पश्चिम बंगाल में पार्थ चटर्जी-अर्पिता मुखर्जी ने जादू के खेल को भी मात दे दी है!
शिक्षक भर्ती घोटाले के तार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी परेशान कर रहे हैं. क्योंकि उनके नजदीकी और राज्य सरकार में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है. जो 2016 में हुए घोटाले के वक्त शिक्षा मंत्री थे. ईडी ने उनकी तथाकथित सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर भी रेड की.जहां भारी मात्रा में कैश मिला है.
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बंगाल जादू के लिए भी मशहूर है और जादूगरी से आपने नोट बनते या प्रकट होते हुए भी देखे होंगे. लेकिन 2000 और 500 रूपये के नोटों के बंडल और करोड़ों रूपये भी आप देख लीजिये...ये जादू किया है ED यानि प्रवर्तन निदेशालय ने. जादू नहीं बल्कि ED ने ये करोड़ों रूपये जब्त किए हैं पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े कुछ ठिकानों की छापेमारी में. ED ने ट्विटर पर भी यही लिखकर जानकारी साझा की है. शिक्षक भर्ती घोटाले के तार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC प्रमुख ममता बनर्जी को भी परेशान कर रहे हैं. क्योंकि उनके नजदीकी और राज्य सरकार में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है. जो 2016 में हुए घोटाले के वक्त शिक्षा मंत्री थे. पार्थ चटर्जी जो पार्थ चट्टोपाध्याय के नाम से भी जाने जाते हैं, इनकी ही एक तथाकथित सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर भी ED ने रेड की. इसमें संख्या 20 और 21 का भी जादू है, उसकी भी बात करता चलूं.
पश्चिम बंगाल में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले ने पूरे देश को हैरत में डाल दिया है
अर्पिता मुखर्जी के घर से छापे में 21 करोड़ 20 लाख रूपये कैश बरामद किए गए हैं. जिसमें बंगाल के शिक्षा विभाग के नाम वाला लिफाफा मिलने की बात भी कही गई है और उसमें भी नोट भरे थे. इसके अलावा अर्पिता के घर से 20 फोन बरामद हुए हैं. जैसा हमने आपको बताया कि 2016 में ये पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ था, उसमें भी 20 शिक्षकों की भर्ती का मामला है. जिसे एक बार लिस्ट जारी करने के बाद वापस लिया गया और फिर जब दूसरी लिस्ट जारी हुई तो उसमें 20वें नंबर वाली उम्मीदवार बबीता का नाम 21वें नंबर पर वेटिंग में चला गया और नंबर वन पर आ गईं वो उम्मीदवार जो पहले लिस्ट में थीं ही नहीं.
उनका नाम है अंकिता अधिकारी और वो बेटी हैं परेश अधिकारी की. जो उस वक्त तो विधायक थे लेकिन फिलहाल पश्चिम बंगाल सरकार में शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री हैं. अब इन अधिकारी जी और कई सारे लोगों पर भी ED की कार्रवाई यानी छापेमारी चल रही है. तो है ना इस घोटाले में 21 और 20 का भी जादू? पश्चिम बंगाल सरकार में उद्योग और वाणिज्य मंत्री पार्थ चटर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं.
सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने पार्थ और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को PMLA कोर्ट में पेश किया. ED ने दोनों की 14 दिन की कस्टडी मांगी. इसके साथ ही कई चौंकाने वाली जानकारियां भी कोर्ट के साथ शेयर कीं. ED की तरफ से कोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ASG ने पक्ष रखा और कोर्ट को बताया कि, ‘ED को अर्पिता के घर से 21 करोड़ 20 लाख रुपये की नकदी बरामद हुई थी.
नोट गिनने के लिए दो मशीनें मंगानी पड़ी थीं. इसके साथ ही उनके घर से 79 लाख का गोल्ड और 54 लाख की विदेशी मुद्रा भी मिली थी. 100 करोड़ रुपए और बरामद हो सकते हैं. ये बहुत बड़ा स्कैम है. इसमें कई लोग शामिल हैं. ऐसे में दोनों से पूछताछ की जानी जरूरी है.’
