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Updated: 11 अप्रिल, 2022 09:14 PM
प्रभाष कुमार दत्ता
प्रभाष कुमार दत्ता
  @PrabhashKDutta
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अविश्वास मत में हारने वाले पहले पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी को 'पिंकी पीरनी' भी कहा जाता है. कहा जाता है कि वे तंत्र-मंत्र जानती हैं और भविष्य बताती हैं. पाकिस्तान में चर्चा है कि बुशरा बीबी ने चार साल पहले इमरान खान की किस्मत मामूली पहचान वाले उस्मान बुज़दार से जोड़ दी थी. बुशरा बीबी ने इमरान को साफ कर दिया था कि जब तक उस्मान बुज़दार जब तक पंजाब के मुख्यमंत्री बने रहेंगे, तब तक वे पाकिस्तान के प्रधान मंत्री बने रहेंगे. नतीजे में इमरान ने 2018 की चुनावी जीत के बाद उस्मान बुजदार को पंजाब का मुख्यमंत्री बना दिया. और इस फैसले के बचाव में इमरान ने कई दिलचस्प तर्क दिए. उन्होंने दावा किया था कि उस्मान बुजदार पंजाब असेंबली इतने गरीब थे कि उनके घर में बिजली भी नहीं थी. बाद में यह बात झूठी निकली. पाकिस्तान की भ्रष्ट-दागदार सियासी दुनिया में इमरान खान को व्यक्तिगत रूप से 'ईमानदार' नेता के रूप में देखा गया, लेकिन उस्मान बुज़दार की छवि कुछ ऐसी बनी कि उन्होंने हर काम करने के बदले पैसा लिया. उन पर मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए तबादलों और पोस्टिंग के लिए रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगे.

Pakistan, Imran Khan, Shahbaz Sharif, Prime Minister, Army, America, Russiaजैसी परिस्थितियां बनी हैं इमरान खान जनता के सामने अपने को विक्टिम ही दिखा रहे हैं

उस्मान बुज़दार की एक फ्रंटवुमन थी, फराह खान. जिसने कथित तौर पर उनके सभी सौदों को अंतिम रूप दिया, दिलचस्प ये कि फराह इमरान खान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी की 'सबसे करीबी' दोस्त थीं. माना जाता है कि इमरान खान के प्रधान मंत्री कार्यकाल के दौरान फराह खान की निजी संपत्ति में कथित तौर पर भारी उछाल देखने को मिला. इमरान के पीएम बनने से पहले तक फराह की कुल संपत्ति 23.1 करोड़ पाकिस्तानी रुपये थी जिसमें वृद्धि हुई और वो 971 मिलियन रुपये हुई.

2018 में जिस साल इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की शपथ ली थी उस साल फराह खान की टैक्स फाइलिंग कथित तौर पर शून्य थी, लेकिन 2019 में, उस्मान बुजदार के पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद फराह की संपत्ति दोगुनी हो गई. जिस दिन इमरान खान ने नॅशनल असेंबली को भांग किया उस दिन गिरफ्तारी के डर से, फराह कथित तौर पर पाकिस्तान से भाग गई.

मार्च के अंत में नेशनल असेंबली ने जिस दिन इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लिया उसी दिन उस्मान बुज़दार ने पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया. बुज़दार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे. बताया ये भी जाता है कि इमरान खान के करीबी विश्वासपात्रों ने उस्मान बुजदार को हटाने के लिए उन पर दबाव डाला था.

लेकिन अफवाह के तमाम कयासों को सही साबित करते हुए, इमरान खान ने भी उस्मान बुजदार को हटाए जाने के कुछ दिनों के भीतर ही अपनी प्रधान मंत्री की कुर्सी खो दी. कह सकते हैं कि बुशरा बीबी ने पाकिस्तान के पीएम के तौर पर इमरान खान के भाग्य की सही भविष्यवाणी की होगी.

लेकिन एक और उलझन है जिसने इमरान खान को फंसाया है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के बीच आंतरिक प्रतिद्वंद्विता है.

