प्रियंका गांधी ने खुद को सीएम फेस घोषित कर दिया, किसी और कांग्रेस महासचिव में हिम्मत होती?
जब प्रियंका गांधी से पूछा गया कि यूपी में कांग्रेस का सीएम फेस कौन होगा, तो उन्होंने जवाब दिया कि क्या आपको मेरे सिवाय कोई चेहरा दिखता है. इस जवाब ने सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसों को सकते में डाल दिया होगा. दोनों ने अपने दम पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी, लेकिन सीएम किसी और को बना दिया गया.
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'अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना' मुहावरों और लोकोक्तियों के देश भारत में एक आप मुहावरा हो सकता था. लेकिन जब हम इसे यूपी के संदर्भ में देखें तो मिलता है कि इसकी रचना शायद कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी में भी प्रियंका गांधी के लिए हुई है. इतना अचरज में क्या ही पड़ना यूपी चुनाव में यदि कांग्रेस इतिहास रचने में कामयाब होती है तो वो प्रियंका गांधी ही होंगी जिनकी पांचों अंगुलियां घी और सिर कड़ाई में होगा. मुख्यमंत्री प्रियंका ही बनेंगी. न ये बातें हम अपनी तरफ से नहीं कह रहे. दरअसल यूपी चुनावों के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी करने के बाद प्रियंका मीडिया से मुखातिब हुईं. सवाल मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर हुआ और प्रियंका ने खुद अपने नाम की घोषणा कर दी. क्योंकि पार्टी खुद के घर से चल रही है. मां सोनिया गांधी पार्टी की संरक्षक और हाई कमान की भूमिका में हैं. भाई राहुल अध्यक्षी पर काबिज होकर अपने जौहर दिखा ही चुके हैं. ऐसे में यदि प्रियंका ख़ुद को मुख्यमंत्री बता भी दें तो हमे हैरत में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए.
यूपी के लिए खुदको सीएम फेस बताकर प्रियंका गांधी ने पार्टी के दूसरे नेताओं को गफलत में डाल दिया है
बात सीधी साफ और दो टूक है. चुनावों से ठीक पहले प्रियंका ने ख़ुद को सीएम फेस घोषित कर दिया है. तमाम लोग है जो अलग अलग राज्यों में कांग्रेस पार्टी के महासचिव की भूमिका निभा रहे हैं. पार्टी में तमाम लोग ऐसे भी रहे हैं जो चाहे अच्छे से या फिर बुरे से इस भूमिका का निर्वाह कर चुके हैं. सवाल ये है कि क्या कोई और महासचिव ऐसी हिम्मत कर पाता₹ सीएम जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए अपना खुद का नाम प्रस्तावित कर देता?
बताते चलें कि घोषणापत्र जारी करने के बाद प्रियंका मीडिया से रू-ब-रू हुईं थीं. प्रोग्राम में आए पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि यूपी चुनाव में कांग्रेस पार्टी का चेहरा कौन है? पत्रकार ने प्रियंका से सवाल किया कि क्या यूपी में भी पंजाब की तरह कलेक्टिव लीडरशिप के तहत चुनाव लड़ा जाएगा? इस सवाल के जवाब में प्रियंका ने सवाल किया, और कोई दिख रहा है क्या? चारों तरफ तो एक ही चेहरा दिख रहा है, फिर इस प्रकार का सवाल कहां उठाता है
#WATCH Do you see anyone else's face from the Congress Party in Uttar Pradesh? You can see my face everywhere: Congress leader Priyanka Gandhi Vadra on being asked about the chief ministerial face of Congress in the upcoming UP Assembly elections pic.twitter.com/NOt1uZKBU6
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 21, 2022
इशारों इशारों में प्रियंका ने घोषणा कर दी यदि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में करिश्मा कर दिया तो मुख्यमंत्री का ताज और किसी के नहीं बल्कि उनके सिर आएगा.सवाल चूंकि पंजाब को भूमिका में रखकर उत्तर प्रदेश के लिए पूछा गया है तो बताना बहुत जरूरी हो जाता है कि पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी दोनों ही मुख्यमंत्री के दावेदार हैं. ऐसे में लखनऊ में मुख्यमंत्री पद को लेकर जो बातें प्रियंका ने कही हैं वो खुद में बड़ी महत्वपूर्ण हैं.
क्योंकि बात चेहरे की हुई है और राजनीति में हर पहली बात दूसरी बात से ताल्लुख रखती है इसलिए सवाल के बाद जो जवाब प्रियंका गांधी ने दिया उसे सुनकर सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे लोग भौचक्के होकर सकते में आ गए होंगे. हो सकता है ये बात कंफ्यूज कर दे या फिर किसी प्रकार की गफलत में डाल दे तो इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा और उस वक़्त को याद करना होगा जब राजस्थान और मध्यप्रदेश में चुनाव हुए थे.
बात उन चुनावों की हो तो जहां एक तरफ राजस्थान का मोर्चा सचिन पायलट ने संभाल रखा था वहीं मध्य प्रदेश का पूरा दारोमदार ज्योतिरादित्य सिंधिया के कंधों पर था. दोनों ही राज्यों में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी. ध्यान रहे राजस्थान में वसुंधरा राजे के खिलाफ चेहरा जहां सचिन थे तो वहीं मध्य प्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण लोहे के चने चबाने पर मजबूर थे.
चाहे वो सिंधिया हों या फिर पायलट जैसी मेहनत दोनों नेताओं ने बतौर महासचिव की महसूस यही हो रहा था कि अगर मेहनत कामयाब हुई तो कांग्रेस इन्हें ईनाम से नवाजेगी और मुख्य मंत्री की कुर्सी देगी. परिणाम आए और कांग्रेस से इतिहास रचा लेकिन चाहे वो सिंधिया रहे हों या पायलट दोनो को कम दिया गया. कम में संतोष रखने को कहा गया. गहलोत को राजस्थान का और कमलनाथ को मध्य प्रदेष का ताज मिला और पायलट और सिंधिया दोनों ने मुंह की खाई.
उस घटना से आहत सिंधिया कांग्रेस का हाथ छोड़ चुके हैं वहीं जैसा गतिरोध राजस्थान में है कब सचिन पायलट के पार्टी छोड़ने की खबर आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. बहरहाल सिंधिया और पायलट दोनों ही फेस माने जा रहे थे लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री की मलाई किसी और को मिली कांग्रेस पार्टी को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. लेकिन कांग्रेस में चाहे वो राहुल गांधी रहे हों या प्रियंका किसी ने एक परवाह न की.
प्रियंका जानती हैं कि कांग्रेस मतलब उनका घर और यूं भी एक बड़ी मजेदार कहावत है. जिसके अनुसार सैयां भये कोतवाल, अब डर काहे का. ऐसे में यूपी कांग्रेस में कोतवाल की भूमिका में प्रियंका ही हैं तो मलाई पर भी सबसे पहला हक किसी और का नहीं बल्कि उनका खुद का है.
भले ही अभी इस बात की कोई घोषणा न हुई हो कि प्रियंका चुनाव लड़ेंगी तो कहां से लड़ेंगी. लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री के लिए उन्होंने खुद का नाम आगे किया कांग्रेस पार्टी का असली चाल चरित्र और चेहरा हमारे और जनता दोनों के सामने है. अब जनता पर निर्भर है कि वो प्रियंका के इस अंदाज को कैसे और किस तरह लेती है.
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