Coronavirus को मात देने के लिए कितनी तैयार सेना?
कोरोना वायरस (Corona virus ) के चलते पूरे भारत (India ) में गफलत की स्थिति है. सरकार लॉकडाउन (Lockdown) बढ़ाने पर विचार कर रही है. ऐसे में देश, सेना (Indian Army) की तरफ भी देख रहा है. बड़ा सवाल है कि क्या हमारे देश की सेना इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है ?
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देश की सीमाओं की चौकसी करनी हो पर या कोई प्राकृतिक आपदा की स्थिति हो, भारतीय सेना (Indian Army) तो कभी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटती. यह देश बार-बार देख चुका है. हालांकि इस बार कोरोना वायरस (Coronavirus) का संकट बहुत ही बड़ा और काफी खतरनाक है, फिर भी सेना ने देश को भरोसा दिलाया है कि वह सरकार के किसी भी आदेश के तुरंत बाद कोरोना से लड़ने के लिए तैयार हालत में प्रस्तुत रहेगी. मौजूदा संकट में सेना कोई भी कदम उठाने को तैयार है. इसके अलावा सेना मेडिकल फील्ड में मदद के लिए भी तैयार है. सेना का मेडिकल कोर भी एक अत्यंत ही सक्षम मेडिकल सेवा है. कोरोना से मुकाबला करने में निश्चित रूप से सेना के साढ़े 8 हजार से अधिक डाक्टर और हजारों नर्सें और पारामेडिकल स्टाफ देशभर में जुट सकते हैं. ये सभी पूरी तरह से ट्रेंड डाक्टर हैं. इनके अलावा सेना के हजारों रिटायर डाक्टरों की भी सेवाएं ली जा सकती है. वे भी इन आपातकालीन हालातों में दिन-रात एक करने के लिए कमर कस कर बैठे हुए हैं. ये सभी कोरोना के कहर से लड़ने के लिए तैयार है.
महत्वपूर्ण है कि कोरोना जैसी महामारी के हालात में आपातकालीन आन्तरिक अनुशासन और नागरिक सहभागिता अपरिहार्य है.सेना के सभी कर्मी इसमें प्रशिक्षित हैं. इनके अभाव में युद्ध जीता ही नहीं जा सकता है. एक बात और कि सेना के देश के सभी प्रमुख शहरों में अत्याधुनिक अस्पताल हैं. वहां पर कोरोना वायरस की चपेट में आए रोगियों का सही इलाज किया जा सकता है.
मतलब साफ है कि देश पर आए कोरोना वायरस के भयानक संकट के वक्त डाक्टर, नर्स, पुलिस, सरकारी बाबू, सफाई योद्धा आदि को सेना का भी सहयोग मिल सकता है. याद रखें कि इन कठिन हालातों में सेना, सरकारी मशीनरी और नागरिकों का मनोबल गिराने वाला कोई कार्य नहीं करना चाहिए. ऐसा कोइ भी कदम आत्मघाती होगा. ऐसे समय में गलतियां या मीनमेख निकालने के लिये ठीक नहीं.
भारतीय सेना ने भी अपनी तरफ से कॉरोअण को मात देने के लिए तैयारी पूरी कर दी है
हालांकि सेना को अभी तक औपचारिक रूप से तो सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए नहीं कहा है. पर वह अपने स्तर पर तैयार भी है और सक्रिय भी. सेना कोरोना से निपटने के लिए क्वांरटीन सुविधाओं को सभी कैंटों और अस्पतालों में तैयार कर रही है. उसने इस बाबत अपने अस्पतालों के लगभग 9 हजार बेड पहले से तैयार रखे हैं.
जरूरत पड़ने पर उसे दो-तीन गुना बढ़ाने में सेना सक्षम है. इसके अलावा कई क्वांरटीन सुविधाएं देश के कई हिस्सों में काम कर रही हैं. डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट जरूरी मेडिकल उपकरणों का उत्पादन भी कर रही है और उत्पादन करने में आर्म्ड कोर की फैक्ट्रियां तुरंत तैयार की जा सकती हैं.
उधर, एयरफोर्स जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर और नगालैंड में मेडिकल सप्लाई तो पहुंचा ही रही है. सेनाध्यक्ष एम. एम. नरवणे का कहना है कि सेना के पास एक '6 घंटे' का प्लान तैयार है, जिसके तहत तुरंत ही आइसोलेशन सेंटरों और आईसीयू की श्रृखंला को तैयार किया जा सकता है. सेना ने एनसीसी के 25 हजार कैडेट्स को सिविल प्रशासन की मदद के लिए तैयार हैं.