ED ने बताया कि फर्जीवाड़े को पार्थ चटर्जी ने अपनी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के जरिए अंजाम दिया. ED की तरफ से कोर्ट में ASG ने कहा – ‘प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी वित्तीय गड़बड़ी के लिए करीब 12 फर्जी कंपनियां चला रही थी. हम इनकी फुल कस्टडी की मांग करते हैं. इस घोटाले में अपात्र अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटे गए हैं और उन्होंने रिश्वत दी है.
ED ने पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर पर तलाशी ली है. इस दौरान ज्वाइंट सेल डीड भी मिली है. सेल डीड में संयुक्त नामों का भी जिक्र है. इस संपत्ति को पार्थ ने 2012 में खरीदा था. अर्पिता ने पूछताछ के दौरान ये स्वीकार भी किया कि नकदी पार्थ की है. इन पैसों को अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी कंपनियों में लगाने की योजना थी. नकद राशि भी एक-दो दिन में उसके घर से बाहर ले जाने की योजना थी.
अर्पिता के फ्लैट के दस्तावेज पार्थ के घर से बरामद किए गए हैं. पार्थ लगातार अर्पिता मुखर्जी के संपर्क में रहते थे. दोनों संयुक्त नामों से खरीदारी कर रहे थे.’ऐसी खबरें हैं कि कुछ समय के लिए अभिनेत्री रह चुकीं अर्पिता मुखर्जी 2019 और 2020 में पार्थ चटर्जी की दुर्गा पूजा समिति के प्रचार अभियानों का चेहरा थीं.
इस बीच, ED ने कोर्ट में पार्थ चटर्जी की शिकायत भी की. ED ने आरोप लगाया कि पार्थ जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. पार्थ ने अपनी गिरफ्तारी के कागजों पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया था. इस बीच, पार्थ चटर्जी को पहले भुवनेश्वर के AIIMS से डिस्चार्ज कर दिया गया. इसके बाद पार्थ कोलकाता पहुंच गए हैं. अब ED कोलकाता में उनसे पूछताछ करेगी. कोलकाता के SSKM अस्पताल के डॉ. तुषार कांति पात्रा के मुताबिक पार्थ चटर्जी की हालत में सुधार है, उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है.
दरअसल, ED ने शनिवार सुबह जब पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था तब उन्होंने स्वास्थ्य खराब होने का हवाला दिया. इसके बाद दो डॉक्टरों की टीम भी मौके पर पहुंची थी और गिरफ्तारी के बाद उन्हें मेडिकल के लिए ले जाया गया था और उसके बाद भुवनेश्वर के AIIMS में वो डॉक्टरों की देखरेख में रहे.कोर्ट ने सुनवाई के बाद पार्थ और अर्पिता को 3 अगस्त तक ED की कस्टडी में भेज दिया है.
ED को पार्थ के घर से कई अहम दस्तावेज मिले हैं. जांच एजेंसी ने आजतक को बताया कि मंत्री के घर से क्लास सी और क्लास डी सेवाओं में भर्ती के उम्मीदवारों से संबंधित दस्तावेज मिले हैं. एजेंसी ने बताया कि सबूतों से पता चलता है कि पार्थ चटर्जी सक्रिय रूप से ग्रुप डी के कर्मचारियों की नियुक्ति में शामिल हैं. उनके घर से ग्रुप डी उम्मीदवारों की लिस्ट, क्षेत्रीय स्तर चयन परीक्षा का प्रवेश पत्र, 2016 के समापति ठाकुर नामक उम्मीदवार का गैर-शिक्षण स्टाफ (ग्रुप डी) के लिए एप्लीकेशन, रोल नंबर के साथ उच्च प्राथमिक शिक्षक पद के लिए 48 उम्मीदवारों की सूची भी मिली है.
