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Updated: 13 अक्टूबर, 2015 10:53 AM
मार्कंडेय काटजू
मार्कंडेय काटजू
  @justicekatju
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मुझे मालूम है इस बात के लिए मेरी आलोचना होगी. लेकिन जय प्रकाश नारायण के बौद्धिक स्तर को लेकर मेरी राय बिलकुल भी अच्छी नहीं है. उस व्यक्ति के पास देश की समस्याओं के हल को लेकर वास्तव में कोई वैज्ञानिक सोच नहीं थी. बौद्धिकता के मामले में मैं उन्हें महात्मा गांधी और अन्ना हजारे की ही तरह मूर्ख मानता हूं.

1954 में जेपी एक और मूर्ख विनोबा भावे के शिष्य बन गए जिनका इस्‍तेमाल सत्ता में बैठे लोग भूमिहीनों को गुमराह करने के लिए कर रहे थे कि बड़े जमींदार उन्हें स्वेच्छा से जमीन दे देंगे और उसके लिए उन्हें हथियार नहीं उठाना चाहिए.

इसमें कोई शक नहीं कि जेपी ने निरंकुश और सत्ता की भूखी इंदिरा गांधी के खिलाफ जंग छेड़ी थी, लेकिन जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद क्या हुआ? गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण, आदि क्या खत्म हो गए? उस बहुप्रचारित 'संपूर्ण क्रांति' का क्या हुआ? सब कुछ हवा हो गया और उनके बाद चेलों लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी और राम विलास पासवान ने बिहार को बर्बाद कर रखा है.

लेखक

मार्कंडेय काटजू मार्कंडेय काटजू @justicekatju

लेखक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एवं प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष हैं

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