कुलभूषण जाधव के फैसले पर पाकिस्तानी मीडिया के जश्न का इशारा क्या है?
पाकिस्तानी मीडिया कुलभूषण जाधव पर आए फैसले की एक अलग ही तस्वीर बयां कर रहा है, जबकि भारत में उसकी तस्वीर बिल्कुल उलट है. पाकिस्तान इसे अपनी जीत मान रहा है, जबकि उसे तो अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की ओर से करारा तमाचा पड़ा है.
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अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने बुधवार को कुलभूषण जाधव पर अपना फैसला सुनाया. पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान ने जासूसी और आतंकी होने का आरोप लगाया है. जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (आईसीजे) के फैसले को भारत समेत पूरी दुनिया पाकिस्तान के गाल पर करारे तमाचे की तरह देख रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान इस फैसले पर अपनी ही जीत होने का दावा कर रहा है. पाकिस्तानी मीडिया कुलभूषण जाधव पर आए फैसले की एक अलग ही तस्वीर बयां कर रहा है, जबकि भारत में उसकी तस्वीर बिल्कुल उलट है.
पाकिस्तानी अखबार पाकिस्तान टुडे ने हेडलाइन दी है- आईसीजे ने भारत की कुलभूषण जाधव को बरी करने की याचिका खारिज की. खबर के दावे के अनुसार आईसीजे ने अपने फैसले में कहा है कि जाधव को दोषी करार देना और मौत की सजा सुनाने ने विएना कनवेंशन का उल्लंघन नहीं किया है और कोर्ट ने भारत की मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है.
पाकिस्तानी मीडिया कुलभूषण जाधव पर आए फैसले की एक अलग ही तस्वीर बयां कर रहा है.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी वेबसाइट पर कुलभूषण जाधव पर कम से कम 8 आर्टिकल पब्लिश किए हैं. स्टोरीज में कहा गया है आईसीजे के फैसले ने भारतीयों की उन सभी उम्मीदों को खारिज कर दिया है, जिसमें उसे लगता था कि अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप से उसे राहत मिल सकती है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर के हवाले से लिखा है कि आईसीजे के फैसले ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले को सही ठहराया है.
खुद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक ट्वीट में कहा है- मैं कुलभूषण जाधव को रिहा नहीं करने और वापस भारत नहीं भेजने के आईसीजे के फैसले का स्वागत करता हूं. वह पाकिस्तानी जनता के खिलाफ अपराधों में दोषी हैं. पाकिस्तान आगे की कार्रवाई भी कानून के हिसाब से ही करेगा.
खुद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर के आईसीजे के फैसले को पाकिस्तान के पक्ष में बताया है.
एआरवाई न्यूज से बात करते हुए मेजर जनरल आसिफ गफूर ने दावा किया है कि आईसीजे का आदेश भारत के लिए दूसरा 27 फरवरी है. आपको बता दें कि 26 फरवरी को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट पर हमला किया था. जिसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने भी भारतीय सीमा के अंदर घुसकर बम गिराए थे. इसी हमले के दौरान ही अभिनंदन वर्धमान के विमान पर हमला हुआ था और वह पाकिस्तानी सेना के हत्थे चढ़ गए थे. हालांकि, भारत और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान के अभिनंदन वर्धमान को छोड़ना पड़ा था.
द न्यूज के अनुसार कुलभूषण जाधव पर आईसीजे के फैसले ने रिहाई की इजाजत नहीं दी है. खबर में लिखा है- 'भले ही आईसीजे ने ये पाया है कि पाकिस्तान ने विएना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 का उल्लंघन किया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कुलभूषण जाधव को दोषी करार देने और मौत की सजा सुनाने में विएना कन्वेंशन आर्टिकल 36 का उल्लंघन हुआ है. आईसीजे अधिक से अधिक पाकिस्तान को ये आदेश दे सकता है कि आर्टिकल 36 को सीज किया जाए और केस का रिव्यू किया जाए कि कैसे इस उल्लंघन की वजह से उस पर असर पड़ा है.'
