मध्य प्रदेश-कर्नाटक सरकारों की जान लोकसभा चुनाव नतीजों पर अटकी है
इस समय मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और कर्नाटक में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन कर के सरकार बनाई है. अगर मोदी दोबारा पीएम बनते हैं तो भाजपा का इरादा ये दोनों राज्य भी कांग्रेस से छीन लेने का है.
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लोकसभा चुनाव खत्म हो चुका है और 23 मई को नतीजे आने वाले हैं. रविवार शाम को आए एग्जिट पोल को देखकर नतीजों का काफी हद तक अनुमान भी लग रहा है. ये तो लगभग तय ही माना जा रहा है कि भाजपा की जीत तय है. एग्जिट पोल ने तो मोदी लहर का इशारा किया है. 23 मई को आने वाले नतीजे ये साफ कर देंगे कि मोदी लहर है या नहीं. खैर, कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव हार जाना, वो भी इतने बड़े अंदर से, वाकई किसी झटके से कम नहीं है. लेकिन अगर एग्जिट पोल सही हुआ और मोदी सरकार दोबारा सत्ता में लौटी तो कांग्रेस को दो और झटके लग सकते हैं.
इस समय मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और कर्नाटक में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन कर के सरकार बनाई है. अगर मोदी दोबारा पीएम बनते हैं तो भाजपा का इरादा ये दोनों राज्य भी कांग्रेस से छीन लेने का है. यानी सीधे-सीधे कहें तो 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही इन दोनों राज्यों की राजनीति में तूफान आना लाजमी है. अब ये देखने वाली बात होगी कि ये तूफान कांग्रेस की सत्ता को धराशाई करता है या भाजपा की कोशिशों को नाकाम करता है. वैसे हवा का रुख तो भाजपा की तरफ ही है, जिसकी वजह से कांग्रेस में घबराहट देखी जा सकती है.
अगर मोदी दोबारा पीएम बनते हैं तो भाजपा का इरादा ये दोनों राज्य भी कांग्रेस से छीन लेने का है.
मध्य प्रदेश: 'एक इशारे पर तख्तापलट कर देंगे'
भाजपा की ओर से पश्चिम बंगाल के प्रभारी और मध्य प्रदेश की राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय सरकार गिराने की बात पहले ही कह चुके हैं. भाजपा के महासचिव और अमित शाह के खास विजयवर्गीय ने बयान दिया था कि अगर ऊपर से इशारा मिले तो वह कभी भी मध्य प्रदेश में तख्ता पलट कर सकते हैं. वैसे भी मध्य प्रदेश भाजपा का गढ़ रहा है, जहां इस बार कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है. कांग्रेस ने 113 सीटें जीतीं और भाजपा के खाते में सिर्फ 109 सीटें आईं. दोनों में अंतर काफी कम है. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में सरकार तो बना ली थी, लेकिन हर घड़ी उनके सिर पर तलवार लटकती ही रहती है.
भाजपा ने मध्य प्रदेश में दावा कर दिया है कि कमलनाथ की सरकार अल्पमत में है. भाजपा ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को चिट्ठी लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. जहां एक ओर भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त है कि कमलनाथ बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे, वहीं दूसरी ओर आत्मविश्वास से लबरेज कमलनाथ ने भाजपा के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी सरकार बेहद मजबूत है. उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है.
कर्नाटक : 20 से ज्यादा कांग्रेसी विधायक टूटेंगे !
मौजूदा समय में तो कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार है, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कर्नाटक की सियासत में भूचाल आने की संभावना है. हाल ही में भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा द्वारा दिए गए बयान ने भी कर्नाटक की राजनीति गरमा दी है. उन्होंने कहा था कि 23 मई के बाद 20 से ज्यादा कांग्रेस विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगे. 23 मई आने वाली है. जैसे-जैसे नतीजों की तारीख नजदीक आ रही है, राहुल गांधी की धड़कनें बढ़ती जा रही होंगी. कर्नाटक में पहले ही जेडीएस के नेताओं को अधिक फायदा मिलने से कांग्रेस के नेता नाराज हैं, ऐसे में यदियुरप्पा का बयान कांग्रेस के माथे पर शिकन लाने के लिए काफी है.
एग्जिट पोल के नतीजों की देखें तो भी कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के खाते में 9-11 सीटें जा रही हैं, जबकि भाजपा को 17-18 सीटें मिल रही हैं. 224 सीटों वाले कर्नाटक में 78 सीटें कांग्रेस और 37 सीटें जेडीएस के पास हैं. बसपा के खाते में 1 और अन्य के खाते में 2 सीटें आई हैं. भाजपा के पास 104 सीटें हैं. यानी अगर 8 विधायक भी टूटकर भाजपा में मिल गए तो राज्य में कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन की सरकार गिर जाएगी.
एग्जिट पोल के नतीजों ने पहले ही भाजपा को प्रचंड जीत मिलती दिखाई है. यूं तो कांग्रेस इस एग्जिट पोल को सिरे से नकार रही है, लेकिन अगर एग्जिट पोल में कुछ करेक्शन भी हुए तो भी कांग्रेस दूर-दूर तक नहीं दिख रही है. यूं लग रहा है मानो देश में एक मजबूत विपक्ष भी नहीं रहेगा. लोकसभा चुनाव का जख्म अभी हरा ही है कि इसी बीच कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को लगने वाला झटका किसी सदमे से कम नहीं है. खैर, 23 मई को नतीजे आने के बाद भले ही कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरे या ना गिरे, लेकिन सियासी भूचाल आना तय है.
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