Voice of Hind: हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाने वाली ये मैग्जीन कहां, कैसे और क्यों छपती है, जानिए...
हिंदुओं को कठघरे में रखने को लालायित रहने वाले लोग क्या 'Voice of Hind' मैगजीन पर कभी टिप्पणी करेंगे? वे ऐसा बिल्कुल नहीं करेंगे. क्योंकि जिस मैगजीन को ISIS की प्रोपोगैंडा मैगजीन कहा जा रहा है, वो दरअसल इस्लाम का हवाला देते हुए हिंदुओं की आस्था को चोट कर रही है.
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कुख्यात कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) की इंडिया-सेंट्रिक ऑनलाइन मैग्जीन के कवर पेज पर भगवान शिव की खंडित मूर्ति की फोटे लगाई गई है. भगवान शिव की ये मूर्ति कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के मुरुदेश्वर शहर के समुद्र तट पर स्थित एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल से मेल खाती है. इस भगवान शिव की इस खंडित फोटो में नीचे लिखा है कि It is TIME to BREAK FALSE GODS यानी झूठे भगवानों को तोड़ने का समय आ गया है. अब यहां ये जानना जरूरी है कि भारत में इस्लामिक आतंक का दूसरा नाम बन चुके आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का फाउंडर मेंबर यासीन भटकल भी मुरुदेश्वर शहर का ही रहने वाला है. वैसे, आईएसआईएस की इंडिया-सेंट्रिक ऑनलाइन मैग्जीन को प्रोपेगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किए जाने का दावा होता रहा है. लेकिन, यहां सबसे बड़ी बात ये है कि ISIS ने अपनी प्रोपेगेंडा मैग्जीन में भगवान शिव की खंडित मूर्ति भी कुछ सोचकर ही छापी होगी. और, ऐसा क्यों है, आइए जानते हैं...
ISIS' magazine 'The Voice of Hind' pic.twitter.com/B4jloTNOOJ
— Anshul Saxena (@AskAnshul) November 22, 2021
ISIS की प्रोपेगेंडा मैग्जीन
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए के अनुसार, आईएसआईएस की ये प्रोपेगेंडा मैग्जीन पाकिस्तान में निकाली जाती है. पहले माना जाता था कि ये मैग्जीन अफगानिस्तान से दुनियाभर में फैलाई जाती है. लेकिन, इसी साल एनआईए के जांचकर्ताओं ने थोड़ी सी तकनीकी सहायता के साथ दक्षिण कश्मीर के तीन मुस्लिम युवाओं को इस मैग्जीन से जुड़े होने के लिए गिरफ्तार किया था. इन लोगों पर भारत के खिलाफ हिंसक जिहाद छेड़ने के लिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आईएसआईएस के लिए भर्ती करने का जिम्मा था. वॉयस ऑफ हिंद को इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत के प्रसार के तौर पर देखा जाता है. जिसके हिसाब से खुरासान प्रांत की सीमाएं भारत तक फैली हुई हैं. भारत में गजवा-ए-हिंद की अवधारणा को भी इस मैग्जीन के सहारे बढ़ावा दिया जाता है. द प्रिंट में छपी एक खबर के अनुसार, इस किताब के अलग-अलग संस्करणों में भारतीय सेनाओं पर हमला करने, दिल्ली के सीएए विरोधी दंगों का बदला लेने और भारतीय मुसलमानों से 'कोरोना वायरस कैरिअर' बनने जैसी बातें भी कही गई हैं.
भारत का कथित बुद्धिजीवी वर्ग
स्टैंड अप कॉमेडियन वीर दास ने अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में 'टू इंडियाज' कविता के जरिये देश और हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काने वाली टिप्पणियां कीं. लेकिन, इसका विरोध करने पर देश के कथित बुद्धिजीवी वर्ग का एक हिस्सा अचानक ही वीर दास के समर्थन में सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाकर अपना एजेंडा सेट करने में जुट गया. वहीं, फिल्म सूर्यवंशी को लेकर हो रही बातचीत में जबरदस्ती 'गुड मुस्लिम-बैड मुस्लिम' की डिबेट को घुसेड़ने की कोशिश करने वाली पत्रकार को तो फिल्म निर्देशक रोहित शेट्टी ने करारा जवाब देकर शांत कर दिया था. इन सबसे इतर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी त्रिपुरा में हुई हिंसा में मुस्लिमों के खिलाफ क्रूरता की बात कहते नजर आए. अगर इन तमाम लोगों से 'Voice of Hind' मैगजीन पर टिप्पणी करने को कहा जाएगा, तो क्या ये करेंगे? तो, इसका जवाब बहुत ही आसान है कि वे ऐसा बिल्कुल नहीं करेंगे. क्योंकि जिस मैगजीन को ISIS की प्रोपेगेंडा मैग्जीन कहा जा रहा है, वो दरअसल इस्लाम का हवाला देते हुए हिंदुओं की आस्था को चोट कर रही है.
