Jharkhand Election Result: नई झारखंड सरकार और हेमंत सोरेन की चुनौतियां
Jharkhand Election Result में BJP का कमल मुरझा गया है जबकि हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की पार्टी JMM सरकार बनाती नजर आ रही है. इस चुनाव में JMM ने Congress और RJD के साथ गठबंधन कर रखा है इसलिए आगे तमाम चुनौतियां हैं जिनका सामना हेमंत सोरेन और जेएमएम को करना पड़ेगा.
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Jharkhand Election Result 2019 से साफ हो गया है कि राज्य में भाजपा (BJP In Jharkahdn) का कमाल मुरझा गया है. आरजेडी और कांग्रेस (RJD and Congress in Jharkhand) को साथ लेकर चुनाव लड़ने वाली हेमंत सोरेन (Hemant Soren to Be CM Of Jharkhand) की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM in Jharkhand elections) अपने गठबंधन के लिए 47 सीट अर्जित करने में कामयाब रही. वहीं बात अगर भारतीय जनता पार्टी की हो तो भाजपा राज्य में अकेले चुनाव लड़ी है. और 25 सीट ही जीत पाई. राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बाद झारखंड भाजपा के हाथ से निकलने वाला पांचवा राज्य बना. झारखंड चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल्स (BJP Position in Exit Polls) ने पहले ही इस बात की तस्दीक कर दी थी कि हेमंत सोरेन सरकार बनाएंगे और राज्य के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे. सवाल है कि क्या झारखंड संभालना हेमंत सोरेन के लिए इतना ही आसान है? क्या ये चुनाव हेमंत सोरेन के लिए किसी हलवे सरीखा है ? क्या आरजेडी और कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद हेमंत सोरेन अपने मन की बातों को अंजाम दे पाएंगे ? इस सारे सवालों के जवाब हैं नहीं. गठबंधन के चलते झारखंड में अगर हेमंत सोरेन बड़ी जीत दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री बन भी गए तो उनके लिए राहें इतनी भी आसान नहीं होंगी.
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार बना भी लें तो ऐसा बहुत कुछ है जो उनकी परेशानियों को कम नहीं करेगा
आगे तमाम ऐसे मौके आ सकते हैं जब झारखंड में महाराष्ट्र का इतिहास दोहराया जा सकता है. चूंकि तीन बड़े दलों में गठबंधन हुआ है इसलिए कांग्रेस और आरजेडी से मोर्चा लेने या फिर अपनी बात मनवाने में सोरेन को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. कुछ और कहने या फिर बताने से पहले हमारे लिए झारखंड में कांग्रेस और आरजेडी की स्थिति पर चर्चा करना बहुत जरूरी है. 81 सीटों वाली झारखंड विधासभा में जेएमएम 39, कांग्रेस 12 और आरजेडी 5 सीटों पर आगे हैं. जबकि बात अगर भाजपा की हो तो भाजपा ने 31 सीटों पर बढ़त बनाई हुई है और सबसे बड़े दल के रूप में अपना झंडा बुलंद कर रखा है.
#JharkhandAssemblyElections So, it is INC+ all the way!BJP has got the popular vote with 33.6% and INC and JMM has got 32%. pic.twitter.com/jHsplD6H1l
— Chaitanya (@illusionistChai) December 23, 2019
बात झारखंड से भाजपा का सूपड़ा साफ़ करने की है तो विपरीत कार्यप्रणाली होंने के बावजूद आरजेडी और कांग्रेस एक साथ आए हैं और उन्होंने हेमंत सोरेन को अपना समर्थन दिया है. ध्यान रहे कि भले ही झारखंड में कांग्रेस 12 सीटें जीतने में कामयाब हुई हो मगर इसमें राहुल गांधी का कोई योगदान नहीं है. पार्टी ने यहां जो भी प्रदर्शन किया वो राहुल गांधी की गैरहाजिरी में किया.
All state election results in the past few years have been very close contests...however at the center the difference is Modi. BJP really need to promote their other leaders in the next few years. Time to choose Modi's heir apparent#JharkhandAssemblyElections #JharkhandResults
— Nitin Sharma (@nitin1sharma) December 23, 2019
अब क्योंकि राजनीति में कुछ नि:स्वार्थ और निष्काम नहीं होता. तो ये अभी से माना जा रहा है कि चले राष्ट्रीय जनता दल हो या फिर कांग्रेस दोनों ही दलों ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से इसकी कीमत वसूलने के लिए अपनी कमर कस ली है. वर्तमान में भले ही कांग्रेस और आरजेडी कुछ बड़ा न कर पाई हों मगर भाजपा को धकेलने के लिए जैसे ये दोनों दल एकजुट हुए हैं. माना जा रहा है कि नई सरकार में, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में अगर ये तीनों ही दल सामने आएंगे तो जो सबसे पहली लड़ाई होगी वो मलाईदार पदों और मंत्रालयों को लेकर होगी.
कांग्रेस और आरजीडी यही चाहेंगे कि अच्छे मंत्रालय उन्हीं को मिलें जबकि जेएमएम का भी प्रयास कुछ ऐसा ही होगा कि मलाईदार पद उसके पाले में रहें. इन चीजों के आलवा अगर हेमंत सोरेन का जिक्र हो तो ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि हेमंत के अन्दर सत्ता की जबरदस्त भूख है. ये भूख उनमें इस हद तक है कि अगर चीजें सही समय पर मैनेज न होतीं तो इस शर्त पर कि मुख्यमंत्री वही बनेंगे हेमंत सोरेन भाजपा तक के साथ गठबंधन कर सकते थे.
कौन हैं हेमंत सोरेन
हेमंत, झारखंड के बड़े नेताओं में शुमार शीबू सोरेन के उत्तराधिकारी हैं साथ ही वो झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं. हेमंत, झारखंड की बरहेट और दुमका सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 के विधानसभा चुनावों में भी हेमंत दुमका और बेरहेट सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन दुमका सीट पर बीजेपी के लुइस मारंडी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वहीं बरहेट सीट पर उन्हें जीत हासिल हुई थी.
बरहेट सीट विजय होने के बाद हेमंत विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने थे. हेमंत, 2014 विधानसभा चुनावों में जीत के साथ दूसरी बार विधायक चुने गए थे. बात अगर अर्जुन मुंडा सरकार की हो तो झारखंड के सीएम रह चुके हेमंत उस सरकार में भी राज्य के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
बात अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की हो तो हेमंत सोरेन को लेकर उनका भी यही मानना है कि वो एक ऐसे नेता हैं जिन्हें मौका भुनाना खूब आता है. चाहे भाजपा के साथ जेएमएम का गठबंधन रहा हो या फिर इनका कांग्रेस के साथ आना रहा हो अपनी बिछाई हुई चालों का हमेशा ही हेमंत सोरेन को फायदा हुआ है और तमाम मौके ऐसे भी आए हैं जब उन्होंने ये साबित किया है कि वो राजनीति में बड़ी पारी खेलेंगे.
बहरहाल, विषय नई सरकार में हेमंत सोरेन की चुनौतियां हैं. तो सोरेन गठबंधन के साथियों को कितना खुश कर पाएंगे इस सवाल का जवाब हमें वक़्त देगा. लेकिन जो वर्तमान है और जैसा सत्ता संघर्ष हम पूर्व में कर्नाटक फिर महाराष्ट्र में देख चुके हैं महसूस होता है कि हेमंत सोरेन और उनके दल के लिए सबको राजी ख़ुशी रखना एक टेढ़ी खीर होने वाला है.
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