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Updated: 05 मई, 2022 10:12 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार तवलीन सिंह ने हैदराबाद में एक हिंदू युवक की उसकी मुस्लिम पत्नी की हत्‍या कर देने की बात ट्वीट की. इस पर मुथूट फाइनेंस के सीईओ सदफ सईद ने ऐतराज जताया कि इस वारदात में शामिल लोगों के धर्म का उल्लेख क्‍यों किया गया (बाद में उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया). जिसका जवाब देते हुए तवलीन ने लिखा कि 'यदि मैं ये लिख देती कि मुस्लिम युवक की उसकी हिंदू पत्‍नी के रिश्‍तेदारों ने हत्‍या की तो शायद आपको मंजूर होता.'

*तवलीन और सदफ के बीच ट्विटर पर हुआ ये संवाद दरअसल, भारत में होने वाली आपराधिक घटनाओं को अलग-अलग एजेंडे के मुताबिक अलग-अलग रंग दिए जाने का सटीक उदाहरण है. सबको पता है कि उन्‍हें धर्म की बात कब शोर मचाकर कहनी है, और कब किनारा कर लेना है.

अब आते हैं हैदराबाद की वारदात पर...

तेलंगाना के हैदराबाद में एक शख्स की सरेराह हमलावरों द्वारा चाकू से गोदकर हत्या कर दी जाती है. कहा जा रहा है कि इस घटना ने सरूरनगर के इलाके में तब तनाव को बढ़ा दिया. जब लड़के परिजनों ने बेरहमी से की गई इस हत्या के पीछे मृतक की पत्नी के परिवार वालों का हाथ बताया. यहां तक की कहानी पढ़कर किसी को भी लगेगा कि ऑनर किलिंग के नाम पर एक और प्रेमी युगल को वो भुगतना पड़ा, जो कई बार हमारी आंखों के सामने पहले भी हो चुका है. क्योंकि, पुलिस ने भी इसे ऑनर किलिंग का ही मामला बताया है. लेकिन, इस कहानी में एक ट्विस्ट ये है कि इस ऑनर किलिंग की घटना को दिल्ली में की गई अंकित सक्सेना की घटना से जोड़ कर देखा जा रहा है. 

लोहे की रॉड और चाकुओं से सरेआम दलित शख्स की हत्या

दरअसल, कुछ साल पहले दिल्ली के अंकित सक्सेना को मुस्लिम धर्म की लड़की से प्यार करने की सरेआम सजा मौत के रूप में मिली थी. और, हैदराबाद के सरूरनगर में नागराजू नाम के इस शख्स की हत्या भी मुस्लिम लड़की से शादी करने की वजह से ही कर दी गई. और, इस घटना में भी हिंदू पति की हत्या मुस्लिम पत्नी के रिश्तेदारों ने कर दी है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, नागाराजू सिकंदराबाद के रहने वाले थे. और, एक मशहूर कार कंपनी में काम करते थे. इसी साल 31 जनवरी को नागराजू ने मुस्लिम युवती सैयद अशरीन सुल्ताना उर्फ पल्लवी से आर्य समाज के रीति-रिवाजों से शादी की थी. 4 मई को सरूरनगर तहसीलदार ऑफिस के पास नागराजू की सरेराह लोहे की रॉड से पीट-पीटकर और चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई.

Hyderabad Murder Dalit man lynched by Muslimनागाराजू सिकंदराबाद के रहने वाले थे. और, एक मशहूर कार कंपनी में काम करते थे.

नागराजू के परिजनों का कहना है कि अशरीन सुल्ताना और नागराजू कॉलेज के दिनों से ही एक दूसरे को प्यार करते थे. लेकिन, दोनों ही अलग धर्मों से आते थे. तो, लड़की के घर वालों ने उसे मौत के घाट उतार दिया. बताया जा रहा है कि सरूरनगर पुलिस ने हत्या के मामले में अशरीन सुल्ताना के भाई सैयद मोबिन अहमद और मोहम्मद मसूद अहमद को गिरफ्तार किया है. लेकिन, हिंदू पति की मुस्लिम पत्नी के रिश्तेदारों के हाथों हत्या ने कथित सेकुलर और बुद्धिजीवी वर्ग के एक धड़े का सिलेक्टिव नजरिया उजागर कर दिया है. क्योंकि, इस घटना के बाद भाजपा ने हत्यारों की गिरफ्तारी और जल्द न्याय की मांग के साथ विरोध-प्रदर्शन किया है. लेकिन, खुद बुद्धिजीवी और सेकुलर कहने वाला वो वर्ग बिलकुल खामोश है, जो ऐसी ही किसी घटना में हिंदुओं के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने लगता है. 

सिलेक्टिव नजरिये वालों को नहीं दिखेगी हत्या

अगर ऐसी ही घटना को किसी मुस्लिम शख्स के साथ उसकी हिंदू पत्नी के परिजनों ने अंजाम दिया होता. तो, अब तक बुद्धिजीवी वर्ग का ये धड़ा शायद मानवाधिकार, लिंचिंग और इस्लामोफोबिया जैसे भारी-भरकम शब्दों के साथ इस घटना को ट्विटर ट्रेंड बना चुका होता. लेकिन, यहां मरने वाला एक हिंदू है, तो अंकित सक्सेना के मामले की तरह ही नागराजू को लेकर भी इन सबके मुंह में दही जम चुका है. इतना ही नहीं, खुद को दलितों का मसीहा और झंडाबरदार बताने वाले लोग नागराजू नाम के दलित शख्स की मौत पर चुप्पी साधे हुए हैं. जबकि, ऐसी घटनाओं पर दलितों के शोषण से लेकर अधिकारों की बात करने वाले पानी पी-पीकर सबको कोसने में जुट जाते हैं. वैसे, इस कथित सेकुलर और बुद्धिजीवी वर्ग के धड़े के लोग केवल इसीलिए शांत है, क्योंकि इस मामले में एक बार फिर से मुस्लिम परिवार अपराधी है. और, अगर ये लोग इनके खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो इससे देश को सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाएगा.

लेकिन, ऐसी घटनाओं पर पूरे हिंदू समुदाय को लिंचिंग करने वाला बताकर कठघरे में खड़ा करने से देश के सामाजिक ताने-बाने पर कोई खास असर नहीं पड़ता है. क्योंकि, मुस्लिम परिवार द्वारा की गई सरेराह हत्या हमेशा से ही ऑनर किलिंग में आती है. इसका लिंचिंग या मजहबी विचारों से कोई लेना-देना नहीं है. जबकि, इस घटना में साफ नजर आ रहा है कि एक दलित हिंदू की हत्या केवल इसी वजह से की गई है कि उसने मुस्लिम युवती से शादी की थी. लेकिन, इन लोगों की नजरों में लिंचिंग की कोई घटना तब ही लिंचिंग मानी जाएगी, जब उसमें हिंदू समुदाय का हाथ हो. अगर किसी मुस्लिम की ओर से ऐसी घटना को अंजाम दिया गया है. तो, उसे शादी से उपजा गुस्सा, ऑनर किलिंग वगैरह बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है. और, हैदराबाद मर्डर पर इस कथित सेकुलर और बुद्धिजीवी वर्ग के धड़े की चुप्पी काफी हद तक सारी बातें बयान कर रही है.

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लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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