इसके अलावा ग्रुप डी स्टाफ की भर्ती से संबंधित अन्य दस्तावेज और भर्ती के लिए बनाए गए फाइनल रिजल्ट की समरी, उम्मीदवारों के एडिमट कार्ड और इंद्रनील भट्टाचार्य नामक उम्मीदवार के लिए प्रशंसापत्र और व्यक्तिगत परीक्षण के लिए सूचना पत्र भी बरामद किया गया है.
ED के मुताबिक पार्थ चटर्जी ने पश्चिम मेदिनीपुर में BC International School के नाम पर बड़ी संपत्ति अर्जित की थी. इस अंग्रेजी मीडियम स्कूल की देखरेख पार्थ चटर्जी के दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य के मामा कृष्ण चंद्र अधिकारी करते हैं. पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के अलावा ED पार्थ भट्टाचार्य के दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य, कल्याणमय भट्टाचार्य के रिश्तेदार कृष्ण चंद्र अधिकारी, टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य, पीके बंदोपाध्याय, टीचरों की नौकरी बेचने में एजेंट चंदन मंडल, पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के सलाहकार डॉ. एसपी सिन्हा, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली, पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सौमित्र सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग के उप निदेशक आलोक कुमार सरकार के यहां छापेमारी कर रही है.
साथ ही ED के रडार पर हैं प. बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी जिनकी बात हमने शुरुआत में की थी. ये समझने के लिए हमें पूरा मामला समझना होगा कि आखिर पश्चिम बंगाल का ये शिक्षक भर्ती घोटाला है क्या ?
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग ने शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर नियुक्तियों के लिए 2016 में परीक्षा आयोजित की थी जिसमें 20 उम्मीदवारों का चयन होना था.
परीक्षा के परिणाम नवंबर 2017 में आए और उसमें सिलीगुड़ी की बबिता सरकार का नाम टॉप 20 उम्मीदवारों में शामिल था. बबीता 20वें नंबर पर थीं.
आयोग ने ये सूची रद्द कर दी. बाद में दोबारा लिस्ट निकली उसमें बबिता सरकार का नाम वेटिंग लिस्ट में चला गया.
नई लिस्ट में बबिता 21वें नंबर पर आ गईं और पहले नंबर पर आ गईं अंकिता अधिकारी जो परेश अधिकारी की बेटी हैं. परेश उस समय विधायक थे लेकिन अब शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री हैं.
नई लिस्ट में वेटिंग में चले जाने के बाद बबिता सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी और हाई कोर्ट ने आयोग से दोनों की नंबर शीट मांगी.
नंबर शीट से पता चला कि 16 नंबर कम होने के बाद भी विधायक परेश अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी का नाम टॉप पर आ गया और बबिता सरकार 21वें नंबर पर खिसक गईं.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि अंकिता अधिकारी को नौकरी से हटाया जाए और उनको मिला पूरा वेतन वसूला जाए. वेतन वसूल कर पैसा बबिता सरकार को दिया जाए और उसे नौकरी पर रखा जाए.
आदालत ने एक जांच आयोग बैठा दिया. अदालत ने पहले इस कथित घोटाले की जांच के लिए न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी.
बाग समिति ने ग्रुप-डी और ग्रुप-सी पदों पर नियुक्तियों में भी अनियमितता पाई थी. समिति ने कहा था कि ग्रुप-सी में 381 और ग्रुप-डी में 609 नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं.
समिति ने राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की थी.
अदालत ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.
पश्चिम बंगाल के शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी और उनकी बेटी पर CBI ने केस दर्ज किया था. वहीं मंत्री पार्थ चटर्जी से भी CBI दो बार पूछताछ कर चुकी है. पहली बार पूछताछ 25 अप्रैल, जबकि दूसरी बार 18 मई को की गई थी. शुक्रवार 23 जुलाई को पश्चिम बंगाल के दोनों मंत्रियों पार्थ चटर्जी और परेश अधिकारी के घरों पर छापेमारी की गई.
