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Updated: 10 दिसम्बर, 2015 07:10 PM
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बिहार के नतीजे से देश की सियासत में जो भी समीकरण बनें, बीजेपी अब असम के नतीजों से ही आगे की रणनीति तैयार करेगी. ये भी साफ है कि दिल्ली और बिहार की तरह बीजेपी बगैर स्थानीय चेहरे के तो चुनाव नहीं ही लड़ने जा रही. रणनीति के मामले में भी काफी फर्क होगा लेकिन हिंदुत्व के मामले में स्टैंड में कोई तब्दीली नहीं आनेवाली.

बीजेपी का चेहरा

2014 के लोक सभा चुनाव के बाद बीजेपी ने तीन चुनाव जीते, लेकिन न तो महाराष्ट्र, न हरियाणा और न ही झारखंड में उसने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया. यही तरीका बीजेपी ने बिहार में भी अपनाया. हां, दिल्ली में किरण बेदी को लेकर नया एक्सपेरिमेंट रहा - और वो भी नाकाम साबित हुआ.

आगे से अब बीजेपी ऐसा कतई नहीं करने जा रही. जैसी की खबरें आ रही हैं असम में सर्बानंद सोनवाल को बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की तैयारी चल रही है. सोनवाल फिलहाल केंद्र सरकार में खेल मंत्री हैं - और अभी पिछले ही महीने उन्होंने असम बीजेपी का अध्यक्ष पद भी संभाला है. सोनवाल को चुनाव मैनेजमेंट कमेटी का चेयरमैन भी बनाया गया है.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष रह चुके सोनवाल, नई जिम्मेदारी मिलने के बाद से हर समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में जुट गए हैं.

असम का एजेंडा

बीफ और असहिष्णुता पर जारी बहस थमने की बजाए और जोर ही पकड़ती जा रही है. बिहार में बीजेपी को वोटों के ध्रुवीकरण से फायदे की उम्मीद रही होगी लेकिन उस पर पानी फिर गया. इसलिए बीजेपी अब फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रही है.

असम में, 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 34 पर्सेंट है. असम का विपक्षी दल एआईयूडीएफ यानी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता बदरुद्दीन अजमल मुस्लिम होने के साथ साथ बांग्लादेशी मुस्लिमों के हितों के हिमायती माने जाते हैं. पिछले चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से मतभेद के चलते उन्होंने नाता तोड़ लिया था.

अजमल और गोगोई को साथ लाने की कोशिशें चल रही हैं, लेकिन गोगोई भी अपनी बात पर अड़े हैं. महागठबंधन के ही मकसद से नीतीश कुमार ने अपने शपथग्रहण के मौके पर अजमल को खुद फोन करके खासतौर पर बुलाया था.

अगर एआईयूडीएफ और कांग्रेस को मिलाकर कर महागठबंधन बन जाता है तो ये बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा करेगा. बीजेपी की असल चिंता भी यही है. सोनवाल इसीलिए इन दिनों हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करने लगे हैं.

खुद बीजेपी भी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट और असम गण परिषद से गठबंधन के लिए बात कर रही है. बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के नेता बिस्वजीत डिमरी की हाल में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात को भी इस दिशा में अहम कदम माना जा रहा है.

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