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Updated: 14 मार्च, 2022 09:37 PM
सरिता निर्झरा
सरिता निर्झरा
  @sarita.shukla.37
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कुछ पगलाए. कुछ मुरझाये, कुछ हो गए लहा लोट

कुछ का तो हाल न पूछो, वो खाये हैं ऐसी चोट

ओ गुरू छाते छाते बरस गए गुरु. और बरसे तो बरसे ताल तलैया में नहीं सीधे गड्ढे में ! ठोंको ताली !!

तो इस शोर शराबे, आह और वाह में, गुलाल अबीर और मातम पुरसी के बीच जिसके योगदान को सब गलत समझ रहे है वो हैं निरे पाजी! मेरा मतलब हम सबके सिध्दू पाजी! इनके योगदान को भारत नकार नहीं सकता. यकीनन इस समय अगर कोई गाँधी जी के वचनो का पालन करने की भरपूर कोशिश कर रहा है तो वो हैं बस अपने सिद्धू भैया.

Punjab Assembly Election, Navjot Singh Sidhu, Punjab, Congress, Rahul Gandhi, Priyanka Gandhi, Charanjit Singh Channiपंजाब में अगर कांग्रेस की दुर्गति हुई है तो उसकी पहली और आखिरी वजह नवजोत सिंह सिद्धू ही हैं

अब पूछो कैसे? पूछो पूछो !

चलो हम ही बता देते है आखिर ज्ञान है बाटेंगे तो बढ़ेगा ही न. तो आज़ादी के बाद बापू जी ने कहा की कांग्रेस को डिसॉल्व किया जाये यानि की इस संगठन को खत्म किया जाये और नए सिरे से राजनैतिक संरचना बने लेकिन... लेकिन के आगे तीखा लिखने का कउनो मन नहीं है आज. मतलब क्या ही लिखे. ताकत है, सत्ता का नशा अफीम के नशे से बड़ा है.

वैसे हम तो दोनों ही नहीं किये लेकिन आग में जल कर ही थोड़े न पता चलता है की जलन होगी. जैसे थाली के बैंगन के लुढ़कने को देखने के लिए थाली या बैंगन नहीं बनना होता बस अक्ल चाहिए. तो काहे नहीं कांग्रेस हुई डिसॉल्व ये तो सभी जानते है.

तो भैया संगठन बना रहा

और आज़ाद देश से भी पुरानी पार्टी बन गयी - कॉग्रेस! लेकिन 2022 में, 'अंधेरी रातों में सुनसान राहो पर, एक मसीहा आया है. जिसने कांग्रेस को मिटाया है. माफ़ कीजियेगा अभी थोड़ा कन्फ्यूज़्ड खुश हैं.

कन्फ्यूज़्ड खुश क्या होता है ?

जनाब जम्हूरियत में इख्तियार न बचे अगर तो ये सूरत हाल ग़मगीन हो जाती है. यानि कि डेमोक्रेसी में चॉइस न हो तो हालात झमूरे सी ही हो जाती है इट कैन लीड टू क्राइसिस !

नहीं समझे ?

इग्नोर.

खैर मुद्दा तो ये है की सिद्धू भैया के त्याग को कोई समझ नहीं पा रहा. भाजपा में ज़्यादा मौका न मिल पायेगा इस लिए थोड़ी न छोड़े पार्टी ! चच्चा कितना गलत समझते हैं सब इतना मासूम आदमी! वो तो दूर की सोच रहे थे. बापू का सपना! तो स्ट्रैटेजी बना, कपिल शर्मा जैसे शो के जाने माने ठहाकेदार सीरियस कोंग्रेसी कार्यकर्ता बने!

जोक नहीं है हंसिये मत!

राहुल प्रियंका की मेन्टोरिंग में सिद्धू कमल से हट कर मात्र 'फूल' रह गए! त्याग नहीं है ये? हैं? माना की कांग्रेस मोहल्ले में क्रिकेट खेलने वाले लपुझन्नों की चौकड़ी भर रह गयी थी लेकिन उस चौकड़ी में सेंध मार कर पाजी पहली बॉल पर मारे सिक्सर और कर दिए कप्तान साहब को बाहर! फिर झट्ट दिए नए बैट के मालिक की तरह कर सिद्धू जी ने कर दिया ऐलान की बैटिंग करूंगा तो मैं - वरना खेल खत्म. राजनीती की अफीम सर चढ़ कर बोली और मजाक मजाक में ही वो बहुत कुछ बोल गए.

सारी उथल पुथल के बीच महज़ छह सात महीनो में सिध्दू पाजी ने वो कारनामा कर दिखाया जिसका सपना बापू भी देखा किये. ताश के पत्तों में जोकर का रोल अहम होता है इसे सबके सामने परफॉर्म कर दिया.

परफॉर्मर है अपने सिद्धू जी.

और तुम सब जने मीम पर मीम बनाये जा रहे हो. बहुत कमज़र्फ हो यार! अरे अंडर कवर एजेंट की तरह काम तमाम कर दिया और तमगे की ख्वाहिश भी न रखी!

इत्ते त्यागी आदमी को तुम लोग गल्त समझ रे हो. ये अच्छी बात नहीं है. इस चुनाव के एक ही पल में उसकी दुनिया बदल गयी, हालात बदल गए! जीत का सेहरा हार के दुःख में बदला और अहह इत्ता दिल दुखा है हमरा की क्या कहें. यहीं रहे होते तो कउन जाने कुछ पाय जाते पर अब !

अहा दिल पीड़ित है पर का करे उनकी हालत है ही - धोबी का कुत्ता न घर का घाट का. बुरा न मानो सच तो हइये है.

कभी उसका कभी इसका कभी मेरा हुआ वो शक़्स

उसने मोहब्बत गंवा दी तिजारत करते करते.

हां गुरु तो अब दिखाओ जिगरा और बजाओ ताली.

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लेखक

सरिता निर्झरा सरिता निर्झरा @sarita.shukla.37

लेखिका महिला / सामाजिक मुद्दों पर लिखती हैं.

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