स्कूल शिक्षा विभाग की पूरी भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी. ग्रुप सी में सभी क्लर्क की पोस्ट शामिल हैं, जिसमें प्रति माह 22,700 रुपये के शुरुआती वेतन है. परिचारकों को 17,000 रुपये के मासिक वेतन के लिए ग्रुप डी स्टाफ के रूप में काम पर रखा जाता है. इसके लिए भी पद निकाले गए और परीक्षा हुई. अब ये जानिये कि - ये घोटाला आखिर किया कैसे गया?
जांच में सामने आया कि अधिकारियों ने चुनिंदा उम्मीदवारों को अपनी ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं के लिए आरटीआई आवेदन दाखिल करने और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करने को कहा.
आवेदकों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आरटीआई दाखिल की. अधिकारियों ने तब कथित तौर पर कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाकर उन्हें उच्च रैंक देने के लिए ओएमआर शीट में हेरफेर की.
अधिकारियों ने असफल उम्मीदवारों को नियुक्ति सूची में लाने के लिए कथित तौर पर जाली अंक भी बनाए. अंक बदलने के बाद ओएमआर शीट को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया.
समिति के सदस्य और हाईकोर्ट के वकील अरुणव बनर्जी ने बताया कि मूल रूप से, कुछ उम्मीदवारों के स्कोर को बढ़ाने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया.
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इन ईडी के छापों को केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए एक चाल बताया और इस मुद्दे में किसी भी भूमिका से इनकार किया. दूसरी तरफ बीजेपी ने दावा किया है कि सीबीआई और ईडी ‘सही रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं.’ पार्थ चटर्जी की एक और करीबी ED की रडार पर हैं. जानकारी के मुताबिक, काजी नजरूल यूनिवर्सिटी में बांग्ला की प्रोफेसर मोनालिसा दास तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी हैं. उधर, भाजपा नेता दिलीप घोष ने भी कुछ ऐसा ही दावा किया है.
अर्पिता के घर से बरामद हुए रुपयों और मोनालिसा को लेकर बीजेपी नेता दिलीप घोष ने कहा है कि अर्पिता मुखर्जी के घर से 21 करोड़ रुपये बरामद हुए और 3 फ्लैट भी मिले. वहीं प्रोफेसर मोनालिसा दास के भी शांतिनिकेतन में 10 फ्लैट हैं.
3 flats and Rs. 21 crore were recovered from Arpita Mukherjee. On the other hand, professor Monalisa Das has 10 flats in Santiniketan. pic.twitter.com/LuqMorAD49
— Dilip Ghosh (@DilipGhoshBJP) July 23, 2022
TMC से ही बीजेपी में आए भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने 2019 की दुर्गा पूजा की तस्वीर शेयर की है, जिसमें सीएम ममता बनर्जी, पार्थ चटर्जी और उनकी सहायक अर्पिता मुखर्जी एक साथ नजर आ रहे हैं. अधिकारी ने कहा, ये तो बस ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है.
“Guilty by Association” - A legal phenomenon used to describe when an individual is guilty of committing a crime through knowing someone else.Just saying.Yeh toh bas trailer hai, picture abhi baki hai... pic.twitter.com/4fM9gbLWrq
— Suvendu Adhikari • শুভেন্দু অধিকারী (@SuvenduWB) July 22, 2022
उसी दौरान का एक वीडियो भी सुवेंदु अधिकारी ने साझा किया है. जैसा कि हमने आपको बताया था कि अर्पिता ने कुछ वक्त के लिए फिल्मों में काम किया है तो आपको बता दें कि वो उड़िया फिल्मों में भी सक्रिय रही थीं.. सुवेंदु अधिकारी के उस ट्वीट किए वीडियो में ममता बनर्जी भी एक सभा के दौरान मंच पर अर्पिता को संबोधित करते हुए दिखाई पड़ रही हैं..
