रूहानियत यदि 'सुपर साइंस' है तो पाकिस्तान का अल्लाह मालिक है
पाकिस्तानी पीएम इमरान खान और उनके विज्ञान और तकनीकी मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने हाल ही में कुछ ऐसी बातें बोली हैं जो पाकिस्तानी शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल देती है. इस्लाम किस तरह वहां विज्ञान के आड़े आता है, ये देखा जा सकता है.
-
Total Shares
पाकिस्तानी आए दिन अपने आप को दुनिया से बेहतर बताने की होड़ में लगे रहते हैं. भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों से खुद को बेहतर साबित करने की होड़ में पाकिस्तानी नेता न जाने क्या-क्या बयान दे जाते हैं. अभी पीएम इमरान खान के भूगोल और इतिहास के ज्ञान पर सवाल उठने बंद नहीं हुए थे कि पाकिस्तान.. माफ कीजिए 'नया पाकिस्तान' के नए विज्ञान और तकनीकी मंत्री जियो टीवी के टॉक शो 'नया पाकिस्तान' में एक ऐसा दावा कर बैठे कि शायद उन्हें अब पछतावा हो रहा हो.
मंत्री जी ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप यानी Hubble Space Telescope अंतरिक्ष में सुपारको (Suparco) ने भेजा है. दरअसल, सुपारको (Space and Upper Atmosphere Research Commission) पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी है. और हबल टेलिस्कोप अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष में भेजा है. इस टॉक शो में 'चांद को देखने की' (ईद का चांद नहीं बल्कि स्पेस साइंस) की बात हो रही थी और फवाद चौधरी दूरबीन की तकनीक पर बात कर रहे थे.
Hubble Space Telescope was sent into space by Suparco instead of NASA. Just give Fawad Chaudhry Nobel prize for science and technology already! pic.twitter.com/2PRXhx6cBP
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) May 6, 2019
फवाद चौधरी के विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय संभालने की बात को लेकर वैसे भी बहुत से लोगों को आपत्ती थी, लेकिन चौधरी साहब ने कभी भी पाकिस्तान को कम नहीं समझते भले ही इसके लिए उन्हें कितनी भी बड़ी बात बोलनी पड़ जाए.
ये अकेले नहीं हैं जो इस तरह की बातें कर रहे हैं. पाकिस्तानी पढ़ाई ही कुछ ऐसी है जो कहती है कि अधिकतर वैज्ञानिक खोज की ही इस्लाम मानने वालों ने हैं और साथ ही साथ पाकिस्तान हर मामले में आगे है. पाकिस्तानी साइंस में न सिर्फ धर्म बल्कि रूहानियत यानी spirituality (आध्यात्म) को भी विज्ञान ही माना जाता है.
पाकिस्तान के पीएम और कैबिनेट मिनिस्टर आए दिन आंकड़ो और विज्ञान के विपरीत बात बोल जाते हैं.
यकीन नहीं आता? 5 मई को इमरान खान ने एक नई यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया. पाकिस्तान की Al-Qadir University जो साइंस और साथ ही साथ आध्यात्म को सिखाएगी. इस कार्यक्रम में इमरान खान ने कहा कि वो रूहानियत को लेकर एक नई सुपर साइंस बनाएंगे जो कि साइंस से भी बेहतर होगी.
इमरान खान का कहना है कि वो साइंस के अंदर करेक्शन करेंगे यानी विज्ञान में सुधार लाएंगे और लोगों को बताएंगे कि कैसे इस्लाम साइंस से कैसे जुड़ा हुआ है. यहां तक कि बड़े सूफियों का नाम लिया और कहा कि इनके ऊपर रिसर्च की जाएगी. रूहानियत (Spirituality) को एक सुपर साइंस समझते हैं, बल्कि ये साइंस से भी आगे है और इसके ऊपर स्टडी करने की जरूरत है.
Prime Minister Imran Khan speech at inaugural ceremony of Al-Qadar University (5 May 2019) (Part 8)@ImranKhanPTI #AlQadirUniversity #PrimeMinisterImranKhan pic.twitter.com/pNEedPCQgk
— PTI North Punjab (@PtiNorthPunjab) May 5, 2019
ये हालत है पाकिस्तानी साइंस की. अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ नेताओं के कहने की बात है तो मैं आपको बता दूं कि वहां स्कूल के बच्चों की किताबों में भी विज्ञान का कुछ ऐसा ही रूप दिखाया गया है.
पाकिस्तान के जाने माने वैज्ञानिक परवेज़ हूदभॉय ने अपने आर्टिकल्स में कई बार पाकिस्तानी शिक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं और पाकिस्तान में बच्चों को पढ़ाई जा रही गलत साइंस का जिक्र किया है.
पाकिस्तानी विज्ञान की किताबों में पहला चैप्टर 'अल्लाह'..
पाकिस्तानी विज्ञान की किताबों में पहला चैप्टर अल्लाह पर होता है और ये बताया जाता है कि आखिर अल्लाह ने कैसे दुनिया बनाई और कैसे मुसलमानों और पाकिस्तानियों ने साइंस का इजात किया है. परवेज हूदभॉय का कहना है कि पाकिस्तानी किताबों में फिजिक्स, बायोलॉजी सब कुछ अजीबोगरीब तरीके से समझाई जाती है.