मेडिकल कर्मचारियों को एक-जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के साथ-साथ एयर फोर्स मेडिकल सप्लाई जैसे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट, हैंड सेनेटाइजर्स, सर्जिकल गलव्स, थर्मल स्कैनरल की भी सप्लाई कर रही है. कुल मिलाकर देश में कोरोना का खतरा बढ़ने के बाद अब भारतीय सेनाएं भी पूरी तरह इस महायुद्ध में कूदने को तैयार हैं.
कोरोना से जंग की सबसे नाजुक स्थिति करीब आने पर चिकित्सा से जुड़े साजो-सामान लाने-ले जाने के लिए वायुसेना के ट्रांसपोर्ट विमान तो सदैव तैयार हैं ही. युद्धपोत भी किसी भी स्थिति में तैनाती के लिए अलर्ट पर हैं. इस बीच, ये सब तो याद रखना चाहिए कि इस वक्त सभी को एक साझे उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार के निर्देशन में कार्य करना है. इस संकट की घड़ी में सरकार और महामारी नियंत्रण में लगे अधिकारियों तथा पुलिस द्वारा आरोपित प्रतिबंधों और आदेशों का पालन करना है.
कोई भी अफरातफरी की खरीदारी और भण्डारण करने से बचें. किसी सामग्री की कोई कमी नहीं है और आपूर्ति का समुचित प्रबंध किया गया है. अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो हमें पता याद आता है कि सेना ने समस्त आपदाओं के समय बचाव कार्यों के वक्त बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किया है. कुछ साल पहले उत्तराखंड में आई भयानक बाढ़ और भूस्खलन के बाद सेना ने युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाया था. तब सेना ने अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर दुर्गम इलाकों में फंसे हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था.
देवभूमि उत्तराखंड में बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्य में भारतीय वायुसेना के साहसी जवानों की जबरदस्त जांबाजी देखने को मिली थी. अपनी जान जोखिम में डालकर भी ये जांबाज़ अपने कर्तव्य को बखूबी अंजाम दे रहे थे. भारी बारिश के बावजूद, भारतीय सेना की टुकड़ियां अस्थायी फुटब्रिजों, बांधों और वैकल्पिक मार्गों की तैयारी करके दूरदराज के गांवों से सम्पर्क बहाल करने के लिए दिन-रात काम करती रही थी. यही तत्परता सेना ने नेपाल के भूकंप और कश्मीर घाटी की बाढ़ों में राहत कार्य के दौरान दिखाई थी.
बीती आपातकालीन स्थितियों की तरह सेना ने अपनो को पूरी तरह से तैयार कर लिया है. भारतीय सेना के जवानों को कोरोना वायरस के संबंध में विस्तार से बताया जा चुका है. इसलिए सेना कोरोना से लड़ने के लिए तैयार है. वह अपने स्तर पर नागरिक प्रशासन की अभी भी जरूरत पड़ने पर मदद भी कर रही है. गुजरात में भूकंप और कश्मीर, उत्तराखड़ तथा केरल में बाढ़ के बाद सेना बचाव और राहत अभियान जी-जान से जुटी थी.
कश्मीर में सेना ने लगातार पत्थर खाने के बाद भी अपने धर्म का निर्वाह किया था. लानत है, कन्हैया कुमार और शेहला रशीद जैसों पर जो सेना के उन जवानों पर तुच्छ आरोप लगाते रहे हैं. शेहला रशीद के आरोपों में रत्तीभर भी सच्चाई होती तो देश आज उनके साथ खड़ा होता. पर उन्होंने मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए सेना पर आरोप लगाए. शेहला ने विगत 18 अगस्त को कई ट्वीट किए थे, जिसमें सेना पर कश्मीरियों के साथ अत्याचार करने का आरोप लगाया था.
इन आरोपों को सेना ने झूठा बताया था. इसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शेहला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था. आज जब देश और धरती पर संकट है तो कन्हैया कुमार, हर्ष मंदर और शेहला रशीद जैसे सिरफिरे लोग गायब हैं.
ये क्यों नहीं नागरिक प्रशासन की मदद करने के लिए मैदान में उतरते? हर मसले पर सरकार को कोसने वाले ये कथित प्रगतिशीलों से क्या देश इतनी भी उम्मीद ना करे? खैर अभी देश में करोड़ों हिन्दुस्तानी और सेना किसी भी विपरीत हालात का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं. एक बात से देश संतोष कर सकता है कि कोरोना वायरस पर जल्दी ही विजय पा ली जाएगी.
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