डॉन ने भी कुलभूषण जाधव की खबर पर बड़ा कवरेज किया है. डॉन ने लिखा है- 'आईसीजे ने भारत की जाधव को वापस ले जाने की याचिका की खारिज, कॉन्सुलर देने की इजाजत.' हालांकि, भले ही डॉन ने आईसीजे के फैसले को पाकिस्तान की जीत कह दिया हो, लेकिन इसके साथ ही एक विस्तृत खबर भी छापी है, जिसकी हेडिंग है- 'पाकिस्तान फेल नहीं हुआ: आईसीजे द्वारा जाधव पर दिए फैसले की 5 बातें जो आपको जाननी चाहए.'
बाकी विदेशी मीडिया का क्या है कहना?
अगर बात अंतरराष्ट्रीय मीडिया की करें तो उसने आईसीजे द्वारा पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाने के फैसले की समीक्षा किए जाने के आदेश पर फोकस किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है- 'अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान को भारतीय (जाधव) को जासूसी का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाने के आदेश की समीक्षा करने को कहा है.'
ब्रिटिश मीडिया ने भी आईसीजे के फैसले वाले हिस्से पर ही फोकस किया है, जो भारत के पक्ष में गया. द गार्डियन ने लिखा है- यूएन कोर्ट ने पाकिस्तान को आदेश दिया है कि जासूसी के दोषी भारतीय को फांसी की सजा ना दी जाए.
दिलचस्प है कि अरब मीडिया जैसे गल्फ न्यूज और द खलीज टाइम्स ने भी लिखा है कि पाकिस्तान को अपने आदेश की समीक्षा करने के आदेश दिए गए हैं और साथ ही जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने को खारिज कर दिया गया है.
फैसले में क्या कहा गया है?
भारत ने कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की ओर से दी गई मौत की सजा को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में चुनौती दी थी. भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाए हैं कि-
- पाकिस्तान ने जाधव को पकड़े जाने की सूचना भारत को नहीं दी.
- विएना कन्वेंशन के तहत पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को उनके अधिकार नहीं बताए.
- पाकिस्तान ने जाधव को भारत के कॉन्सुलर ऑफिसर से मिलने नहीं दिया.
भारत ने कोर्ट से की थीं ये मांगें-
1- पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट के ट्रायल को विएना कन्वेंशन का उल्लंघन माना जाए.
2- पाकिस्तान को आदेश दिया जाए कि वह कुलभूषण जाधव को रिहा करे और सुरक्षित भारत तक पहुंचाए.
3- पाकिस्तान को आदेश दिया जाए कि वह मिलिट्री कोर्ट के फैसले के खिलाफ कार्रवाई करे.
4- सिविलियन कोर्ट में सामान्य कानून के तहत ट्रायल का निर्देश दिया जाए.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पाकिस्तान ने विएना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है. पाकिस्तान ने जाधव को कॉन्सुलर से मिलने नहीं दिया और साथ ही उन्हें उनके अधिकारों के बारे में भी नहीं बताया. कोर्ट ने पाकिस्तान को आदेश दिया कि बिना किसी देरी को कुलभूषण जाधव को उनके अधिकारों के बारे में बताया जाए और उन्हें कॉन्सुलर की सुविधा की जाए. आईसीजे ने पाकिस्तान को आदेश दिया है कि वह इस बात की समीक्षा करे कि कैसे विएना कन्वेंशन के उल्लंघन से जाधव को दी सजा पर प्रभाव पड़ा है. आईसीजे के फैसले को पाकिस्तानी मीडिया और पीएम समेत वहां के अधिकारी भले ही अपने पक्ष में मान रहे हों, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के आदेश पर अमल तो करना ही होगा. साथ ही, जाधव की फांसी पर रोक लगा देना और उन्हें कॉन्सुलर देने का आदेश ये साफ करता है कि पाकिस्तान नियमों का उल्लंघन कर रहा था. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान द्वारा इस तरह नियमों का उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ भी कुछ कार्रवाई होती है या नहीं.
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