घटते लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन, बढ़ती चुनौतियां: 2-फ्रंट वॉर के लिए IAF कितनी तैयार?
भारतीय वायु सेना लड़ाकू विमानों की सिर्फ 30 स्क्वाड्रन के साथ देश की रक्षा करने को मजबूर है. भविष्य में यह संख्या पुराने विमानों के सेवा से बाहर जाने के कारण और कम हो सकती है.
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मार्च 2022 में संसद की रक्षा मामलों की समिति ने चिंता व्यक्त करते हुए अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि भारतीय वायु सेना लड़ाकू विमानों की सिर्फ 30 स्क्वाड्रन के साथ देश की रक्षा करने को मजबूर है और भविष्य में यह संख्या पुराने विमानों के सेवा से बाहर जाने के कारण और कम हो सकती है. आगे बढ़ने से पहले हमको भारत की दक्षिण एशिया में जो भौगोलिक स्थिति है उसको समझना होगा. भारत अपने पश्चिम में पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करता है जो जम्मू एवं कश्मीर में हिमालय की काराकोरम पहाड़ियों से लेकर गुजरात में रण ऑफ कच्छ तक जाती है, वहीं दूसरी ओर भारत चीन के साथ उत्तर- पूर्व में लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक अपनी दूसरी सबसे लंबी सीमा साझा करता है. यहां पर यह बात गौर करने वाली है कि इन दोनों देशों के साथ भारत का सीमा विवाद है और इन्हीं दो देशों को ध्यान में रख कर भारतीय वायु सेना ने अपना 2-फ्रंट वॉर का सिद्धांत तैयार किया है जिसके तहत 42 लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन होने चाहिए 2-फ्रंट वॉर के लिए.
लड़ाकू विमानों के तहत तमाम चुनौतियां हैं जिनका सामना भारतीय वायु सेना को करना पड़ रहा है
क्या है भारतीय वायु सेना की अभी की स्थिति
भारतीय वायु सेना के पास अभी लड़ाकू विमानों के 30 स्क्वाड्रन हैं, जिसमे 12 स्क्वाड्रन Sukhoi30MKI, 6 स्क्वाड्रन Jaguar, 3 स्क्वाड्रन Mirage2000, 2 स्क्वाड्रन Mig-21 Bison, 3 स्क्वाड्रन Mig-29 UPG, 2 स्क्वाड्रन LCA Tejas, 2 स्क्वाड्रन Rafael के शामिल हैं. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी के अनुसार वर्ष 2025 तक MiG -21 Bison के सभी स्क्वाड्रनों को सेवा से बाहर कर दिया जाएगा। वर्ष 2031-32 तक Jaguar के सभी स्क्वाड्रनों को सेवा से बहार कर दिया जाएगा।, और उसके बाद Mirage और MiG -29 UPG को सेवा से बाहर किया जाएगा.
अगर हम मालवाहक विमानों की बात करें तो भारतीय वायु सेना के बेड़े में IL-76, An-32, C-17 Globemaster, C-130J, Avro -748 शामिल हैं. यहां भी भारतीय वायु सेना IL-76 और An-32 की उपलब्धता से जूझ रही है.वहीं Avro -748 की जगह 56 Airbus C- 295 की डील की जा चुकी है. अगर हम रोटरी विंग की बात करें तो Chinook, Mi17V5, Mi17, Mi35, Dhruv, Rudra, Prachand, Cheetah, और Apache के आ जाने के बाद से स्थिति मज़बूत है. मिसाइल बेड़े पर नज़र डालें तो अग्नि, ब्रह्मोस, त्रिशूल जैसी मिसाइलों के साथ यहां भी स्थिति मज़बूत है.
कितनी तैयार है भारतीय वायु सेना 2 फ्रंट वॉर के लिए
दुनिया की 2 पेशेवर और मज़बूत वायुसेनाओं में से एक साथ मुकाबला भारत के लिए आसान नहीं होगा. अगर हम पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स पर नज़र डालें तो 1300 से ज्यादा लड़ाकू विमानों वाली यह वायु सेना, भारतीय वायु सेना से नंबरों के मामले में कहीं आगे हैं और J-20 जैसे पांचवी पीड़ी के लड़ाकू विमानों से लैस है, हालांकि यहां पर यह भी बताना होगा कि सूत्रों के अनुसार इस विमान को Sukhoi-30MKI ने ना सिर्फ अपने रडार पर पकड़ा है बल्कि मिसाइल लॉक भी किया है. वहीं पाकिस्तानी वायु सेना JF-17 और F-16 जैसे विमानों से लैस होने के साथ साथ J-10C जैसे विमान अपने बेड़े में शामिल कर रही हैं.
हालांकि भारतीय वायु सेना में शामिल और Meteor मिसाइल से लैस Rafael, Mica-IR से लैस मिराज -2000 और Astra मिसाइल से लैस Sukhoi-30MKI किसी भी विमान को मार गिराने में सक्षम हैं. भारत की भौगोलिक स्थिति भी भारतीय वायु सेना के लिए सहयोगी है. हिंडन, अंबाला, हलवारा, पठानकोट, बरेली जैसे वायु सेना बेस भारत के मैदानी इलाकों मे स्थित हैं जहां से लड़ाकू विमान अपनी पूरी क्षमता के साथ उड़ान भर सकते हैं और कुछ मिनटों मे पूर्वी लद्दाख पहुंच कर अपना मिशन पूरा कर सकते हैं.
