वो 'फरार' बंगाल पुलिस अफसर, जिसके पीछे पड़ी CBI आपस में लड़ती रही
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव 2019 से पहले नया घमासान शुरू हो गया है. केंद्र में हैं कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार, जिसके इर्द-गिर्द CBI, ममता बनर्जी, कोलकता पुलिस, सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार आपस में उलझे हुए हैं.
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पश्चिम बंगाल में एक बार फिर घमासान मचा है और इस बार जो हालत है वो देखकर लगता है कि ममता बनर्जी और मोदी सरकार के बीच का टकराव 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कुछ नया ही रंग ले लेगा. भाजपा लगातार बंगाल में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है पर ममता बनर्जी भाजपा की लगभग हर कोशिश नाकाम करने में जुटी हैं. अब मामला आ गया है केंद्र की जांच एजेंसी CBI बनाम ममता बनर्जी सरकार की पुलिस के बीच. ममता बनर्जी लगभग 13 साल बाद एक बार फिर धरने पर बैठी हैं. वह भी एक ऐसे अफसर के लिए जिस पर चिटफंड घोटाले को रफा-दफा करने का आरोप है. रविवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम ने कोलकता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर छापा मारा, तो दांव उल्टा ही पड़ गया. पहले तो पुलिस ने उस टीम को घर में घुसने नहीं दिया, फिर सीबीआई के अधिकारियों को गिरफ्तार भी कर लिया. इतना ही नहीं कुछ ही देर में ममता बनर्जी खुद पुलिस कमिश्नर के बचाव में उतर गईं. और राजीव कुमार को साथ लेकर धरने पर बैठ गईं.ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि राजीव कुमार दुनिया के कुछ बेहतरीन अधिकारियों में से एक हैंराजीव कुमार पर क्या आरोप हैं?
शारदा चिटफंड घोटाले और रोज़ वैली घोटाले की जांच के लिए ममता सरकार ने राजीव कुमार के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) बनाई थी. राजीव कुमार ने जांच के दौरान TMC से जुड़े हाई-प्रोफाइल आरोपियों को पकड़ने के बजाए इस घोटाले के सबूत मिटाने का काम किया. सीबीआई का आरोप है कि इस घोटाले से जुड़े अहम सबूत राजीव कुमार के पास थे, लेकिन उन्होंने सबूत नहीं सौंपे. हो सकता है कि सबूत नष्ट किए गए हों. ये किसी बड़े स्कैम की ओर इशारा कर रहा है. IndianExpress की रिपोर्ट में सीबीआई का हवाला देते हुए लिखा गया है कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम द्वारा अप्रैल 2013 में कई सबूत इकट्ठा किए गए थे. ये टीम कुमार की अध्यक्षता में काम कर रही थी. शारदा चिट फंड स्कैम से जुड़े लैपटॉप, पांच सेलफोन और कई दस्तावेज थे, जिसमें शारदा ग्रुप प्रमोटर सुदिप्ता सेन की एक डायरी भी थी.
ये केस 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सीबीआई को सौंप दिया गया था. इसी के बाद जांच में पता चला कि शारदा चिट फंड मामले से जुड़े अहम सबूत असल में राजीव कुमार ने सीबीआई को सौंपे ही नहीं. उन सबूतों में कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते थे और सीबीआई को लगता है कि उसी वजह से उन्हें छुपाया गया है.
सीबीआई ने कहा कि जांच के लिए राजीव कुमार को कई बार समन भेजा गया, उन्होंने सहयोग नहीं किया और जांच में बाधा भी डाली. ऐसे में उनसे पूछताछ करने सीबीआई गई थी, लेकिन सीबीआई के अफसरों के ही गिरफ्तार कर लिया गया.
आरोप का दौर सिर्फ राजीव कुमार पर ही नहीं है बल्कि ममता बनर्जी ने भाजपा पर भी आरोप लगा दिए हैं. ममता बनर्जी का आरोप है कि भाजपा सीबीआई का इस्तेमाल कर अब अपने मंसूबे पूरे करने में लगी हुई है और वो कोलकता में बिना बात बवाल मचा रही है. ममता बनर्जी ने तो राजीव कुमार को दुनिया के सबसे बेहतरीन अधिकारियों में से एक बता दिया.
The Kolkata Police Commissioner is among the best in the world. His integrity, bravery and honesty are unquestioned. He is working 24x7, and was on leave for only one day recently. When you spread lies, the lies will always remain lies 2/2
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) February 3, 2019
ममता बनर्जी अब पूरी तरह से केंद्र सरकार को टक्कर देने के लिए तैयार हैं और क्योंकि चुनाव इतने नजदीक हैं इसलिए अन्य दलों को भी लग रहा है कि ममता बनर्जी के सहारे मोदी पर निशाना लगाने का एक मौका मिल जाएगा.
'फरार' क्यों रहे राजीव कुमार?
राजीव कुमार को पिछले काफी समय से इस केस के मामले में जांच के लिए बुलाया जाना था, लेकिन राजीव कुमार किसी भी समय नहीं आए. साथ ही, कोलकता पुलिस चीफ राजीव कुमार इलेक्शन कमीशन की मीटिंग भी कुछ समय से अटेंड नहीं कर रहे थे. इसको लेकर जब विवाद हुआ तो एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुमार फरार नहीं हैं, वो तो छुट्टी पर हैं.