पाकिस्तान की रिपोर्टों से पता चलता है कि फैज हमीद इमरान खान के करीब हो गए और पाकिस्तान में शीर्ष सैन्य पोस्ट पर नजर गड़ाए हुए थे. जनरल बाजवा इस साल के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इमरान खान सेना की अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने का प्रयास कर रहे थे. उन्हें 2018 के संसदीय चुनाव में सेना की पसंद के रूप में देखा जा रहा था. जनरल बाजवा भी विकास के मोर्चे पर इमरान खान सरकार की प्रगति से खुश नहीं थे.

अक्टूबर-नवंबर 2021 में, इमरान खान और जनरल बाजवा उस वक़्त आपस में भिड़ गए जब फैज हमीद की आईएसआई प्रमुख के रूप में नियुक्ति हुई. इमरान खान ने पेपर पर सिग्नेचर करने से इनकार कर दिया था. बाद में फैज़ हमीद को पेशावर कोर का कमांडर नियुक्त किया गया.

जनरल बाजवा के समर्थकों और उनकी अपनी पार्टी सहित इमरान खान के विरोधियों ने इमरान खान पर पाकिस्तान सेना प्रमुख को हटाने के लिए फैज हमीद के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया है. 1998 में नवाज शरीफ की इसी तरह की कार्रवाई उनके लिए अच्छी नहीं रही क्योंकि अगले सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने उन्हें 1999 में एक सैन्य तख्तापलट में अपदस्थ कर दिया था.

इस बार, इमरान खान ने अपने स्वयं के राजनीतिक गठबंधन में समर्थन खो दिया क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने 'तटस्थ' होकर खेला, जिसका अर्थ ये है कि उसने इमरान खान सरकार का समर्थन नहीं किया. कहा जा सकता है कि यह विपक्ष के लिए इमरान खान के राजनीतिक खून के लिए काफी अच्छा गोला-बारूद था.

इमरान खान की 'आखिरी गेंद' तक खेल में बने रहने की उम्मीद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी, उनके सत्तारूढ़ गठबंधन, नेशनल असेंबली और सुप्रीम कोर्ट में निचले क्रम के पतन के कारण एक आपदा बन गई.

जैसा नजारा हमें पाकिस्तान में दिखा है,बुशरा बीबी की भविष्यवाणियों के बारे में आश्वस्त, इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ अपनी लंबी लड़ाई के दौरान एक विपक्षी नेता के रूप में अधिक दिखे. उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने रुख को लेकर अमेरिका द्वारा रची गई विदेशी साजिश का नैरेटिव तैयार किया. उन्होंने अपने दावे का समर्थन करने के लिए अपनी सार्वजनिक रैली में एक पत्र दिखाया. पाकिस्तानी सेना ने इसे फर्जी प्रयास बताया.

लेकिन इमरान खान की रणनीति ने उन्हें जनता के सामने एक विक्टिम के रूप में खड़ा किया है. उन्होंने अपनी छवि को एक नए ब्रश के साथ एक ऐसे लड़ाकू के रूप में चित्रित करने की कोशिश की, जो पाकिस्तान के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान का मुकाबला कर सके. उन्होंने पाकिस्तानी सेना की एक अलग तस्वीर दिखाने की भी कोशिश की कि वह अमेरिकी दबाव के आगे झुकी हुई है.

इमरान खान का लास्ट बॉल का खेल वास्तव में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के रूप में उनकी दूसरी पारी के लिए पिच सेट कर सकता था. पाकिस्तान में अगला संसदीय चुनाव 2023 में होने वाला है. इमरान खान कई पाकिस्तानी शहरों जैसे इस्लामाबाद, लाहौर, रावलपिंडी और अन्य में अपने निष्कासन का विरोध करने के लिए हजारों समर्थकों की भीड़ से राब्ता कायम कर सकते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि इमरान खान के समर्थकों ने भारतीय राजनीति से चौकीदार चोर है का नारा उठाया, ताकि सड़क पर विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तानी सेना को फटकार लगाई जा सके. इमरान खान ने शायद 2018 के चुनाव के लिए अपना नारा नया पाकिस्तान तैयार किया होगा.

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लेखक

प्रभाष कुमार दत्ता प्रभाष कुमार दत्ता @prabhashkdutta

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्टेंट एडीटर हैं.

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