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Updated: 12 दिसम्बर, 2022 01:40 PM
डॉ. सौरभ मालवीय
डॉ. सौरभ मालवीय
  @DrSourabhMalviya
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गुजरात विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की जनता से कहा था कि इस बार उनका रिकॉर्ड टूटना चाहिए. गुजरात की जनता ने उनकी बात का पूर्ण रूप से मान रखते हुए भाजपा को गुजरात के इतिहास का सबसे प्रचंड जनादेश देकर नया इतिहास रच दिया. गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में से 156 सीटों पर विजय प्राप्त की है. पिछले विधानसभा चुनाव में गुजरात में भाजपा ने 99 सीटें प्राप्त की थीं, जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के पश्चात भी कांग्रेस गुजरात में कुछ विशेष नहीं कर पाई, अपितु हानि में ही रही. कांग्रेस अब 77 से केवल 17 सीटों पर सीमित होकर रह गई है.

वर्ष 1995 से भाजपा ने गुजरात में किसी भी चुनाव में पराजय का मुंह नहीं देखा है. यह सब नरेंद्र मोदी के विराट व्यक्तित्व का ही चमत्कार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात से विशेष लगाव है. इसलिए उन्होंने 6 नवंबर से 2 दिसंबर तक गुजरात में 52 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार करके पार्टी प्रत्याशियों के लिए समर्थन मांगा था. इस दौरान उन्होंने 34 रैलियां तथा चार रोड शो किए थे. इन 52 सीटों में से भाजपा को 46 पर विजय प्राप्त हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ भूपेन्द्र पटेल, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीआर पाटिल तथा विजय रूपाणी सहित अन्य पार्टी नेताओं ने भी भाजपा को विजयी बनाने के लिए दिन-रात कड़ा परिश्रम किया.

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गुजरात नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है. उन्होंने गुजरात से ही अपना राजनीतिक जीवन प्रारम्भ किया था. उन्होंने पार्टी संगठन को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया. परिणामस्वरूप गुजरात के गठन के पश्चात से प्रथम बार भाजपा को अहमदाबाद नगरपालिका में बड़ी विजय प्राप्त हुई. गुजरात में निरंतर तीन वर्ष अकाल पड़ा. तत्कालीन सरकार पूर्ण रूप से असफल सिद्ध हुई. वर्ष 1987 में नरेंद्र मोदी ने न्याय यात्रा निकाली, जो गुजरात की 115 तहसीलों के लगभग 15 हजार ग्रामों में गई. इस यात्रा से पार्टी का जनाधार बढ़ा. इसके साथ ही नरेंद्र मोदी की ख्याति भी दिन प्रतिदन बढ़ने लगी. इस यात्रा की सफलता के पश्चात 1989 में उन्होंने लोक जनशक्ति यात्रा निकाली. इस यात्रा ने भी भाजपा का जनाधार बढ़ाने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी को राजनीतिक रूप से मजबूत करने का कार्य किया.

उन्होंने ऐतिहासिक रथयात्रा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने 11 दिसंबर 1990 से 26 जनवरी 1992 तक कन्याकुमारी से लाल चौक तक की एकता यात्रा भी निकाली. 1991 में उन्हें भाजपा राष्ट्रीय चुनाव समिति का सदस्य मनोनीत किया गया. दसवें लोकसभा चुनाव में भाजपा को गुजरात में 26 में से 20 सीटों पर विजय प्राप्त हुई. इसे नरेंद्र मोदी का प्रभाव माना गया. 1995 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को 182 में से 121 सीटों पर विजय प्राप्त हुई तथा 14 मार्च को केशुभाई पटेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नरेंद्र मोदी ने 28 सितंबर को प्रदेश भाजपा के महासचिव पद से त्यागपत्र दिया. इसके पश्चात 20 नवंबर को उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय सचिव मनोनीत किया गया. उन्हें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ का प्रभारी बनाकर संगठन को मजबूत करने का दायित्व दिया गया. उन्होंने अपनी कुशलता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1998 में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया. इसी वर्ष गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव का दायित्व नरेंद्र मोदी को दिया गया.