"চিনি না, জানি না."দলের কেউ না."দল এর দায় নেবে না."Trying hard to wash off the stain, but ziddi DAAG hain, itni asani se dhulega nahi:- pic.twitter.com/q4CgXt0f8I
— Suvendu Adhikari • শুভেন্দু অধিকারী (@SuvenduWB) July 23, 2022
पार्थ चटर्जी की चर्चा देशभर में हो रही है. शिक्षा मंत्री रहते उनकी इतनी चर्चा नहीं हुई थी जितनी कि अब हो रही है. चर्चा ED की कार्रवाई को लेकर है, चर्चा पैसों के ढेर को लेकर हो रही है. इसलिए हमने सोचा कि जो चर्चा में है उनकी ही चर्चा क्यों न की जाए, उनके बारे में ही आपको क्यों न और बताया जाए.पार्थ चटर्जी कौन हैं.. और इस केस में क्या-क्या चल रहा है सारी बातों पर विस्तार से बात करेंगे लेकिन उससे पहले आपसे एक सवाल..
सवाल बड़ा सिंपल है... चलिए आप ये बताइये कि आपने दो हजार के नोट लास्ट टाइम कब देखे थे. क्योंकि भैया मुझे तो कई दिन हो गए देखे हुए. एटीएम से भी 500 का नोट ही निकलता है और उसकी जरूरत भी कम ही पड़ती है क्योंकि डिजिटल पेमेंट से काम चल ही जाता है. पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर ईडी की रेड की तस्वीरें बाहर आने के बाद मुझे 2000 के नोट और वो भी इतने सारे नोट बड़े दिनों बाद दिखे.
इसके लिए ED की प्रशंसा होनी चाहिए. लेकिन नोटों के ढेर को देखकर एक सवाल तो आपके मन में जरूर आता होगा कि ED हर बार कैसे नोटों की गड्डी ढूंढ लेती है? ED काम कैसे करती है? और देश में ऐसे कितने नोटों की गड्डी लोगों ने छुपा कर रखी होगी? इन सब बातों को खंगाला जाएगा लेकिन पहले बात पार्थो चटर्जी की.
कुछ दिन से आप ये सुन भी रहे होंगे और पढ़ भी रहे होंगे कि ED ने शुक्रवार को शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के दो मंत्रियों के 13 ठिकानों पर छापे मारे. इस दौरान पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी के घर से करीब 21 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए हैं. तस्वीरों में 500 और 2000 रुपये के नोटों का अंबार दिखाई दे रहा है. आप यकीन मानिए भारत की एक बड़ी आबादी इतने पैसे के लिए अपनी पूरी जिंदगी खपा देती है, एक साथ इतने पैसे देखने का तो वो लोग सपना भी नहीं देख सकते.
पार्थ चटर्जी के करीबी के घर इतनी तादाद में रुपया मिला है. कहते हैं बंगाल बड़ा प्रोग्रेसिव स्टेट है. लोग पढ़ने-पढ़ाने की बात करते हैं. कला के क्षेत्र में भी बंगाल का काम देखने लायक है लेकिन पार्थ जैसे कलाकार ने शिक्षा घोटाला कर ये बतला दिया है कि घोटाला कहीं भी हो सकता है, किसी भी राज्य में. भारत की राजनीति में आने के लिए पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं लेकिन पार्थ के पास तो फिर भी एमबीए की डिग्री है.
6 अक्तूबर 1952 को कोलकाता में जन्मे पार्थ चटर्जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामकृष्ण मिशन विद्यालय, नरेंद्रपुर से हासिल की है. आशुतोष कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की. कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमबीए पूरा करने के बाद, चटर्जी ने एंड्रयू यूल के साथ एक मानव संसाधन पेशेवर के रूप में काम किया. वो कोलकाता में नकटला उदयन दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष भी हैं, जो अपने थीम वाले पंडालों के लिए जाना जाता है.
