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Updated: 06 अप्रिल, 2017 09:45 PM
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ये भारत में ही मुमकिन है जब कोई मंत्री किसी दूसरे मंत्री को संसद में ही घेर ले - वो भी अपने उस साथी के लिए जो एयर इंडिया के कर्मचारी को पीटने के बाद बहादुरी का ऐसे बखान करे - एक-दो नहीं, पच्चीस चप्पल मारी.

जी हां, ये अनोखा और अद्भुत नजारा भारत की संसद में उस देखने को मिला जब अनंत गीते ने नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू को शिवसेना सांसदों के साथ सदन में घेर लिया. नतीजा ये हुआ कि राजनाथ सिंह सहित कई नेताओं को बीच-बचाव कर राजू को सुरक्षित बाहर ले जाना पड़ा. पूरे बवाल की जड़ शिवसेना के चप्पलबाज सांसद रविंद्र गायकवाड़ रहे - जो संसद में आपबीती सुनाने चार्टर्ड प्लेन से मुंबई से पधारे थे.

सांसद का सम्मान और अपमान

किसी सांसद का सम्मान क्या होता है, ये बात सबसे अच्छा वो सांसद ही समझता है - आम लोगों को तो इसकी समझ हो नहीं सकती लिहाजा खुद ही उसे सबको समझाना भी पड़ता है.

ravindra-gaikwad_650_040617062814.jpgगायकवाड़ तुम संघर्ष करो, पार्टी तुम्हारे साथ है!

हाल फिलहाल एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें बीजेपी सांसद मनोज तिवारी एक महिला शिक्षक पर बुरी तरह भड़के हुए दिखे, "आप नौटंकी कर रहे हो. आप सांसद को बोल रहे हो कि गाना गाओ, ये तमीज है आपकी? ये गाने का प्रोग्राम है क्‍या, आपको इतना भी नहीं पता कि यहां क्‍या हो रहा है. यहां सीसीटीवी लगे हैं और आप कह रहे हैं कि गाना गाइए. चलिए आप मंच से नीचे जाइए."

महिला शिक्षक की तो सिट्टी पिट्टी ही गुम गयी. बोले भी तो क्या बोले. लगा जैसे सांप सूंघ गया हो. सांसद के प्रति जो बचा खुचा सम्मान रहा होगा वो डर में बदल गया. क्या मालूम नौकरी पर भी आफत आ पड़े. किसी सांसद के साथ इस तरह के बर्ताव के बाद अंजाम क्या होगा सोच कर ही मन थर्रा उठेगा.

ऐसा नहीं होगा कि उसके पास सवाल नहीं होंगे. वो चाहती तो पूछ सकती थी कि चुनावी सभाएं क्या म्युजिकल कंसर्ट होती हैं? वो पूछ सकती थी सांसद ने ट्विटर पर अपनी प्रोफाइल में अब भी अपनी पुराने हुनर के बारे में क्यों लिख रखा है? पूछने का मौका मिलता तो सवाल तो ये भी होता कि सांसद भी तो उसी कला की बदौलत बने वरना कौन सा राजनीतिक संघर्ष या आंदोलन चलाया था?

खैर, मनोज तिवारी ने उसे जलील करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, "इन पर कार्रवाई होनी चाहिए. जब इनको ये तक नहीं पता कि सांसद से कैसी बात करनी चाहिए तो छात्रों से कैसे बात करेंगी?"

पार्टी हो तो ऐसी

अपने सांसद को संसद में बखेड़ा खड़ा करने के लिए शिवसेना भी कोई कसर बाकी नहीं रखी. जब देखा कि नाम बदल बदल कर और नाम से पहले डॉक्टर और प्रोफेसर लिख कर भी गायकवाड़ टिकट नहीं बुक करा पाये तो अपने लाडले के लिए पार्टी ने चार्टर्ड प्लेन मंगा लिया.

जब इकनॉमिक टाइम्स ने इस फ्लाइंग ऑपरेशन में शामिल शिवसेना के एक अंदरूनी सूत्र से इस बारे में पूछा तो उसने बताया, "जो लोग ये सोचते हैं कि वे लगातार हमारे सांसद का अपमान कर सकते हैं, उन्हें सेना नेतृत्व से इसे साफ मैसेज के तौर पर देखा जा सकता है कि वो अपमान को हल्के में नहीं लेगा और अपनी शर्तों पर लड़ाई लड़ेगा."

विनम्रतापूर्वक 25 चप्पल!

लोक सभा में शिवसेना नेता सिर्फ इस बात पर भड़क गये क्योंकि मंत्री राजू ने कह दिया कि कानून को अपना काम करने दें. ये बात शिवसेना कोटे से मंत्री गीते को बेहद नागवार गुजरी. वो लपक कर राजू की सीट के पास जा धमके तो उन्हें देख वेल में हंगामा कर रहे बाकी शिवसैनिकों ने भी पहुंच कर राजू को चारों ओर से घेर लिया और नारेबाजी करने लगे - राजू हाय हाय! फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई वाली फीलिंग के साथ संसद में गायकवाड़ ने भी दावा किया कि स्वाभाव से वो बहुत ही विनम्र हैं. गलती तो उस कर्मचारी की है. भला भाई के मामले में कानून के अपने काम का क्या मतलब है?

60 साल के एयरइंडिया कर्मचारी को 25 चप्पल मारने का खुद दावा करने वाले गायकवाड़ ने संसद में कहा, "महोदया, मैं प्रोफेसर हूं. विनम्रता मेरा स्वभाव है. वंदनीय बाबासाहब ठाकरे जी के संस्कार से प्रभावित होकर शिवसैनिक बना हूं. आदरणीय शिवसेना प्रमुख जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में काम कर रहा हूं - उन्होंने कहा है कि संसद में जाकर कहो कि यदि मेरे व्यवहार से संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है तो मैं इस देश के सार्वभौम संसद से क्षमा मांगता हूं."

सांसद ने स्पीकर को बताया, "महोदया, मुझ पर आईपीसी की धारा 308 लगाया है जो अटेम्प्ट टू मर्डर है."

फिर दलील भी दी, "महोदया, सुरक्षा जांच के बाद उड़ान में आसनस्थ यात्री कौन सा शस्त्र लेकर अंदर जाता है जिससे किसी की जान को खतरा पहुंच सकता है."

और गुजारिश भी, "आखिरी विनती है कि मेरी हवाई उड़ान पर लगायी गयी पाबंदी तुरंत हटाकर मेरे संवैधानिक अधिकार की सुरक्षा प्रदान करें."

अब तुर्रा ये है कि अगर शिवसैनिक पर लगा फ्लाई बैन वापस नहीं लिया गया तो मुंबई से किसी को उड़ान ही नहीं भरने देंगे - सच में, ये भारत में ही मुमकिन है!

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