जब इमरान खान में समा गया जाकिर नाइक, हाफिज सईद और आसिफ गफूर
संयुक्त राष्ट्र महासभा में इमरान खान ने वही प्रोपेगेंडा फैलाया, जो जाकिर नाइक, हाफिज सईद और आसिफ गफूर अपनी-अपनी भूमिका में फैलाता है.
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प्रधानमंत्री मोदी के बाद पाक पीएम इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया. अपने भाषण में पीएम इमरान खान ने उन्हीं मुद्दों पर वही बातें बोली जिसकी हमने संभावना पहले जता दी थी. उनका भाषण मूल रूप से इस्लाम, आतंकवाद और भारत पर केंद्रित था. उनके भाषण में तीन कैरेक्टर समाहित थे. पहला आतंकियों के गुरू जाकिर नाइक, दूसरा मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद और तीसरा पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफूर. इन तीनों शख्सियतों की इस्लाम, आतंकवाद और पाकिस्तान में अपनी-अपनी भूमिका है. इमरान खान जब बोल रहे थे तो मानो वो इन तीनों के विचारों को आगे बढ़ा रहे थे. या कहें तो दुनिया में इन तीनों के विचारों को रिप्रजेंट कर रहे थे. तो आइये समझते हैं कि इस्लाम, आतंकवाद और पाकिस्तान में इन तीनों की क्या भूमिका है और इमरान खान कैसे उस भूमिका को मजबूत कर रहे थे.
जाकिर नाइक की भूमिका में इमरान
जाकिर नाइक, भारत ही नहीं अब ये पूरी दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है. जाकिर नाइक भारत में इस्लामिक रिसर्च फांउडेशन और पीस टीवी चैनल का संस्थापक भी है. वो इस्लामिक गुरू के तौर पर अंग्रेजी में व्याख्यान देता है. धर्म गुरू होने के बावजूद मुसलमानों के परंपरागत पहनावे के बजाय सूट-बूट पहनता है. लेकिन जाकिर नाइक का मुख्य पेशा है इस्लाम के नाम पर युवाओं को बरगलाना. वो इस्लाम का अपने हिसाब से व्याख्या कर जेहाद और आतंकवाद जैसे मानवता के खिलाफ काम करने वाली शक्तियों का बचाव करता है. अब सोच रहे होंगे कि इमरान खान के UNGA संबोधन में मैं जाकिर नाइक का बायोडाटा क्यों पेश कर रहा हूं.
इमरान खान ने UNGA संबोधन में सबसे पहले इस्लाम का ज्ञान दिया
इसका जवाब है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया तो उन्होंने अपने भाषण के पहले भाग में बिल्कुल उसी तरह की बातें की जो जाकिर नाइक करता रहा है. मसलन उन्होंने भी पहले बहुत देर तक संयुक्त राष्ट्र महासभा में बैठे दुनियाभर के देशों के प्रतिनिधियों को इस्लाम का ज्ञान दिया. मानो वो वहां इस्लाम का प्रचार करने गए हों. मसलन इस्लाम है क्या? इस्लाम की धारणा क्या है? इस्लाम का उद्देश्य क्या है और इस्लाम दुनिया के लिए कितना महत्वपूर्ण है? अपने भाषण में उन्होंने दुनिया को इस्लामिकफोबिया से ग्रसित बता दिया. खासकर पश्चिमी देश जहां बड़ी तादाद में मुसलमान अल्पसंख्यक के रूप में रहते हैं वहां उन्हें इस्लामिकफोबिया का शिकार होना पड़ रहा है और 9/11 के बाद इसमें खतरनाक वृद्धि हुई है. यही वो बातें हैं जो जाकिर नाइक बोलकर मुस्लिम युवाओं को भड़काता है. साथ ही इमरान खान ने इस्लामिक चरमपंथियों का भी ये कहकर बचाव किया कि इस्लाम में कट्टरपंथ जैसी कोई चीज ही नहीं है. इस्लाम को गलत तरीके से बदनाम किया जा रहा है. अगर छोटी-मोटी समस्याएं हैं भी तो वो सभी धर्मों में हैं.