पार्थ का राजनीतिक सफर:
वाणिज्य और उद्योग विभाग के वर्तमान मंत्री और पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री, पार्थ चटर्जी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के पश्चिम बंगाल महासचिव भी हैं. पार्थ चटर्जी का राजनीतिक करियर 2001 में चमका. बेहाला पश्चिम विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद साल 2006 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की. जिसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया और ममता बनर्जी के नजरों में भी अच्छी खासी इमेज बन गई. 2011 में उन्होंने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की.
इस बाद उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को 59,021 के भारी अंतर से मात दी. इसके बाद 2016 और 2021 में भी बेहाला पश्चिम की जनता ने उन्हें विधायक चुना. 20 मई 2011 को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. तब उन्हें वाणिज्य और उद्योग, सार्वजनिक उद्यम, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स और संसदीय मामलों के विभागों को आवंटित किया गया था.
2016 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्हें उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग का मंत्रालय सौंपा गया. 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में लगातार पांचवी बार जीतने के बाद उन्हें दोबारा वाणिज्य और उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के विभाग दिए गए.2016 में पार्थ उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, सार्वजनिक उद्यम, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रभारी मंत्री बनाए गए थे.
ममता बनर्जी ने उनकी काबिलियत देखकर कर ही उन्हें इतने मंत्रलायों की जिम्मेदारी सौंपी होगी. लगातार पांच बार विधायक भी रह चुके हैं पार्थ चटर्जी. मतलब कि जनता में अच्छी पकड़ है, उनको अपने क्षेत्र का जननेता तो कहा ही जा सकता है. हालांकि चुनाव जीतना ही किसी पार्टी या किसी नेता के कामयाबी का पैमाना नहीं होता है.
अब आप सोच रहे होंगे कि पार्थ के बारे में तो इतनी चर्चा हो गई लेकिन जिसके घर करोड़ों की गड्डी मिली है वो कौन है और पार्थ चटर्जी से उसका क्या रिश्ता है? टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर ही नोटों की गड्डी मिली है. विदेशी मुद्रा में 50 लाख से अधिक रुपये, 20 मोबाइल फोन और कथित आपत्तिजनक दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं. ED ने मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया है.
अर्पिता मुखर्जी एक एक्ट्रेस और मॉडल हैं. उन्होंने बांग्ला, उड़िया और तमिल फिल्मों में काम किया है. इन फिल्मों में ज्यादातर उन्होंने साइड रोल ही किए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मुखर्जी ने साल 2004 में मॉडलिंग से अपने करिअर की शुरुआत की थी. इसके कुछ साल बाद उन्होंने पाटुली और बारानगर में तीन नेल सैलून खोले थे.
मॉडलिंग के दौरान ही उन्हें बंगाली फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने शुरु हो गए थे. अर्पिता मुखर्जी, बांग्ला फिल्मों के सुपरस्टार प्रोसेनजीत और जीत के लीड रोल वाली कुछ फिल्मों में भी साइड रोल कर चुकी हैं. इसके अलावा अर्पिता मुखर्जी ने बांग्ला फिल्म अमर अंतरनाड में भी अभिनय किया था. अर्पिता मुखर्जी, पार्थ चटर्जी की करीबी हैं. कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि एक साइड रोल करने वाली अभिनेत्री कैसे बंगाल के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले पार्थ चटर्जी की करीबी बन गई.
हमने आपको बताया था कि पार्थ चटर्जी, दक्षिण कोलकाता में लोकप्रिय दुर्गा पूजा समिति नकटला उदयन का संचालन करते हैं. ये कोलकाता की सबसे बड़ी दुर्गा पूजा समितियों में से एक है. अर्पिता मुखर्जी 2019 और 2020 में पार्थ चटर्जी के दुर्गा पूजा समारोह का चेहरा रह चुकी हैं. दुर्गा पूजा के दौरान जारी किए गए पोस्टर में पार्थ चटर्जी का नाम संघ के अध्यक्ष के तौर पर लिखा गया था. ऐसा माना जाता है कि तभी से दोनों एक-दूसरे को जानने लगे.
