तो क्या 28 फीसदी जीएसटी स्लैब से कुछ उत्पादों को हटाने के पीछे गुजरात और कांग्रेस है?
गुजरात चुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी को जीएसटी में बदलाव करने पड़े. शायद भाजपा ये नहीं चाहती कि गुजरात के कारोबारियों सहित आम जनता को नाखुश कर वो राज्य में चुनाव लड़े...
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जीएसटी काउंसिल की गुवाहाटी में हुई बैठक में 178 सामानों को 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब से हटाकर नीचे के स्लैब में रखा गया है. इस फैसले का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि "इन नए टैक्स रेट को 15 नवंबर से लागू किया जाएगा. केन्द्र और राज्य सरकारें इसके लिए जरूरी नोटिफिकेशन जारी करेंगी. सरकार के इस फैसले से आम जनता और छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी. साथ ही यह सवाल भी उठने लगा है कि आखिर लागू होने के महज चार महीने बाद ही जीएसटी में इतने बड़े बदलावों की जरूरत क्यों पड़ गई.
वैसे सरकार ने इस बैठक से पहले कहा था कि इसमें जीएसटी लागू होने के तिमाही कि समीक्षा भी होगी जिससे ऐसा माना जा रहा था कि सरकार कुछ राहत देने वाली है क्योंकि लोगों और छोटे व्यापारियों में ऊंची दरों को लेकर कुछ रोष जरूर था. साथ इस तरह के बड़े फैसले लेने के बाद समय-समय पर जरुरत के हिसाब से उसमें बदलाव तो करना ही पड़ता है और सरकार हर संभव कोशिश करती है कि कुछ ऐसा किया जाये जिससे कि लोगों में रोष कम हो. मने देखा था कि नोटबंदी के समय कैसे कई बार नियमों में परिवर्तन करना पड़ा था.
जीएसटी आने के बाद गुजरात में ये पहला चुनाव है जहां कांग्रेस और भाजपा में मुकाबला कड़ा होने वाला है
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि आगामी गुजरात चुनाव में हार के डर के कारण बीजेपी ने इस तरह का बदलाव किया है. पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि राहुल गांधी ने जीएसटी मुद्दे को गुजरात में जिस तरह उठाया वो काफी प्रभावशाली रहा है और लोगों की तरफ से मिल रहे सकारात्मक संकेतों से बीजेपी को डर लगा और उसे ध्यान में रखकर सरकार ने ये कदम उठाया है. हमने देखा है कि कैसे राहुल ने लगभग हर मौके पर जीएसटी की 28 फीसदी कि दर का भारी विरोध किया है और इसे गब्बर सिंह टैक्स का नाम भी दिया जिसकी खूब चर्चा हो रही है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी सरकार के इस फैसले को देर से उठाया गया कदम बताया और कहा कि सरकार ने गुजरात चुनाव को देखकर इस तरह का फैसला किया है. वहीं खुद राहुल गाँधी ने भी सरकार के फैसले का श्रेय कांग्रेस और गुजरात की जनता की लड़ाई को दिया.
भारत को गब्बर सिंह टैक्स नहीं, सरल GST चाहिए। कांग्रेस और देश की जनता ने लड़कर कई वस्तुओं पर 28% टैक्स ख़त्म करवाया है।18% CAP के साथ एक रेट के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। अगर भाजपा ये काम नहीं करेगी, तो कांग्रेस करके दिखाएगी।
— Office of RG (@OfficeOfRG) November 11, 2017
4 months and 10 days is the time taken for commonsense to germinate, flower and ripen into a fruit.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 11, 2017
Ministry of Finance must be complimented for 'improving' macro-economic situation in 4 months and 10 days!
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 11, 2017
Thank you Gujarat. Your elections did what Parliament and common sense could not do.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 10, 2017
Congress is vindicated. I am vindicated. The merit of capping GST at 18% is now recognised.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 10, 2017
वहीं दूसरी ओर बीजेपी नेता इस फैसले के लिए सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं और कह रहे हैं की सरकार जनता के हित के लिए जो ठीक होगा वो करती रहेगी. वैसे कह सकते हैं कि गुजरात चुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी को जीएसटी में बदलाव करने पड़े हों क्योंकि पार्टी गुजरात के कारोबारियों सहित आम जनता को नाखुश कर चुनाव में नहीं जाना चाहती थी.
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