पुलवामा आतंकी हमले पर इमरान खान ने 6 मिनट में कहे 5 झूठ
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पुलवामा आतंकी हमले पर आखिरकार मुंह खोला. और जब खोला तो सिर्फ गीदड़ भबकिया ही दीं. कुछ झूठ भी कहे जिनके बारे में हर किसी को जान लेना चाहिए.
-
Total Shares
आत्मविश्वास से भरे और भयभीत नेता के बीच क्या फर्क होता है, इसे नरेंद्र मोदी और इमरान खान के बयानों से समझा जा सकता है. पुलवामा हमले के बाद भारत का अगला कदम क्या होगा, इसके बारेे में मोदी एक लाइव कार्यक्रम में बिना लाग-लपेट वाले सधे शब्दों में कहते हैं. वहीं आतंकवाद को शरण देने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पांच दिन बाद भी अपना बयान रिकॉर्ड करके जारी करना पड़ता है. 22 कट वाले अपने छह मिनट के वीडियो में इमरान ने वही कहा, जैसा उन्हें पाक आर्मी ने लिखकर दिया.
इमरान खान के हर शब्द ने यह साबित कर दिया कि वे यदि अपनी कुर्सी पर बैठे हैं तो पाक सेना की मेहरबानी से. पुलवामा हमले के 5 दिनों के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस हमले पर अपनी बात रखी. देर से बोलने का कारण भी बताया कि वो नहीं चाहते थे कि देश का फोकस सऊदी क्राउन प्रिंस की कॉन्फ्रेंस से हटकर इस मामले पर चला जाए. यहां एक बात और खास रही कि इमरान खान ने इस हमले में शहीद हुए जवानों के लिए कोई हमदर्दी, दुख या अफसोस नहीं जताया. जान लेते हैं इमरान खान के 5 झूठ जो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहे-
1. पाकिस्तान का हमला करने की क्या जरूरत?
इमरान खान ने कहा कि 'बिना किसी सबूत और बिना ये सब सोचे कि पाकिस्तान का इसमें क्या फायदा है भारत ने पाकिस्तान पर इल्जाम लगा दिया. जबकि उस वक्त पाकिस्तान सऊदी क्राउन प्रिंस के साथ एक जरूरी कॉन्फ्रेंस कर रहा था. भला अपनी कॉन्फ्रेंस खराब करने के लिए पाकिस्तान ये काम क्यों करेगा.'
तो ये बात तो इंटेलिजेंस की ही तरफ से आती है कि खुद का बचाव करने के लिए इसी तरह के कार्यक्रमों की आड़ ली जाती है. आड़ इसलिए जिससे खुद को बेगुनाह बताया जा सके कि हम तो इतने बड़े कार्यक्रम में व्यस्त थे, भला ये कैसे कर सकते हैं. हर चोर चोरी करने से पहले अपने बचाव का रास्ता तो बनाता ही है. इमरान ने भी इसी कॉन्फ्रेंस की आड़ ली. और यही उनका फायदा था.
अगर पाकिस्तान पर किसी तरह का हमला होगा तो पाकिस्तान बदला लेने का सोचेगा नहीं, बल्कि बदला लेगा- इमरान खान
2. पाकिस्तान मजबूत हो रहा है ??
अपना बचाव करते हुए इमरान खान चीख-चीखकर ये कह रहे थे कि 'पाकिस्तान जब 'मजबूत' हो रहा है तब वो इस तरह का काम क्यों करेगा. जब हमारे देश से आतंकवाद नीचे जा रहा है, अमन आ रहा है तो हम क्यों ऐसा करेंगे? नए पाकिस्तान में दहशतगर्दी की कोई जगह नहीं.' तो हमारे हिसाब से तो पाकिस्तान पहले भी भीख पर चलता आया है और अब भी भीख पर ही चल रहा है. यहां तक कि गूगल पर जब भिखारी सर्च करते हैं तो पाकिस्तान के प्रधाननंत्री इमरान खान की तस्वीर दिखाई देती है.
बहरहाल, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत किसी से छिपी नहीं है. जब से अमेरिका ने पाकिस्तान को मदद देने से इंकार कर दिया है तब से इमरान खान दूसरे देशों में जाकर मदद की गुहार लगा रहे हैं. अभी पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा कोष पांच साल के सबसे निचले स्तर 7.8 बिलियन यूएस डॉलर पर है. कुछ ही समय पहले इमरान खान सऊदी अरब गए थे और वहां से 6 बिलियन यूएस डॉलर की मदद लेने में सफल हुए. और भारत से कह रहे हैं कि पाकिस्तान मजबूत हो रहा है. तो इमरान साहब, खैरात से कोई मजबूत नहीं होता.