परवेज हूदभॉय ने खुद एक के बाद एक कई पाकिस्तानी किताबों का अध्ययन किया और कई बार अपने आर्टिकल्स में लिखा है कि क्या असलियत है वहां की. उदाहरण के तौर पर पाकिस्तान की 10वीं की फिजिक्स की किताब में लगातार धार्मिक आयतें लिखी गई हैं और इसी के साथ फिजिक्स का इतिहास भी थोड़ा सा बताया गया है, लेकिन हंसी की बात ये है कि इस किताब में न्यूटन और आइन्सटाइन का नहीं बल्कि अल-किन्दी, अल-बेरुनी, इब्न-ए-हैथम, ए क्यू खान जैसे लोगों का नाम है. जी हां, फिजिक्स की किताब से न्यूटन ही गायब हैं और मुस्लिम साइंस की बात है.
परवेज़ हूदभॉय की इस्लाम और विज्ञान पर की गई केस स्टडी यहां पढ़ी जा सकती है
यहां तक कि एक अंग्रेजी की विज्ञान की किताब में बिग बैंग थ्योरी का जिक्र ही इस तरह से लिखा गया है कि ये एक पादरी ने बताई थी (George Lamaitre बेल्जियम से) और इसे कभी साबित नहीं किया जा सकता.
यहां तक कि ये भी सिखाया जाता है कि मुस्लिम साइंस के सभी हीरो अपनी वैज्ञानिक खोज को धर्म के आधार पर ही पढ़ पाए. ये तो स्कूलों की बात है, लेकिन मदरसे आदि में तो हालत और खराब है. कई मीडिया रिपोर्ट्स मानती हैं कि वहां विज्ञान में भी यही पढ़ाया जाता है कि जो भी होता है वो अल्लाह की मर्जी से होता है. जैसे वहां विज्ञान पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बताया जाता है कि चांद पृथ्वी के इर्द-गिर्द इसलिए घूमता है कि उसे ऐसा करने के लिए अल्लाह ने कहा है. इसी तरह फिजिक्स की किताब दावा करती है कि कुरान में लिखा है कि जिन्नों के पास असीम शक्ति रहती है और इस शक्ति का इस्तेमाल कर बिजली पैदा की जा सकती है. इसी तरह विज्ञान की किताबों का एक तर्क कहता है कि इन जिन्नों में मौजूद असीम शक्तियों में से एटम (अणु) निकाला जा सकता है जिसका इस्तेमाल विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.
यहां तक कि पाकिस्तानी टीचर ये भी थ्योरी नहीं मानते कि इंसान असल में बंदर से विकसित हुए हैं. जी हां, बच्चे नहीं टीचर. ये रिपोर्ट खुद पाकिस्तानी अखबार ट्रिब्यून ने 2012 में दी थी.
बड़े बच्चों को भी मुस्लिम क्रिएशन के बारे में बताया जाता है और किसी तरह से विज्ञान को धर्म से जोड़ने की कोशिश की जाती है. पाकिस्तानी पढ़ाई का आलम ये है कि नाइजीरिया के बाद पाकिस्तान दूसरा सबसे बड़ा देश है जहां सबसे ज्यादा बच्चे स्कूल जाते ही नहीं हैं.
अब शायद आपको समझने में आसानी होगी कि पाकिस्तानी शिक्षा प्रणाली क्या समझाती है और क्यों पाकिस्तानी पीएम इमरान खान तक कई बार अपने इतिहास, विज्ञान, भूगोल जैसे विषयों की जानकारी को लेकर उपहास का कारण बनते हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
पाकिस्तानी शिक्षा के आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान में 445000 यूनिवर्सिटी ग्रैजुएट और 10 हज़ार कम्प्यूटर साइंस के ग्रैजुएट हर साल निकलते हैं, लेकिन फिर भी दुनिया में लिट्रेसी रेट बहुत कम है. 120 देशों की लिस्ट में पाकिस्तान का नंबर शिक्षा को लेकर 113 आया. अब आप खुद ही सोच लीजिए कि पाकिस्तान में विज्ञान की हालत क्या है. इसका ताज़ा उदाहरण इस बात से समझा जा सकता है कि पूरी दुनिया के कई देश अपने यहां बाल विवाह का कानून बना चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान में हाल ही में संसद में ये कहा गया कि ये इस्लाम के खिलाफ है. बाल विवाह विज्ञान के हिसाब से भी सही नहीं है जहां बच्चियों की कम उम्र में शादी उनके शरीर को लेकर भी खतरा बन सकती है, लेकिन पाकिस्तानी धर्म और विज्ञान इसे शायद मानेगा ही नहीं.
ये भी पढ़ें-
पाकिस्तान में बाल-विवाह कानून के आड़े आ गया 'इस्लाम'
इन दिनों मसूद अज़हर बाकी आतंकियों के लिए 'शर्मा जी का लड़का' है!
आपकी राय