अब बात ED की. हाल के सालों में आपने ED का नाम बहुत सुना होगा. ED ने यहां छापे मारे. नोटों की गिनती के लिए मशीन बुलवाई गई.. वगैरह.. वगैरह.. ED कैसे काम करती है और पिछले कुछ सालों में ED कैसे इतनी तादाद में काला धन जब्त कर रही है?
ये अलग बात है कि ज्यादातर कार्रवाई में दूसरे विपक्ष दलों के नेता होते हैं या फिर विपक्ष को फंडिंग करने वाले बिजनेस मैन. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ED सरकार के इशारे पर काम करती है. आपको बता दें कि ईडी एक जांच एजेंसी है और ये बिना भेद-भाव के काम करती है. लेकिन ED के बारे में इतना जानना ही काफी नहीं है.
ED की फुल फॉर्म क्या है?
प्रवर्तन निदेशालय को अक्सर ही इसके शॉर्ट फॉर्म ED से जाना जाता है. ED का फुल फॉर्म Enforcement Directorate या Directorate General of Economic Enforcement है. साल 1957 वह वक्त था, जब इसे ‘प्रवर्तन निदेशालय’ के तौर पर इसे नया नाम दिया गया. मद्रास में इसकी ब्रांच खोली गई.
क्या है ED ?
ED आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच को लेकर काम करता है और इसकी स्थापना 1 मई, 1956 को हुई थी. ईडी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन आने वाली एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. आसान भाषा में कहें तो ED, भारत में आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक मामलों से लड़ने के लिए एक कानून प्रवर्तन एजेंसी और आर्थिक खुफिया एजेंसी है.
प्रवर्तन निदेशालय का मुख्यालय दिल्ली में है. इसका नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक करते हैं. मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में प्रवर्तन के विशेष निदेशकों के नेतृत्व में पांच रीजनल दफ्तर हैं. प्रवर्तन निदेशालय के जोनल दफ्तर भी कई राज्यों में हैं इनका नेतृत्व संयुक्त निदेशक करते हैं. इसेक अलावा निदेशालय के सब-जोनल दफ्तर भी देश में कई जगह बने हुए हैं जिसका नेतृत्व डिप्टी डायरेक्टर करते हैं. होते हैं.
ED के कार्य क्या हैं?
ED फेमा, 1999 के उल्लंघन से जुड़ी जानकारी हासिल करता है. यह जानकारी इसे केंद्रीय और राज्य सूचना एजेंसियों या शिकायतों से मिलती हैं. यह 'हवाला' के मामलों की जांच करता है. यह PMLA अपराध के दोषी के खिलाफ सर्वे, जांच, जब्ती, गिरफ्तारी, प्रॉसिक्यूशन काम को पूरा करता है. इसके साथ ही, ED विदेशों में संपत्ति की खरीद, भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का कब्जा, विदेशी मुद्रा का अवैध व्यापार से जुड़े मामले भी जांचती है.
ED, फाइनेंस से जुड़े अपराधों पर नजर रखती है और Money Laundering के मामलों की जांच करती है. बता दें कि पहले फेमा की जगह फेरी हुआ करता था. आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के चलते फेरा (1973) जो कि एक नियामक कानून था.. उसके स्थान पर 1 जून 2000 से विदेशी मुद्रा अधिनियम (1999) लागू किया गया, जिसका नाम फेमा है. तो वो सारे लोग जो illegal कामों से जुड़े हैं या घोटाले कर रहे हैं वो हो जाएं सावधान क्योंकि ED उन तक भी कभी भी पहुंच सकती है.
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