वहीं चीन के लड़ाकू विमानों को काशगर, होतांग जैसे ठिकानों से उड़ान भरनी पड़ेगी जो ना सिर्फ 200 किलोमीटर से ज्यादा दूर हैं बल्कि पहाड़ी छेत्र में होने के कारण यहां से लड़ाकू विमान अपनी पूरी छमता से उड़ान भी नहीं भर सकते. अब अगर भारतीय वायु सेना की कुछ चुनौतियों पर बात करें तो 30 स्क्वाड्रन के साथ 2 मोर्चों पर लड़ना आसान नहीं होगा.
पिछले एक दशक में जहां भारतीय वायु सेना के विमानों की हवा में ईंधन भरने की छामता को हासिल किया है, वहीं केवल 6 IL-78 नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं, युद्ध के समय हवा-से हवा में ईंधन भरने की छमता का कमज़ोर होना ना सिर्फ मिशन पर प्रभाव डालता है बल्कि विमानों की छमताओं को भी सीमित करता है. S-400 एयर डिफेन्स सिस्टम आने के बाद वायुसेना की छमता में वृद्धि हुई है पर छोटे ड्रोन हमलों से निपटना अभी भी एक चनौती है.
अगर हम इलेक्ट्रॉनिक वॉर्फेर की बात करें तो, बालाकोट के बाद हुए संघर्ष से सबक लेते हुए हमने लड़ाकू विमानों में सॉफ्टवेयर डिफाइन्ड रेडियो को इंस्टॉल किया गया है, वहीं आसमान में पैनी नज़र रखने के लिए 3 AWACS और 2NETRA भारतीय वायु सेना में शामिल किए हैं, पर भारत जैसे देश की हवाई सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए यह नाकाफ़ी हैं.
सरकार और वायुसेना पर भी उठते हैं सवाल :
सबसे बड़ा सवाल उठता है हादसों में वीरगति को प्राप्त हुए वायुसैनिकों को लेकर, अंचित गुप्ता की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 30 सालों में 150 से ज्यादा भारतीय वायु सेना के पायलट 500 से ज्यादा हादसों मे अपनी जान गंवा चुके हैं. इन हादसों की जांच से क्या कुछ सीखा गया और सरकार ने क्या कदम उठाए इन हादसों को रोकने के लिए.
दूसरा सवाल उठता है MMRCA डील को लेकर. दसॉल्ट ऐवीऐशन और रक्षा मंत्रालय के बीच सालों की बातचीत के बात जो MMRCA डील पर सहमति बनी थी, उसे किस आधार पर खत्म कर सीधे 36 Rafael विमान खरीदने का फैसला किया गया. अगला सवाल है भारतीय वायु सेना रक्षा मंत्रालय और सरकार तीनों से, 114 विमानों की खरीद का जो फैसला किया गया है, क्या रक्षा मंत्रालय, वायु सेना और सरकार आपस में समन्वय बैठ कर इन विमानों की खरीद को जल्द से जल्द पूर्ण कर सकते हैं.
क्या हो आगे की डगर
21वीं सदी के चीन और पाकिस्तान ने मुकाबला करने के लिए भारतीय वायु सेना को भी नए रास्तों को तलाशना होगा. 36 Rafael विमानों को दिन रात प्रयोग में लाने वाली वायु सेना को आगे 114 विमानों के लिए भी Rafael विमानों का फैसला लेना ही होगा.
इसके साथ ही Sukhoi30MKI के अपग्रेड के विषय पर भी जल्द ही विचार करना होगा. वहीं Mig 29 जैसे विमानों के साथ लंबी दूरी तक हवा में मार करने वाली मिसाइल AstraMk1 को टेस्ट करने का समय आ गया है. जब तक TejasMk1, और AMCA जैसे विमान सेवा में नहीं आते, भारतीय वायु सेना को विमानों की उपलब्धता को बढ़ाकर 70% तक लाने की आवश्यकता है.
एक्सपर्ट की राय इस विषय पर देखें तो भारत जैसे विशाल देश और इंडो-पेसिफिक को सुरक्षित रखने के लिए, विंग कमांडर एस. पी सिंह (R) के अनुसार 18 AWACS की जरूरत होगी. वहीं, एयर वाईस मार्शल प्रकाश कुमार श्रीवास्तव(R) कहते हैं कि चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारतीय वायु सेना को UAV की तरफ भी देखना पड़ेगा.
दूसरी ओर एयर वाईस मार्शल अमित अनेजा(R) डाटा फ्यूज़न, डाटा इंट्रीग्रेशन, और इन्टर- ऑपरेबिलिटी पर ज़ोर देते हुए इस छेत्र में आगे बढ़ने को तरजीह देते हैं. अंत में हमें याद रखना होगा कि 2019 में बालाकोट के जाबा टॉप पर Spice 2000 बम गिरा कर और अगले दिन पाकिस्तानी वायु सेना के लड़ाकू विमानों को खदेड़ कर भारतीय वायु सेना ने दुनिया को दिखा दिया था कि नीली वर्दी धारण करने वाले वायुसैनिक भारत के हितों की रक्षा करने में सक्षम है, पर 21वीं सदी के बदलते भौगोलिक परिद्रश्य में निरंतर विकास ही एक मात्र रास्ता है.
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