प्रधानमंत्री मोदी ने तकनीक को बनाया सशक्तिकरण का माध्यम...
भारत ने तकनीक के माध्यम से समाजार्थिक असमानताओं को भी दूर करने में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. आज हमारे डिजिटल सेवाओं के प्रसार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में नये अवसरों का सृजन करने के साथ ही, सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाने का भी कार्य किया है.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हाल ही में अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ के क्षेत्रीय कार्यालय और नवाचार केंद्र का उद्घाटन किया गया. इस दौरान उन्होंने 'भारत 6-जी दृष्टि पत्र' का अनावरण करते हुए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा विकसित '6-जी टेस्टबेड' का भी शुभारंभ किया. आज पूरी दुनिया एक ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. लोग 'इंटरनेट से पहले' और 'इंटरनेट के बाद' मानव जीवन का विश्लेषण कर रहे हैं. यह हमारे संवाद और सूचनाओं को हासिल करने का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया. आज से कुछ वर्ष पहले तक, भारत में इंटरनेट को विलासिता का प्रतीक माना जाता था. इसकी पहुंच समाज के कुछ सीमित लोगों तक की थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरगामी सोच ने समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को भी इंटरनेट से जोड़ते हुए, एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी.
पीएम मोदी ने समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को भी इंटनेट से जोड़ते हुए, एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी
आज लोगों को किसी आवेदन की जरूरत हो या प्रशासनिक मदद की, लोग हर प्रकार की ऑनलाइन सुविधाओं का आनंद ले सकते है और अपने जीवन को बेहद आसान बना सकते हैं. आज जब प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में भारत 6-जी की तैयार कर रहा है, तो इससे निश्चित रूप से हमारे शिक्षा जगत, नव उद्यमों में नये अवसरों की भरमार होगी.इन प्रयासों से देश में नवाचार, क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी की स्वीकार्यता के लिए एक उत्तम वातावरण का निर्माण होगा, जिससे हमारे 'डिजिटल इंडिया' के संकल्पों को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी.
गौरतलब है कि भारत में कुछ महीने पहले ही, 5-जी सेवाओं की शुरुआत की गयी थी और अब 6-जी सेवाओं को शुरू करने की दिशा में अपने कदम बढ़ाते हुए, भारत ने स्वयं को अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा कर लिया है.
पहले सरकार के लिए दूरसंचार तकनीक एक वैभव प्रदर्शन का माध्यम मात्र थी. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसे सशक्तिकरण का माध्यम बनाया है. उनके शासनकाल में भारत ने जिन उपलब्धियों को हासिल किया है, उसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. आज देश में हर महीने 800 करोड़ से भी अधिक यूपीआई आधारित लेन-देन होते हैं.
केन्द्र सरकार द्वारा 43 करोड़ से भी अधिक जन-धन खाते खोलते हुए, देशवासियों के खाते में 28 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक राशि सीधे हस्तातंरित किये गये. आज देश में 100 करोड़ से भी अधिक लोगों के पास मोबाइल हैं. वहीं, 2014 से पहले देश में केवल 6 करोड़ लोगों के पास ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी थी, जो आज 85 करोड़ से भी अधिक है.
बीते 9 वर्षों के दौरान, देश में 25 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाये गए हैं. इसी कालखंड में, 2 लाख ग्राम पंचायतों में भी ऑप्टिकल फाइबर की सेवा प्रदान की गई. आज देश के ग्रामीण इलाकों में 5 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर कार्यरत हैं, जिससे लोगों का जीवन बेहद आसान हो रहा है. यही कारण है कि आज हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था, हमारे समग्र अर्थव्यवस्था के मुक़ाबले ढाई गुना अधिक रफ़्तार के साथ बढ़ रही है और इसके लिए सरकारी व्यवस्थाओं के साथ, हमें निजी कंपनियों की भी प्रशंसा करनी चाहिए.
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत ने बीते 9 वर्षों के दौरान 'डिजिटल डिवाइड' को कम करने में उल्लेखनीय सफलता पायी है और इसे किसी भी हालत में नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है. विशेषज्ञ किसी भी समाज में डिजिटल डिवाइड के लिए आर्थिक और सामाजिक असमानता के कारणों को बारंबार उजागर करते रहे हैं.
ऐसे में स्पष्ट है कि भारत ने तकनीक के माध्यम से समाजार्थिक असमानताओं को भी दूर करने में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है, जिसे पूरी दुनिया को अध्ययन करना चाहिए. आज हमारे डिजिटल सेवाओं के प्रसार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में नये अवसरों का सृजन करने के साथ ही, सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाने का भी कार्य किया है.
हालांकि, अभी हमें इस दिशा में एक लंबी यात्रा तय करनी है. आने वाले समय में, हमारे सामने अपनी 'डिजिटल साक्षरता' को बढ़ाने की एक बड़ी चुनौती है और हमें पूर्ण विश्वास है कि अपनी अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए हम इस चुनौती पर यथाशीघ्र जीत हासिल करेंगे.
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