राहुल गांधी का गुजरात चुनाव से पहले अध्यक्ष बनना फायदेमंद...
कांग्रेस के लिए इस समय सबसे अच्छा काम हो सकता है राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाना. इससे कई फायदें होंगे जैसे की...
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कुछ दिनों पहले कहा था कि राहुल गांधी इसी साल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान संभालेंगे. बतौर उनके पार्टी के भीतर राहुल को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दिए जाने को लेकर फैसला भी लिया जा चुका है जिसका ऐलान कभी भी हो सकता है. गुलाम नबी आजाद ही नहीं समय-समय पर पार्टी के कई नेताओं ने कहा है कि राहुल गांधी ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे और इस तरह की मांग काफी पहले से उठ रही है. लेकिन इस मांग ने हाल ही में जोर पकड़ा और ऐसा लग रहा था कि दीपवाली के तुरंत बाद राहुल की ताजपोशी हो सकती है. बाद में यह मामला किसी ना किसी वजह से टलता रहा और एक बार फिर इस तरह की बात सामने आयी कि आगामी गुजरात और हिमाचल चुनाव के बाद राहुल को पार्टी कि कमान सौंपी जायेगी. हिमाचल में तो मतदान हो गया है और अब गुजरात चुनाव ही बचा है.
वैसे राहुल गांधी ने 2013 में जब पार्टी का उपाध्यक्ष पद संभाला था तब से ही ऐसी खबरें जोरों पर थीं कि वो आने वाले समय में अध्यक्ष पद की कमान संभालेंगे. वैसे भी वर्ष 2013 के बाद जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें पार्टी की हार पर विपक्ष ने इसको राहुल के सर मढ़ा तो वहीं जीत पर कांग्रेस ने राहुल को धन्यवाद दिया. कह सकते हैं कि फिलहाल कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी ही सर्वे सर्वा हैं महज औपचारिक ऐलान होना ही बाकी है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी में उनके खिलाफ दूसरा कोई उम्मीदवारी पेश नहीं करेगा. अगर राहुल गांधी गुजरात चुनाव से पहले अध्यक्ष पद सँभालते हैं तो उनके लिए ये कदम फायदेमंद साबित हो सकता है.
गुजरात चुनाव में राहुल गांधी की कैंपेनिंग को देखकर ये कहा जा सकता है कि उनकी सीधी लड़ाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से है क्योंकि वो एक लम्बे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं और वहां बीजेपी को किसी तरह का नुकसान सीधे तौर पर मोदी के लिए भारी पड़ेगा.
2014 के आम चुनावों में वैसे तो बीजेपी ने विकास और करप्शन को बड़ा मुद्दा बनाया था लेकिन पार्टी ने व्यक्तिगत तौर पर सबसे ज्यादा हमले राहुल गांधी पर ही किये थे. इसलिए इसे राहुल बनाम मोदी समझा गया था और उस दौर में राहुल मोदी के सामने उतने प्रभावी साबित नहीं हुए थे. मौजूदा वक़्त में राहुल ने अपने भाषणों और ट्वीट्स के जरिये सरकार पर जोरदार हमला बोला है इसमें खास बात ये है कि वो व्यक्तिगत तौर पर प्रधानमंत्री पर हमले करने से बच रहे हैं जो कि सराहनीय है. यही वजह है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुजरात और हिमाचल चुनाव में राहुल गांधी के कठिन परिश्रम की प्रशंसा की है. एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने हाल ही में महाराष्ट्र के चंद्रपुर में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से बातचीत में कहा था कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राहुल गांधी की बदली छवि से डर गए हैं और यही वजह है की बीजेपी गांधी परिवार को बदनाम करने के लिए बोफोर्स का मुद्दा उठा रही है."
कांग्रेस अगर गुजरात चुनाव से ठीक पहले राहुल को पार्टी का अध्यक्ष बनाती है तो इसको लेकर लोगों में काफी चर्चा होगी और इस खबर को मीडिया भी तवज्जो देगी जो चुनाव के लिहाज से ठीक है. साथ ही, ये राहुल के कॉन्फिडेंस को और प्रबल करेगा. वैसे भी राहुल के इस बार के गुजरात दौरों की खूब चर्चा हो रही है और उन्हें सुनने के लिए लोगों की भीड़ भी उमड़ रही है जो पार्टी के लिए अच्छे संकेत हैं और यही सही मौका है कि उन्हें कमान सौप देनी चाहिये.
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