ममता का चुनावी शंखनाद दिल्ली से हटकर अपने घर तक सिमट गया है !
भाजपा विरोधी दलों को लामबंद करने का ममता का सपना कभी सफल होता नज़र आता है, तो कभी बिखरता दिखायी देता है, वहीं ममता ने अगले वर्ष जनवरी में भाजपा को बंगाल से दूर रखने के लिए एक बहुत बड़ी रैली की घोषणा की है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपना दम दिखाया तो दिल्ली के तख्त से मोदी को हराने की तैयारी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया.
एक तरफ तो प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को गिरवा कर अपनी राजनैतिक धाक दिखायी, तो दूसरी ओर मोदी के विपक्षी दलों की मोर्चेबंदी कर रही ममता बनर्जी ने कोलकाता में रैली कर भाजपा विरोधी नारे लगाये. कहीं झूमते गाते युवा, कहीं ढोल की थाप पर नाचती युवतियां तो कहीं लोकगीत, ममता की रैली में हिस्सा लेने के लिए राज्य भर से आये लोगों का तांता लगा रहा.
21 जुलाई को शहीद दिवस की रैली में 2019 के चुनावों का बिगुल बजाते हुए ममता बनर्जी ने भाजपा के ख़िलाफ मोर्चा खोल दिया. ममता बनर्जी ने रैली में पहुंची लाखों की भीड़ के सामने ऐलान किया कि 15 अगस्त को पार्टी विशाल रैली के ज़रिए ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ अभियान की शुरुआत करेंगी.
एक तरफ तो अभी तक भाजपा विरोधी दलों को लामबंद करने का ममता का सपना कभी सफल होता नज़र आता है, तो कभी बिखरता दिखायी देता है, वहीं ममता ने अगले वर्ष जनवरी में भाजपा को बंगाल से दूर रखने के लिए एक बहुत बड़ी रैली की घोषणा की है. इस रैली में भाजपा के सभी विरोधी दल के नेता शामिल होंगे. बंगाल में जारी वर्चस्व की लड़ाई के बीच ममता बनर्जी के दिल्ली के मनसूबे भी दिखायी दे रहे हैं.
इधर पश्चिम बंगाल में हालात ऐसे हैं की भाजपा लगातार तृणमूल कांग्रेस के पैरों तले से ज़मीन खींचने की तैयारी कर रही है उधर भाजपा की बढ़त और मोदी-अमित शाह के बंगाल में दिलचस्पी से बिफरी ममता लगातार अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश कर रही हैं. हाल ही में अमित शाह के दौरे के अगले दिन ही शाह से मिलने वाले समर्थकों को तृणमूल में शामिल करवा कर ममता ने ये साफ संदेश भी दिया था कि बंगाल में वे किसी और की पैठ बर्दाश्त नहीं करेंगी. इसके अलावा दिल्ली में ममता भले ही कांग्रेस के साथ हाथ मिलाती हों लेकिन बंगाल में उन्हें कांग्रेस का साथ भी गवारा नहीं. पार्टी ने साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव बंगाल में तृणमूल कांग्रेस अकेले ही लड़ेगी.
एक तरफ अविश्वास प्रस्ताव के गिरने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद को 2024 तक का प्रधानमंत्री बता दिया तो इधर ममता बनर्जी ने 2019 में ही उनके राजनैतिक भविष्य पर संशय जता दिया है. ममता बनर्जी ने कहा कि 2024 के पहले 2019 आने वाला है जिसमें भाजपा को 100 सीटें भी मिल जायें तो बड़ी बात होगी. ममता ने अविश्वास प्रस्ताव प्रकरण पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि संसद में भले ही वे जीत गए हों लेकिन लोगों के बीच नहीं जीत पायेंगे.
बारिश के बावजूद तृणमूल कांग्रेस की रैली में लाखों की भीड़ राज्य के कई जिलों से आयी या फिर यूं कहें की लायी गयी. ममता बनर्जी ने पहले ही पार्टी के नेताओं को शहीद दिवस के 25 वें साल की रैली में भारी भीड़ जुटाने के निर्देश दिये थे. तृणमूल कांग्रेस के लिए ये रैली शक्ति परीक्षण का ज़रिया थी.
हाल ही में 16 जुलाई को प्रधानमंत्री की रैली मिदनापुर में हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस पर करारा वार किया था, इसी से नाराज़ ममता ने आज की रैली में भाजपा को जमकर लताड़ा. मोदी की रैली के दौरान पंडाल गिरने से करीब 90 लोगों के घायल होने की घटना पर भी भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए ममता ने कहा कि ‘जो पंडाल नहीं संभाल सकते, वे देश क्या संभालेंगे.’
ममता ने ये भी कहा कि वे बंगाल का सपना देखने वाली भाजपा का तो 2019 में बंगाल में खाता ही नहीं खुलने देंगी. उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार राज्य में दो सीटों पर जीत दर्ज की थी जिसमें राज्य में भाजपा को 17 प्रतिशत से भी अधिक वोट शेयर मिला था. हाल ही में हुए उपचुनावों में भाजपा करीब 22 प्रतिशत वोट शेयर के साथ नंबर 2 की पार्टी बनकर उभरी है. इसको देखते हुए ममता बनर्जी भी अब बंगाल में अपनी पार्टी की जड़ों को मज़बूत करने में लग गयी हैं.
इसके साथ ही रैली में मौजूद पार्थ चटर्जी, सुब्रत बख्शी सहित सभी नेताओं ने जमकर भाजपा पर हमला बोला. 1993 में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के आदेश पर गोलियां चलाये जाने की घटना में 13 यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की मौत हुई थी. उस समय ममता बनर्जी भी यूथ कांग्रेस में थीं, तब से लगातार हर साल ममता बनर्जी 21 जुलाई को शहीद दिवस कर रैली का आयोजन करती हैं.
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