मुश्ताक अहमद जरगर है मसूद अजहर के बाद आतंक का नया 'अजगर'
अनंतनाग आतंकी हमले के पीछे उस आतंकी का नाम सामने आ रहा है जिसे 1999 में मसूद अजहर के साथ रिहा किया गया था. Mushtaq Ahmed Zargar क्या भारत में आतंकवाद का नया चेहरा बनने वाला है?
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कश्मीर के Anantnag terror attack में पांच सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए. एक बार फिर पुलवामा आतंकी हमले की तरह हमारे जवानों की आहूती दी गई. अनंतनाग हमला एक बार फिर से अपने साथ कई सवाल खड़े कर गया. इस हमले के पीछे जिस आतंकी का नाम आ रहा है वो भी 1999 में हाईजैक घटना के दौरान छोड़ा गया था. इस आतंकी का नाम है Mushtaq Ahmed Zargar या मुश्ताक जारगर. भारत से रिहा होने के बाद इसके एक नया आतंकी संगठन Al Umar Mujahideen बनाया था. पुलवामा आतंकी हमले के बाद एक बार फिर जवानों को टार्गेट कर इस तरह का हमला होना बेहद निंदनीय है और उससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि ये किया भी उसी आतंकी ने है जिसे Masood Azhar की तरह कांधार हाईजैक के समय छोड़ा गया था.
बुधवार को अनंतनाग में दो आतंकियों ने CRPF की रोड ओपनिंग पार्टी पर हमला किया. रिपोर्ट के तौर पर इस हमले की जिम्मेदारी Al-Umar Mujahideen ने ली है. इसमें 5 जवानों की मौत के साथ-साथ पांच लोग घायल भी हुए हैं.
Mushtaq Ahmed Zargar को लेकर अब एक नया खतरा भारत के सामने है.
कंधार हाईजैक के दौरान छोड़ा गया था मुश्ताक-
24 दिसंबर 1999 में 5 आतंकवादियों ने 178 यात्रियों के साथ इंडियन एयरलाइंस के आईसी-814 प्लेन को हाइजैक कर लिया. हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के आतंकियों ने भारत सरकार के सामने 178 यात्रियों की जान के बदले में तीन आतंकियों की रिहाई का सौदा किया. इसमें Mushtaq Ahmed Zargar, Ahmed Omar Saeed Sheikh, और Mulana Masood Azhar शामिल थे.
अहमद ओमार सईद शेख अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के अलावा और कई हाईप्रोफाइल कारनामों में शामिल था. मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद बनाया लेकिन मुश्ताक जो पहले Jammu and Kashmir Liberation Front का सदस्य था वो 1991 में ही अपना अलग संगठन बना चुका था. उसे 2002 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये सिर्फ खानापूर्ति के लिए किया गया था.
बालाकोट में जैश के मदरसे में देता था ट्रेनिंग-
भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों की मानें तो मुश्ताक की जड़ें जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी हुई हैं. वो जैश ए मोहम्मद के मदरसे में आतंकवादियों को ट्रेनिंग देता था. ऐसा माना जा रहा था कि वो बालाकोट हमले में मारा गया. पर किसी की भी पुष्टी नहीं हुई थी. हालांकि, अनंतनाग हमले के दौरान एजेंसियां ये भी कह रही हैं कि मुश्ताक का कश्मीर में कोई खास दबदबा नहीं है और Al-Umar Mujahideen के पास इतने सोर्स भी नहीं थे कि वो छोटा हमला भी कर सकें. पर जैश ए मोहम्मद या हिजबुल मुजाहिद्दीन ने मुश्ताक की मदद की.
1999 में रिहा होने के बाद से ही मुश्ताक किसी न किसी तरह से आतंकवाद से जुड़ा हुआ है और भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में रहता है. अब अनंतनाग पर ये हमला कर उसने साबित कर दिया है कि वो भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है.
भारतीय गृहमंत्री की बेटी के अपहरण में भी था मुश्ताक का हाथ-
ये घटना 1989 की है. उसी समय मुश्ताक कथित तौर पर JKLF के पहले कमांडर चीफ Ashfaq Majeed Wani से ट्रेनिंग लेकर पाकिस्तान से वापस आया था. 12 दिसंबर 1989 में जिन लोगों ने रूबिया सईद का अपहरण किया था उसमें से एक मुश्ताक भी था. भारत के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया की रिहाई के एवज में आतंकियों ने 5 अन्य आतंकियों की रिहाई की मांग की थी. सरकार ने आतंकियों की बात मान ली थी और फिर मुजाहिदों को रिहा कर दिया था.
मुश्ताक पर करीब तीन दर्जन लोगों के कत्ल का इल्जाम है. ये सिर्फ कश्मीर के आंकड़े हैं. इसमें कई भारतीय सेना अधिकारियों का नाम भी शामिल है. मुश्ताक को 15 मई 1992 को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 1999 में छोड़ दिया गया था. रिहा होने के बाद नए सिरे से Al-Umar Mujahideen की बुनियाद मज्बूत करने के बाद मुश्ताक हमेशा से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास रहा है. वो लोगों को फिदाइनी हमले करने के लिए ट्रेनिंग भी देता है.
ट्विटर पर मुश्ताक अहमद के नाम के एक अकाउंट द्वारा 6 जून को ही कुछ तस्वीरें शेयर की गई थीं जिसमें मुश्ताक अहमद और हाफिज सईद की फोटो एक साथ थी और साथ ही लिखा था कि अब कश्मीर बनेगा पाकिस्तान.
ये तस्वीरें एक ट्विटर अकाउंट पर शेयर की गई थीं.
इन तस्वीरों के जरिए भी ये समझना मुश्किल नहीं है कि वाकई ऐसा लिंक सामने आया है जिसमें पाकिस्तान और मसूद अजहर का आंतकी संगठन मिले हो सकते हैं. हालांकि, इसमें और कोई जानकारी नहीं दी गई कि ये तस्वीरें किस इलाके की हैं. पर ये साफ करती हैं कि मुश्ताक अहमद और जैश ए मोहम्मद दोनों संगठन मिल गए हैं. फिलहाल सिर्फ ये खबर है कि अल उमर मुजाहिद्दीन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि ये संगठन या मुश्ताक अहमद जिसे अभी तक मरा हुआ माना जा रहा था वो एकदम से कैसे जिंदा हो गया.
जिस तरह की रिपोर्ट है अगर वाकई मुश्ताक ही इन हमलों के पीछे है तो भारत का ये पुराना दुशमन एक बार फिर से एक्टिव हो गया है और कश्मीर में अभी बहुत अशांति फैला सकता है. क्योंकि बालाकोट हमले के बाद भारतीय सेनाओं की मुश्तैदी से जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन को काफी नुकसान पहुंचा है और कश्मीर से कई बड़े आतंकियों को मार गिराया गया है जिसमें से एक जाकिर मूसा भी था, ऐसा हो सकता है कि जैश जैसे संगठन ये चाहते हों कि वो किसी ऐसे गुप्त संगठन का इस्तेमाल करें जो ज्यादा चर्चित न हो और ऐसे में वो सेना के ऑपरेशन से बच सके और फिर भी अपना काम कर सके. अल-उमर मुजाहिद्दीन जो कश्मीर में वैसे भी अब एक्टिव नहीं है उसका साथ लेकर पाकिस्तान की एजेंसियां और आतंकवादी भारत पर हमला करने की फिराक में हैं.
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