3. बिना किसी सबूत के पाकिस्तान पर इल्जाम
इमरान बड़ी बेशर्मी से कहते हैं कि 'भारत ने बिना किसी सबूत के पाकिस्तान पर इल्ज़ाम लगाया. इसकी छानबीन करवाना चाहते हैं तो पाकिस्तान तैयार है. अगर पाकिस्तानी इन्वॉल्व है तो हम एक्शन लेंगे, गारंटी देते हैं.'
इमरान किस सबूत की बात कर रहे हैं? सबूत तो वहां दिए जाते हैं जहां साबित करना हो. लेकिन पुलवामा हमले की पूरा जिम्मदारी तो जैश-ए मोहम्मद ने खुद ली है. फिर भी सबूत की बात कर रहे हैं. जैश ए- मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर की हिफाजत खुद पाकिस्तान कर रहा है. 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बारे में भी पाकिस्तान को सबूत दिए गए थे तब भी पाकिस्तान ने कुछ नहीं किया. पाकिस्तान आज भी हाफिज सईद को पाकिस्तान में सुरक्षा दे रहा है. और ये कहते हैं कि ये एक्शन लेंगे...साफ झूठ !
4. कश्मीर पर बोलने वाले तुम कौन?
इमरान कहते हैं कि 'भारत से पाकिस्तान को सबक सिखाने, बदला लेने और सर्जिकल स्ट्राइक करने की बातें कही जा रही हैं. कौन सा कानून किसी शख्स या मुल्क को जज, ज्यूरी या execution की इजाजत देता है.' फिर भी इमरान खान हमारे आंतरिक मामले में टांग अड़ा रहे हैं. कहते हैं कि 'हिंदुस्तान में नई सोच आनी चाहिए, भारत को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या वजह है कि कश्मीर के नौजवान इस स्तर पर पहुंच गए हैं कि वो मौत से नहीं डरते. क्या वहां ऑपरेशन करना, one dimensional जुल्म करना, मिलिट्री के जरिए मसला हल करना जो आज तक कामयाब नहीं हुआ वो आगे कामयाब हो जाएगा?
दूसरों को ज्ञान देने से पहले खुद देख लो कि तुम भी बलूचिस्तान में यही कर रहे हो. जो भारत के लिए कश्मीर है वहीं पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान. भारत हमेशा ख्याल रखता है कि वो दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल न दे. भारत ने कभी इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर बलूचिस्तान का मामला नहीं उठाया, लेकिन पाकिस्तान हमेशा ही कश्मीर के मामले पर बोलता आया है.
5. भारत को हमले का जवाब देंगे ??
बड़े ओवर कॉन्फिंडेंट होकर इमरान खान ने कहा कि अगर पाकिस्तान पर किसी तरह का हमला होगा तो पाकिस्तान बदला लेने का सोचेगा नहीं, बल्कि बदला लेगा. जंग शुरू करना आसान है लेकिन खत्म करना आसान नहीं होता,' जबकि इतिहास गवाह रहा है कि हमला करने की शुरुआत हमेशा पाकिस्तान की तरफ से ही होती आई है. और हमेशा पाकिस्तान ने मुंह की ही खाई है.
'इमरान कहते हैं कि मैं उम्मीद करता हूं कि भारत समझदारी दिखाएगा और इस मसले को बातचीत से हल किया जाएगा.' ये किस मुंह से बातचीत की बात करते हैं जबकि इनकी बात की तो कोई कीमत ही नहीं. 2017 में भारत ने पठानकोट हमले में आतंकियों के पाकिस्तान कनेक्शन से संबंधित सबूत दिए थे. जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत हुई थी. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि 'भारत को इस मसले पर पूरा सहयोग दिया जाएगा. क्षेत्र में आतंकवाद की जड़ों को खत्म करने के लिए हम पूरी तरह भारत के साथ हैं.' फिर भी उसी साल उरी आतंकवादी हमला किया किया. तो जिस पाकिस्तान के पास रीढ़ की हड्डी नहीं वो बातचीत से मसला हल करने की बात करता है.
तो ये था इमरान खान का बड़बोलापन. दुनिया भर से जब प्रेशर आया तब जाकर इन्होंने अपना मुंह खोला और जब खोला तो कहा कि 'इलेक्शन का साल है, ऐसे में पाकिस्तान को सबक सिखाकर आपका फायदा होगा.' बेशर्मी की भी एक हद होती है और इमरान खान ने ये कहकर अपने पद का भी सम्मान नहीं किया.
ये भी पढ़ें-
पुलवामा एनकाउंटर में गाजी कामरान से बड़े दुश्मन की पहचान हुई
इन 'आम लोगों' के भीतर भी छुपा है अतंकवादी!
पुलवामा के शहीद जवानों के परिवार की मदद के लिए सही जगह यहां है...
आपकी राय