उन्होंने पार्टी को सत्ता दिलाने के लिए कड़ा परिश्रम किया. राज्य में भाजपा सत्ता में आई तथा केशुभाई पटेल फिर से मुख्यमंत्री बने. वर्ष 1999 में भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की सरकार बनी. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें केशूभाई पटेल के स्थान पर गुजरात के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार सौंपा. इस प्रकार वह 7 अक्टूबर 2001 को प्रथम बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने तथा 22 मई 2014 तक इस पद पर बने रहे. वह 24 फरवरी 2002 को राजकोट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में विजय प्राप्त कर विधायक बने. भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिसंबर 2002 के विधानसभा चुनाव में 182 में से 128 सीटों पर विजय प्राप्त कर सत्ता में वापसी की.

उन्होंने 22 दिसंबर को द्वितीय बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की. उन्होंने 25 दिसंबर को तृतीय बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सत्ता संभाली. भाजपा ने वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में लड़ा. भाजपा को 182 में से 115 प्राप्त हुईं. उन्होंने 26 दिसंबर को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

उन्होंने गुजरात के विकास के लिए अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं प्रारम्भ कीं. इनमें पंचामृत योजना, सुजलाम् सुफलाम, कृषि महोत्सव, चिरंजीवी योजना, मातृ वंदना, बेटी बचाओ, ज्योतिग्राम योजना, कर्मयोगी अभियान, कन्या कलावाणी योजना, बालभोग योजना, मोदी का वनबन्धु विकास कार्यक्रम आदि सम्मिलित हैं. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात को विश्व भर से अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें आपत्ति व्यवस्थापन के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा सासाकाव पुरस्कार, कॉमनवेल्थ एसोसिएशन फॉर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट तथा यूनेस्को पुरस्कार आदि सम्मिलित हैं. उन्हें लोगों का स्नेह एवं आशीर्वाद प्राप्त हुआ. उन्होंने गुजरात में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वर्ष 2003 में वाइब्रेंट गुजरात समिट कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

इससे विश्वभर के निवेशों के लिए गुजरात में निवेश करने के द्वार खुले. वर्ष 2005 से गुजरात सरकार द्वारा प्रत्येक दो वर्ष पर वाइब्रेंट गुजरात समिट का आयोजन किया जाता है. नरेंद्र मोदी के गुजरात के पश्चात राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कुशलता का परिचय दिया. उन्हें 9 जून 2013 को भाजपा चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया गया. इसके पश्चात सितंबर में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 282 सीटें प्राप्त हुईं. इस प्रकार वह 26 मई 2014 को देश के प्रधानमंत्री बने. इसके पश्चात वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को 330 सीटें प्राप्त हुईं. वह 30 मई 2019 को लगातार द्वितीय बार प्रधानमंत्री बने.

प्रधानमंत्री बनने के पश्चात उन्होंने ‘गुजरात मॉडल’ को पूरे देश में लागू करने का प्रयास किया, जिसे सराहा जा रहा है. विशेष बात यह भी है कि नरेंद्र मोदी को ईश्वर ने ऐसा विशेष गुण दिया है कि वह नकारात्मकता में भी सकारात्मक गुण खोज लेते हैं. मोरबी घटना के पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां का दौरा किया तथा पीड़ित परिजनों से भेंट कर उन्हें सांत्वना दी थी. इसके अतिरिक्त उन्होंने तुरंत कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए थे. विरोधी पार्टियों ने उनके विरुद्ध दुष्प्रचार किया तथा उन्हें अपशब्द कहे. इसके पश्चात भी उन्होंने संयम एवं धैर्य बनाए रखा, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि जनता ही उनके विरोधियों का इसका उत्तर देगी. वास्तव में जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत देकर विरोधियों को उत्तर दे दिया.

वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी चुनाव को छोटा नहीं मानते. वह निकाय चुनाव, विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक में पूर्ण योजनाबद्ध तरीके से कार्य करते हैं. उनके साथ राजनीति के चाणक्य अमित शाह भी हैं, जो पराजय को विजय में परिवर्तित करना जानते हैं. ये दोनों ही नेता बूथ स्तर पर पार्टी संगठन को सुदृढ़ बनाने पर कार्य करते हैं, जो इनकी विजय का मार्ग प्रशस्त करता है. अब भाजपा को लोकसभा चुनाव के लिए भी इसी प्रकार पूर्ण निष्ठा एवं लगन से कार्य करना होगा.

लेखक

डॉ. सौरभ मालवीय डॉ. सौरभ मालवीय @drsourabhmalviya

लेखक मीडिया प्राध्यापक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं

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