ये बात उस देश का प्रधानमंत्री बोल रहा था जिसके नाम की शुरुआत ही 'इस्लामिक रिपब्लिक' से होती है. जिस देश का जन्म ही कट्टरपंथ और धर्मांधता की बुनियाद पर हुआ है. दरअसल इमरान खान इन बातों के जरिए पाकिस्तान के हर उस कृत्य को ढंकने का प्रयास कर रहे थे जो वहां धर्म के नाम पर हो रहा है. वो इस बात पर परदा डाल रहे थे कि पाकिस्तान में इस्लाम के नाम पर अल्पसंख्यकों के वजूद को ही मिटाया जा रहा है. वो ये भी छुपाना चाह रहे थे कि पाकिस्तान में इस्लामी चरमपंथ अपनी हद तक जाकर अपने ही धर्म के शियाओं और अहमदियों को मिटाने पर तुला हुआ है. यानी वो बिल्कुल जाकिर नाइक की तरह इस्लामिक चरमपंथ की मानसिकता का ना सिर्फ बचाव कर रहे थे, बल्कि उसको बढ़ावा भी दे रहे थे.
हाफिज सईद की भूमिका में इमरान
हाफिज सईद कौन है मुझे नहीं लगता है कि उसके बारे में कुछ बताने की जरूरत है. इसलिए हम सीधे ये बताते हैं कि इमरान खान कैसे इस ग्लोबल आतंकवादी के विचारधारा को आगे बढ़ा रहे थे.
इमरान खान अपने भाषण के दूसरे भाग में पूरी तरह मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद की भूमिका में नजर आ रहे थे. जब उन्होंने अफगान वार का हवाला देते हुए उसे आजादी की लड़ाई साबित करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ का कब्जा था तो अमेरिका ने मुजाहिदों (आजादी के लिए लड़ने वाले लड़ाके) को समर्थन दिया. उस दौरान सोवियत उसे आतंकवादी मानते थे जबकि अमेरिका मुजाहिद. आज उसी मुजाहिद को अमेरिका आतंकवादी मानता है, जो विदेशी ताकतों से मुक्ति के लिए लड़ रहा है.
ये उसी पाकिस्तान का पीएम बोल रहा था जिस देश में आजादी की लड़ाई लड़ रहे बलूचों और पश्तूनों को आतंकवादी कहकर निर्मम हत्याएं हो रही हैं.
इतना ही नहीं, उन्होंने इस्लामिक कट्टरपंथ का बचाव करते-करते भारत में हिंदू कट्टरपंथ होने की बात कह दी. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं. यहां मोदी सरकार फासिज्म को फॉलो करती है. पीएम मोदी RSS के कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं. जहां मुसलमान अपनी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है.
मतलब साफ है कि एक तरफ इमरान खान तालिबानियों को मुजाहिद बताकर उसके आतंकी कृत्यों का बचाव कर रहे थे जो हाफिज सईद भी करता है. वो इसी आधार पर भारत में आतंकी हमले करवाकर कश्मीर में आजादी की लड़ाई लड़ने की बात कहता है. इमरान खान की तरह ही हाफिज सईद भी भारत में मुसलमानों को खतरे में बताकर मुस्लिमों युवाओं को जेहाद के लिए उकसाता है.
इमरान खान जब आतंकियों को मुजाहिद कहकर बचाव कर रहे थे तो वो भूल गए थे कि उनके कथित मुजाहिद जब आजादी की लड़ाई के नाम पर जब काबूल, कंधार से लेकर दिल्ली और मुंबई में खून की होली खेलते हैं, तो वो आजादी की लड़ाई नहीं बल्कि इंसानियत और मानवता के खिलाफ लड़ाई होती है.
आसिफ गफूर की भूमिका में इमरान
आसिफ गफूर, जो पाकिस्तानी सेना के DG ISPR और प्रवक्ता भी हैं. वो भारत पर अक्सर बेजा आरोप लगाकर जंग में करारा जवाब देने की बात करते हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में इमरान खान भी कुछ ऐसा ही कर रहे थे. सबसे पहले तो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तर्ज पर उन्होंने कश्मीर को लेकर भारत पर खूब आरोप लगाए. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कश्मीर में भारतीय सेना नरसंहार कर रही है. वहां महिलाओं के साथ रेप हो रहे हैं. कश्मीर में पूरी मानवता ही खतरे में है.
इसके बाद आखिर में वो वही बोले जो पाकिस्तान में बच्चो से लेकर वहां के नेतृत्व तक के दिमाग में भरा हुआ है, यानी न्यूक्लियर जंग. एक ऐसी जंग जिसमें पाकिस्तान का बच्चा-बच्चा अपनी आखिरी सांस तक लड़ेगा और इसके लिए जिम्मेदार होगा संयुक्त राष्ट्र संघ. मतलब ऑक्सफॉर्ड से पढ़कर आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आखिर में न्यूक्लियर गीदड़भभकी देकर ये बता ही दिया कि पाकिस्तान में कोई चाहे जितना भी पढ़ ले, लेकिन वो आखिर में सोचेगा और बोलेगा आतंक की ही भाषा. वो भाषा जो पूरी इंसानियत के लिए खतरा है.
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