और, इस्लाम के मामले में टिप्पणी कर ये अपने राजनीतिक और आर्थिक हितों को शायद ही चोट पहुंचाना चाहेंगे. क्योंकि, एक समाज के तौर पर देश जितना बंटेगा, इनका रास्ता उतना ही साफ होता जाएगा. आसान शब्दों में कहा जाए, तो ये कथित बुद्धिजीवी वर्ग उंगलियों पर गिना जा सकने वाली चुनिंदा घटनाओं को लेकर हिंदू धर्म-संस्कृति के साथ पूरे हिंदू समाज को ही कठघरे में खड़ा करने को लालायित रहता है. लेकिन, इस्लाम के नाम पर हो रही हत्याओं और अत्याचारों पर इस कथित बुद्धिजीवी वर्ग का मुंह सिल जाता है. हिंदुओं के खिलाफ निकाली जाने वाले ऐसी मैग्जीन या लिटरेचर पर भी इस कथित बुद्धिजीवी वर्ग की खामोशी हमेशा से ही जारी रही है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर रचनात्मक छूट लेते हुए हिंदुओं की आस्था पर लगातार चोट पहुंचाना इनका एजेंडा बन चुका है. उसके बाद जब कोई ऐसी घटनाओं से उभरे आक्रोश का निशाना बन जाता है, तो ये कथित बुद्धिजीवी वर्ग उसी को लेकर सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक पर हो-हल्ला मचाने में जुट जाता है.
आईएसआईएस में ज्यादा संख्या में भर्ती होने वालों में केरल के 3 जिले टॉप पर हैं.
भारत में आईएसआईएस और तालिबान समर्थक
आईएसआईएस का प्रभाव बढ़ने के साथ दुनियाभर के कई देशों से काफी संख्या में लोगों ने सीरिया और इराक पहुंचकर इस इस्लामिक आतंकी संगठन को ज्वाइन किया था. इन लोगों में भारत से गए मुस्लिम युवक-युवतियां भी शामिल थे. इन लोगों की संख्या को लेकर कोई निश्चित आंकड़ा तो नहीं है. लेकिन, इससे जुड़ी खबरों के आधार पर इतना कहा जा सकता है कि अब तक भारत से सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम युवक-युवतियां आईएसआईएस में शामिल हो चुके हैं. दैनिक भास्कर की दो साल पुरानी एक रिपोर्ट के अनुसार, मलप्पुरम, कन्नूर और कासरगोड केरल के वे टॉप 3 जिले हैं, जहां से ज्यादा संख्या में लोग आईएसआईएस में भर्ती हुए हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत का सर्वाधिक साक्षर राज्य केरल और वहां की वामपंथी सरकार आतंकी विचारों को पाल कर देश सेवा में सबसे अग्रणी है. क्योंकि, तमाम आतंकी घटनाओं में शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई जैसे वहाबी विचारधारा के इस्लामिक संगठनों को केरल में खाद-पानी मिलता रहा है.
भारत के कुछ मौलानाओं और मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद उसकी जमकर तारीफ की थी. इस्लाम की वहाबी विचारधारा में अंधे होकर ये लोग तालिबान का समर्थन करने में भी कतई नहीं हिचकिचाए थे. हाल ही में महाराष्ट्र के अमरावती समेत कुछ शहरों में हुई हिंसक घटनाओं में भी मुस्लिम संगठन रजा अकादमी का नाम आया था. ये वही रजा अकादमी है, 2012 में जिसके मुंबई के आजाद मैदान में एक रैली के आयोजन में हिंसा भड़कने पर मैदान के बाहर अमर जवान ज्योति को नुकसान पहुंचाया गया था. इस हिंसा में दो लोग मारे गए थे और दर्जनों लोग घायल हुए थे. वहीं, CAA के खिलाफ किए गए शाहीन बाग में चक्का जाम का सूत्रधार जेएनयू छात्र शरजील इमाम भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक रूप से संवेदनशील चिकन नेक यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर को काटने की बात कर रहा था. शाहीन बाग में शरजील इमाम जैसी सोच रखने वालों की तादात के बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है.
मोदी सरकार क्यों चुप नजर आती है?
इन तमाम चीजों को देखते हुए मन में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इन हरकतों पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी चुप्पी क्यों साधे रहती है? बहुत सीधी और स्पष्ट सी बात है कि ऐसे मामलों में शब्दों से ज्यादा कार्रवाई को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. और, मोदी सरकार वही कर भी रही है. इस्लामिक कट्टरपंथी जाकिर नाइक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) पर हाल ही में मोदी सरकार ने पांच साल का बैन और बढ़ा दिया है. इसके अलावा आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले इंडियन मुजाहिदीन, प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) जैसे आतंकी संगठनों की हरकतों पर निगरानी बढ़ाई गई है.
सवाल जस का तस
दैनिक भास्कर की एक खबर के अनुसार, यूट्यूब सर्च में जाकिर नाइक को सबसे ज्यादा जम्मू-कश्मीर में सर्च किया जा रहा है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के लिए मशहूर जाकिर नाइक को सुनने वाले लोगों की संख्या जम्मू-कश्मीर में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है. जम्मू-कश्मीर के बाद बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले राज्यों मेघालय, असम, पश्चिम बंगाल और मणिपुर में यूट्यूब पर जाकिर नाइक को सबसे ज्यादा सर्च किया जा रहा है. ये राहत की ही बात कही जा सकती है कि पंजाब, राजस्थान, ओडिशा, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में जाकिर नाइक सबसे कम सर्च किया गया है.
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