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Updated: 20 अगस्त, 2019 01:59 PM
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बधाई हो, पाकिस्तान को! बातचीत का पाकिस्तान का न्योता लगभग स्वीकार कर लिया गया है! अब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रियों को परेशान होने की जरा सी भी जरूरत नहीं है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ तौर पर कह दिया है कि बातचीत बिलकुल होगी. होकर रहेगी द्विपक्षीय बातचीत - लेकिन PoK यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर. भला अब क्या चाहिये! वैसे भी पाकिस्तान हर हथकंडे आजमाने के बाद भी किसी भी मंच टिक नहीं पा रहा है. अपने साथ साथ चीन की भी फजीहत करा रहा है.

अव्वल तो पाकिस्तान FATF की ब्लैकलिस्ट से बचने का रास्ता तलाश रहा है, लेकिन कश्मीर समस्या के नाम पर उसकी सारी तरकीबें एक एक कर नाकाम साबित होती जा रही हैं.

जम्मू-कश्मीर पर बातचीत को लेकर दुनिया के सामने पाकिस्तान की छवि सुधारने में जुटे इमरान खान की चुनौतियां बढ़ती ही जा रही हैं. धारा 370 पर निर्णायक कदम उठाने के बाद भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस बात के लिए राजी कर लिया है कि जम्मू-कश्मीर उसका आंतरिक मामला है - और इस मुद्दे पर सारे विरोधियों को पीछे हटना पड़ा है.

राजनीति भी, राजनयिक संदेश भी!

राजनाथ सिंह ने बड़ी ही राजनीतिक चतुरायी और राजनयिक परिपक्वता के साथ पाकिस्तान के साथ बातचीत के मसले को दूसरी दिशा में मोड़ दिया है.

जिस जगह से राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है, वो भी बहुत मायने रखती है - क्योंकि उसके राजनैतिक निहतार्थ हैं. राजनाथ सिंह बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत करने पंचकूला पहुंचे थे. ये मुख्मंत्री मनोहर लाल खट्टर की चुनावी यात्रा है. ऐसी यात्राएं बीजेपी जहां भी सत्ता में रहती है, अगली पारी के लिए मुख्यमंत्री लोगों के बीच जाने और उनसे जुड़ने की कोशिश करता है. वैसे ऐसी यात्रा राजस्थान में वसुंधरा राजे ने भी किया था और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने भी.

हरियाणा में कुछ ही महीने में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. राजनाथ सिंह ने पंचकूला के मंच से बीजेपी की बात महाराष्ट्र और झारखंड के मतदाताओं तक भी पहुंचाने की पूरी कोशिश की है. राजनाथ सिंह के इस बयान से साफ है कि बीजेपी आने वाली विधानसभाओं के चुनाव भी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर ही लड़ने जा रही है. ठीक वैसे ही जैसे बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद बदले माहौल में बीजेपी ने चुनाव लड़ा और पहले के मुकाबले ज्यादा बड़ी कामयाबी हासिल कर ली.

rajnath singh joins khattar rallyराजनाथ सिंह का एक तीर और दो निशाने...

PoK पर बातचीत की चर्चा आगे बढ़ाने से पहले, हाल ही में, राजनाथ सिंह ने परमाणु हथियारों को लेकर भी बड़ा बयान दिया था. इंटरनेशनल आर्मी स्काउट मास्टर्स कॉम्प्टीशन के लिए पोखरण पहुंचे राजनाथ सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा - भारत परमाणु हथियारों के 'पहले इस्तेमाल न' करने की नीति पर अब भी कायम है लेकिन 'भविष्य में क्या होता है ये परिस्थितियों पर निर्भर करता है.'

मतलब, कोई भी मुल्क इस मुगालते में हरगिज न रहे कि भारत न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल तभी करेगा जब कोई उसके खिलाफ ऐसे हथियारों का प्रयोग कर चुका होगा. ये भी तो पाकिस्तान जैसे मुल्कों को आगाह करने का ही एक तरीका है.

राजनीतिक के हिसाब से PoK पर राजनाथ सिंह के बयान का संदेश चुनावी राज्यों के वोटर तक तो पहुंच ही गया, अब तक कश्मीर पर आक्रामक रुख रखने वाले पाकिस्तानी हुक्मरानों को भी बचाव की मुद्रा में आना पड़ेगा. एक बार लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलोचिस्तान का मुद्दा उठा दिया था तो पाकिस्तान लगातार उसे हल्के में दिखाने की कोशिश करता रहा. पाकिस्तान ही नहीं फिलहाल चीन को भी हांगकांग के मामले में बचाव का ऐसा ही रास्ता अख्तियार करना पड़ सकता है. वैसे वो दिन भी दूर नहीं है जब भारत PoK की तरह चीन को भी कड़ा संदेश दे सकता है.

बगैर जंग लड़े भी बहुत कुछ हो सकता है

जो लोग भी जंग के खिलाफ रहे हैं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के राजनयिक और राजनैतिक प्रहार की गहराई को आसानी ने समझ सकते हैं. फिर तो कह सकते हैं कि 'डिप्लोमैटिक प्रेशर' का असर भी 'न्यूक्लिअर बम' से कम नहीं होता!

हाल में संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने भी अपनी बेहतरीन बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तानी मीडिया की बोलती बंद कर दी. अकबरूद्दीन के इस एक्शन का वीडियो वायरल हो रहा है.

हुआ ये कि एक पाकिस्तानी पत्रकार ने सैयद अकबरूद्दीन से पूछा कि आप पाकिस्तान से बातचीत कब शुरू करेंगे?

ये सुनते ही सैयद अकबरूद्दीन पोडियम से हट कर आगे बढ़े और पाकिस्तानी पत्रकारों से हाथ मिलाते हुए कह दिया - 'सबसे पहले आपके पास आकर, आपसे हाथ मिलाकर शुरुआत करते हैं.'

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