न सिर्फ पुलिस अधिकारी ने बल्कि पश्चिम बंगाल की चीफ मिनिस्टर ममता बनर्जी ने भी पत्रकारों को कहा कि, 'हम इलेक्शन कमीशन से माफी मांगते हैं. राजीव कुमार छुट्टी पर हैं और ये बहुत छोटा मामला है. इलेक्शन कमिशन ने हमें उन सभी अधिकारियों के तबादले करने को कहा है, जो या तो तीन साल से एक ही पोस्ट पर हैं या फिर अपने गृह क्षेत्र में हैं. हम वही कर रहे हैं और क्योंकि इलेक्शन कमीशन ने राजीव कुमार की इन्क्वायरी की है इसलिए हम माफी मांग रहे हैं.'
सीबीआई ने पिछले साल ही पश्चिम बंगाल के DGP को लिखित जानकारी दी थी कि वो चार पुलिस अधिकारियों से पूछताछ करना चाहती है. इसमें राजीव कुमार के अलावा, एडिश्नल कमिशनर विनीत कुमार गोयल, इंस्पेक्टर जनरल (रेलवे) तमल बासू और रिटायर्ड IPS अधिकारी पल्लब कांति घोष शामिल हैं.
जहां एक ओर कहा जा रहा है कि राजीव कुमार छुट्टी पर हैं वहीं Times of india की बंगाल पुलिस अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट बताती है कि शनिवार रात तक राजीव कुमार ऑफिस में थे, और काम भी कर रहे थे. यानी साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि ममता बनर्जी और उनकी सरकार राजीव कुमार को केंद्र की किसी भी एजेंसी की आंखों के सामने आने से बचा रही है. अब जबकि राजीव कुमार को वो खुद साथ लेकर धरने पर बैठी हैं, तो समझने में देर नहीं लगनी चाहिए कि इसी अफसर के भीतर चिटफंड घोटाले के कई राज समाए हुए हैं.
CBI vs CBI: राजीव कुमार को लेकर था आलोक वर्मा और अस्थाना में तनाव
राजीव कुमार हमेशा से सीबीआई के लिए तनाव का कारण बने रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद चिटफंड घोटाले की जांच स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना कर रहे थे. शारदा चिटफंड और रोज़ वैली घोटाले मामले में राकेश अस्थाना ने ही सीबीआई की तरफ से कोलकता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे और उन्हें पूछताछ के लिए समन भेजा था. तब राजीव कुमार ने पूर्व सीबीआई चीफ आलोक वर्मा से बात की थी और आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना से पूछा था कि वो आखिर कोलकता पुलिस को परेशान क्यों कर रहे हैं.
आलोक वर्मा, राजीव कुमार दोनों ये नहीं चाहते थे कि राकेश अस्थाना कोलकता पुलिस के खिलाफ जांच करें
आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच कुछ इस तरह राजीव कुमार भी विवाद का एक कारण थे. ये सिर्फ पुलिस बनाम सीबीआई नहीं, बल्कि सीबीआई बनाम सीबीआई की जंग भी बन गई थी. कहीं न कहीं राजीव कुमार और आलोक वर्मा ये चाहते थे कि राकेश अस्थाना इस मामले में जांच ठीक से नहीं करें.
आगे क्या होगा?
ममता बनर्जी अपने धरने पर विराजमान हैं और वो किसी भी हालत में टस से मस नहीं हो रही हैं.
#WATCH West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee continues dharna over CBI issue after a short break early morning. West Bengal CM began the 'Save the Constitution' dharna last night. #Kolkata pic.twitter.com/DBoS0GC1MJ
— ANI (@ANI) February 4, 2019
इस मामले में अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर सीबीआई से पूछा है कि उनके पास राजीव कुमार के खिलाफ क्या सबूत हैं? सोमवार को सीबीआई ने इस मामले में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की. जांच एजेंसी ने कहा कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सबूत नष्ट कर सकते हैं, इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- अगर वे ऐसा करते हैं तो हमें सबूत देना, हम उन पर ऐसी सख्त कार्रवाई करेंगे कि उन्हें पछताना पड़ेगा.
इससे पहले सरकारी वकील ने इस मामले में सोमवार को ही सुनवाई की मांग की लेकिन कोर्ट के अनुसार इसपर तत्काल कार्रवाई की जरूरत नहीं है और सुनवाई मंगलवार को की जाएगी. फिलहाल ये ऊंट किस करवट बैठता है ये देखना बाकी है.
सीबीआई के बहाने ममता का 'बीजेपी बैन'
बहरहाल, पिछले तीन महीने में ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी सरकार के बीच कई बड़े घमासान हो चुके हैं. इससे पहले 16 नवंबर को ममता बनर्जी ने सीबीआई को कोलकता में जांच से रोक दिया था. 6 दिसंबर को ममता ने भाजपा को रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी थी और ये कहा था कि इसके कारण माहौल बिगड़ सकता है. ये मामला भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था.
29 दिसंबर को ममता बनर्जी ने राज्य के सभी विभागों के कहा कि वो केंद्र के साथ डेटा शेयरिंग न करे. ममता बनर्जी ने सरकार की आयुष्मान भारत सहित कई योजनाएं पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने दीं.
हाल ही में ममता बनर्जी सरकार ने योगी आदित्यनाथ के हेलिकॉप्टर को भी दक्षिणी दिनाजपुर जिले में उतरने नहीं दिया. कारण दिया गया कि इसकी सूचना पहले से ही नहीं दी गई है. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने फोन और ऑडियो लिंक के सहारे से रैली में लोगों को संबोधित किया.
अब इन मामलों को देखकर लगता है कि ममता बनर्जी किसी भी हालत में नरेंद्र मोदी सरकार को अपने पैर पश्चिम बंगाल में जमाने नहीं देना चाहती हैं और इसी कड़ी में राजीव कुमार का बचाव भी किया जा रहा है.
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