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Updated: 05 दिसम्बर, 2015 05:39 PM
आईचौक
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इस संसार का एक नियम है, हर चीज का एक दिन अंत जरूर होता है, चाहे वह अच्छी हो या बुरी. अब ऐसा ही कुछ क्रूरता और आतंकवाद का पर्याय बन चुके खतरनाक आतंकी संगठन ISIS के साथ भी होता हुआ प्रतीत हो रहा है. दुनिया का सबसे क्रूर ही नहीं बल्कि सबसे धनी आतंकी संगठन ISIS धीरे-धीरे कंगाल हो रहा है.

अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा इस संगठन के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से इसकी कमाई सिकुड़ने लगी है. इस संगठन की कमाई घटने का मतलब है इसके लिए खतरे की घंटी बजना क्योंकि बड़ी संख्या में अपने लिए काम कर रहे आतंकियों और दूसरे लोगों को पैसा न देने की सूरत में इन लोगों के विद्रोह का खतरा बढ़ेगा. तो क्या ये ISIS के अंत की शुरुआत है? आइए जानें.

घट रही है ISIS की कमाईः इस आतंकी संगठन की कमाई का प्रमुख जरिया इसके द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र के लोगों से टैक्स वसूलना, जबरन वसूली करना, लोगों की संपत्तियों पर जबरन कब्जा करना रही है. एक अनुमान के मुताबिक इराक और सीरिया में ISIS के कब्जे वाले क्षेत्रों में करीब 60 से 90 लाख की आबादी रहती है और ISIS इन लोगों से जबरन टैक्स वसूल कर मोटी कमाई करता रहा है. लेकिन इराक और सीरिया में अब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा ISIS के खिलाफ की जा रही बमबारी से करीब एक तिहाई क्षेत्र इसके हाथ से निकल गए हैं, जिनमें तिरकित और बाई जी तेल रिफाइनरीज भी शामिल हैं.

इन क्षेत्रों के हाथ से निकलने से ISIS को यहां के लोगों से मिलने वाली टैक्स की कमाई में भारी कमी आई है. साथ ही अमेरिका के समर्थन से कुर्द और अरबों ने सीरिया में ISIS के कब्जे वाले तेल क्षेत्रों पर कब्जा जमाया है, यही काम इराकी सेना ने इराक में किया है. साथ ही अमेरिका ने सीरिया और इराक में तेल टैंकरों को निशाना बनाया जिससे ISIS की कमाई पर चोट की जा सके. अमेरिका का अनुमान है कि यह आतंकी संगठन हर महीने तेल बेचकर करीब 40 लाख डॉलर की कमाई करता है. इसलिए अमेरिका ISIS की तेल के ठिकानों को निशाना बना रहा है ताकि इसकी कमाई को सीमित किया जा सके.

क्या होगा इसका असरः ISIS की कमाई घटने से निश्चित तौर पर इसके लिए मुश्किलें बढ़ेंगी. लेकिन इससे बचने के लिए यह आतंकी संगठन अपने लड़ाकों की सैलरी घटाने और अपने कब्जे वाले क्षेत्रों के नागरिकों को बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं में कटौती जैसे उपाय करेगा. जिससे इस क्षेत्र में रह रहे लोगों की दिक्कतें और बढ़ेंगी, जो पहले से ही नारकीय हालात में जीवन गुजारने को विवश हैं. इसके कब्जे वाले इलाकों में लोग बेहद गरीबी में जीवन गुजारने को विवश हैं और वहां दवाइयों और स्वास्थ्य सेवाओं की भारी किल्लत है.

अपनी घटती हुई आय को बढ़ाने के नए तरीके तलाशते हुए उसने जबरन वसूली और कीमती सामानों की स्मगलिंग जैसे उपाय शुरू कर दिए. कहा जा रहा है कि इनसे होने वाली कमाई की बदौलत ही वह पिछले एक साल से अमेरिकी गठबंधन की बमबारी के सामने टिक पाया है. इतना ही नहीं इसने मोबाइल फोन और कृषि के सामानों पर ज्यादा टैक्स वसूलना शुरू कर दिया है.

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि कमाई के ये उपाय अस्थाई हैं जो ज्यादा दिन तक ISIS के लिए मददगार साबित नहीं होंगे. माना जा रहा है कि इराक और सीरिया में कमाई घटने की सूरत में ISIS इन क्षेत्रों के बाहर दूसरी जगहों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश करेगा. ऐसे में वह लीबिया जैसे देश में अपनी जड़ें जमा सकता है. हाल ही में किया गया पेरिस हमला भी इसकी खुद को वैश्किव रूप से स्थापित करने की उसी कोशिशों की हिस्सा है. जिससे यह दुनिया भर के लोगों के मन में अपने नाम का खौफ पैदा कर सके.

लेकिन कमाई अगर घटती रही तो आने वाले दिनों में इस आतंकी संगठन को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल के दिनों मे उसने अपने लड़ाकों की सैलरी 400 डॉलर प्रति माह से घटाकर 300 डॉलर प्रति माह कर दी है. अगर इसी तरह इन लड़ाकों की सैलरी घटती रही तो वे इस संगठन के खिलाफ विद्रोह भी कर सकते हैं. साथ ही इन क्षेत्रों में नारकीय हालत में रह लोगों में पहले से ही इस आतंकी संगठन के खिलाफ जबर्दस्त नाराजगी है जो आने वाले वक्त में और भड़क सकती है. ऐसे में ISIS के लिए इन सबको नियंत्रित कर पाना आसान नहीं होगा.

ISIS की घटती हुई कमाई इस आतंकी संगठन के खात्मे का सपना देख रहे लोगों के लिए एक शुभ संकेत हैं. शायद ये ISIS के खात्मे की शुरुआत है!

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