाहत किम जोंग उन को उनसे ज्यादा है.
- मैं कोरिया प्रायद्वीप से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहता हूं. लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं होने जा रहा है.
- लोग शांति की बात करते हैं, लेकिन बहादुर लोग उसे अमल में ले आते हैं.
- अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पांपेओ सिंगापुर की मुलाकात से पहले ही उत्तर कोरिया को समझौते की शर्तें मान लेने की हिदायत दे चुके थे. उन्होंने साथ ही साथ उसे लीबिया का उदाहरण भी दिया था. यानी अमेरिका इस समझौते के बाद भी उत्तर कोरिया के खिलाफ आक्रामक रुख अपना सकता है. साथ पहले भी समझौते हुए हैं. इसलिए ये सिर्फ एक कागज को टुकड़ा रहा है.
- ट्रंप यह बात भी खुले तौर पर कह चुके हैं कि उत्तर कोरियाई नेतृत्व ने कभी शांति की बात को महत्व नहीं दिया है. क्लिंटन प्रशासन के दौरान तो उसने करोड़ों डॉलर लिए लेकिन बाद में वह अपने वादे से पलट गया. ट्रंप कहते हैं कि इस बार मामला अलग है. इस बार अमेरिका का राष्ट्रपति थोड़ा अलग है. हो सकता है कि पहले के राष्ट्रपतियों के लिए यह प्राथमिकता नहीं रही होगी. यदि उनके लिए यह प्राथमिका रही होती तो दस साल पहले इसे लागू करना ज्यादा आसान होता.
- मेरे लिए न्यूक्लिर हथियार सबसे बड़ी प्राथमिकता है. इसीलिए मैंने इरान न्यूक्लियर डील खारिज की है. वे काफी नृशंस हैं. लेकिन यदि वे मुझसे कोई डील करना चाहते हैं तो मुझे खुशी होगी. क्योंकि मुझे डील करना पसंद है.
किम ने अभी इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया है कि उत्तर कोरिया के पास कितने परमाणु हथियार हैं. उन्होंने यूरोनियम और प्लूटोनियम के संवर्धन को बंद करने पर भी कोई सीधी सहमति नहीं दिखाई है. ट्रंप कहते हैं दुनिया काके दिखाने के लिए कहते हैं कि किम इस बात की गंभीरता को समझते हैं. दरअसल, ताजा-ताजा दोस्ती इन दोनों नेताओं को एक-दूसरे के प्रति औपचारिक बना रही है. लेकिन यह औपचारिकता कब तक कायम रहेगी, और उस अनौपचारिकता का दौर कैसा होगा, इसकी चिंता अभी से जताई जाने लगी है.
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