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Updated: 04 नवम्बर, 2016 09:48 PM
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भारत और चीन के संबंधों पर अगर हम हालिया समाचारों पर ध्यान देंगे तो दोनों देशो के संबंधों का ताना बाना बड़ा उलझा सा दिखाई देगा. अभी हाल ही में भारत में दिवाली का महा पर्व बीता है, जिस दौरान भारत में चीन के बने वस्तुओं का भारत के करीब करीब सभी शहरों में खुले आम विरोध हुआ, जिसका निश्चय ही चीन के बाजार और अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा होगा.

दूसरी घटना, 2 नवम्बर की है जब लद्दाख क्षेत्र में नहर सिंचाई परियोजना के मनरेगा के तहत हो रहे निर्माण कार्य को रुकवाने के बाद भारतीय सीमा में घुसने के बाद चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच तनातनी की खबरें आयी हैं. यह घटना लेह जिले के डेमचेक इलाके में हुई जहां गांव को सड़कों से जोड़ने का काम चल रहा है. लद्दाख के डेमचेक में दो साल पहले भी भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनाव हुआ, जो अभी भी जारी है. जबाब में लेह जिले के डेमचेक इलाके में भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों में तनाव की खबरों के बीच भारतीय वायु सेना ने C-17 ग्लोबमास्टर विमान चीन सीमा से महज 30 किलोमीटर दूर उतार दिया, ताकि भारतीय सैनिको का हौसला बुलंद हो.

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भारत चीन के बीच के संबंधों बीच मूल विवाद:

भारत- चीन के बीच 4 हजार कि.मी की सीमा है जो कि निर्धारित नहीं है. भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है. जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है.

दूसरी अहम वजह है अरुणाचल प्रदेश- चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है और इसीलिए अरुणाचल को विवादित बताने के लिए ही चीन वहां के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है जिसका भारत विरोध करता है.

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 क्या भारत-चीन संबंध बेहतर होने जा रहे हैं?

इसके अतिरिक्त अक्साई चिन रोड- लद्दाख में इसे बनाकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया. चीन का जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग मानने में आनाकानी करना, पीओके को पाकिस्तान का भाग मानने में चीन को कोई आपत्ति न होना, पीओके में चीनी गतिविधियों में इजाफा.

साथ ही, तिब्बत. इसे भारतीय मान्यता से चीन खफा रहता है, ब्रह्मपुत्र नदी- दरअसल यहां बांध बनाकर चीन सारा पानी अपनी ओर मोड़ रहा है जिसका भारत विरोध कर रहा है. हिंद महासागर में तेज हुई चीनी गतिविधि, साउथ चाइना सी में प्रभुत्व कायम करने की चीनी कोशिश, और चीन के अनुसार अजहर आतंकवादी के लिए निर्धारित सुरक्षा परिषद के मानक पूरे नहीं करता है. और अंत में भारत का चीन के द्वारा NSG में दावेदारी का विरोध ये कुछ कारण है, जिसका भारत और चीन के संबंधों पर असर हुआ है.

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हाल की घटनाएं कही न कही भारत के बर्दाश्त करने की हद पार कर जाने पर अब इतना साफ़ हो गया है की या तो चीन भारत के प्रति अपनी नीति पर पुनर्विचार करे क्योंकि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद अब स्थितियां तेजी से बदली है और चीन को आक्रामक तरीके से जवाब देने की कोशिश भी की जा रही है.

चीन के कम्युनिस्ट पार्टी पोलुत- ब्यूरो के शातिशाली नेता मेंग झियांग्ज़्हू 8 नवम्बर को भारत के दौरे पर आने वाले हैं, और उम्मीद है की भारत से सामरिक और कूटनीतिक समझौते होंगे. उम्मीद है की बातचीत का मुद्दा आतंकवाद भी रहे और इस से जुड़े समझौते भी हों,  जिसके बाद भारत और चीन अपने पारंपरिक विरोध से इतर संबंधों के नए आयाम शुरू करंगें.

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लेखक

जगत सिंह जगत सिंह @jagat.singh.9210

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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