कोहिनूर ही क्यों, इन्हें भी भारत वापस लाया जाए
दो सौ साल तक अंग्रेजी हुकूमत ने न सिर्फ भारत पर राजनीतिक और आर्थिक अधिपत्य जमा रखा था बल्कि देश की तमाम सांस्कृतिक धरोहर भी गुलाम बन गई थी. अब ब्रिटेन की महारानी के ताज में कैद कोहिनूर हीरा और म्यूजियम में गुलाम कई और सांस्कृतिक धरोहरों को आजाद कराना है.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 3 दिन के इंग्लैंड दौरे पर हैं और इस दौरान वह पहली बार इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ भोज करेंगे. मोदी की इस यात्रा से पहले एक बार फिर इंग्लैंड में कोशिशें तेज हैं और भारत में कयास लगना शुरू हो गया है कि क्या भारत का नायाब कोहिनूर हीरा वापस आएगा?
इस कोशिश में कुछ एनआरआई बिजनेसमैन और बॉलीवुड अभिनेत्री ने कोहिनूर हीरे को भारत लाने के लिए महारानी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी हैं. इसके साथ ही देश में विपक्षी दल भी तंज कसने से नहीं चूक रहे हैं. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने तो प्रधानमंत्री मोदी से कोहिनूर हीरे के साथ-साथ ब्रिटिश म्यूजियम से टीपू सुल्तान की वह अंगूठी तक लाने की अपील कर दी है जिसके लिए दावा कर रहे हैं कि उस पर श्री राम लिखा हुआ है. अब यह कितना सच है यह तो आजम खां ही जाने.
बहरहाल, कोहिनूर हीरा इंग्लैंड की महारानी के ताज पर चार चांद जरूर लगाता रहा है. इसे भारत लाने की भी कोशिश समय-समय पर की जाती रही है. हाल ही में कांग्रेस पार्टी के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नेता शशि थरूर ने ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी लेक्चर के दौरान दलील दी थी कि 200 साल तक अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में धन-संपदा की लूटपाट की. इसके चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी इस दौरान 24 फीसदी से घटकर मात्र 4 फीसदी रह गई थी. लिहाजा भले आज के इंग्लैंड को 6 दशक बीत जाने के बाद वास्तविक मुआवजा देने की जगह सैद्धांतिक रूप से यह मान लेना चाहिए कि उसे अपनी ज्याद्तियों के लिए मुआवजा देना था. इसके साथ ही इंग्लैंड को तत्काल प्रभाव से अपने म्यूजिमय में चोरी कर रखी हुई भारतीय संपदा को भारत सरकार को सौंप देना चाहिए.
अब तो महारानी और मोदी के डिनर तक इंतजार करना होगा कि क्या मोदी इस नायाब हीरे को वापस लाने की पुरजोर वकालत करते हैं या नहीं. बहरहाल, ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि अभी तक अंग्रेजी हुकुमत की गुलामी के साए में इस नायाब कोहिनूर हीरे के अलावा और क्या क्या है जिसे लाया जाना जरूरी है-
1. इंग्लैंड के साउथ किंग्सटन के विक्टोरिया और एल्बर्ट म्यूजियम में कश्मीर के महाराजा रंजीत सिंह के शाषनकाल पर रोशनी डालती 9 चित्रकलाएं जिससे इस बात के सुबूत मिलते हैं कि इस दौर में कश्मीरियत और कश्मीरी कला शीर्ष पर पहुंची थी.
महाराजा रंजीत सिंह के शाषनकाल की वर्णन करती पेंटिंग्स |
2. महाराजा रंजीत सिंह का सोने से बना कमल के फूल की शक्ल का स्वर्ण सिंहासन जिसे गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहाउजी ने इंग्लैंड भिजवा दिया था.
महाराजा रंजीत सिंह का स्वर्ण सिंहासन |
3. सुल्तानगंज बुद्ध जिसे अब इंग्लैंड के बरमिंघम म्यूजियम में बरमिंघम बुद्ध के नाम से जाना जाता है. 500 किलो की तांबे और चांदी से बनी इस मूर्ति की कीमत नहीं आंकी गई है. इस मूर्ति को भारत से इंग्लैंड 1861 में भेज दिया गया था.
बरमिंघम म्यूजियम में रखा सुल्तानगंज बुद्ध |
4. दो हजार साल पुरानी अमरावती रेलिंग को ब्रिटिश सेना के अधिकारियों ने खोजा था. इन रेलिंग्स को सम्राट अशोक के शासनकाल में बनाया गया था. इन रेलिंग्स पर भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी चित्रकारी की गई है. इन रेलिंग को ब्रिटिश सेना के अधिकारियों ने अपने देश के म्यूजियम को बेच दिया था.
सम्राट अशोक के शासनकाल में बनी रेलिंग |
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