कहां गया जेएनयू का अजीब नजीब ?
ये कैसी यूनिवर्सिटी है जहां वामपंथ के नाम पर जेहादी गुंडे पलते हैं, इसे जेहादियों का अड्डा बना दिया है....
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14 तारीख की रात को कुछ छात्र हॉस्टल की मेस कमेटी के चुनाव के लिए वोट मांगने माही मांडवी छात्रावास में घूम रहे थे. उसी छात्रावास का कमरा नंबर 106 कामरेड नजीब का हैं. वोट मांगने वाले एक हिन्दू छात्र की कलाई में कलावा बंधा था, पाक नजीब का कमरा उस कलावे से नापाक हो गया. उसने छात्र की गुद्दी पकड़ ली और कहा कि कलावा पहनकर मेरे कमरे में घुसने की तेरी हिम्मत कैसे हुई?
उसके बाद नजीब ने उसे पीटा. शोर हुआ तो छात्र के साथी जुट गए और नजीब पर क्रिया के साथ और बराबर प्रतिक्रिया हुई. उसके बाद लाल सलाम वालों ने बैठक की. अगली सुबह से नजीब नदारद.
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अब जेएनयू के वीसी, रजिस्ट्रार और तकरीबन दस स्टाफ प्रशासनिक ब्लॉक में बंद में कर दिये गए हैं. कई घंटों से उन्हें एक तरह से कैद रखा गया है. वीसी हाथ जोड़कर छात्रों से अपील कर रहे हैं उन्हें जाने दें, उनमें से एक दो शिक्षक हृदयरोगी हैं. वे तकलीफ में हैं लेकिन चेगुवारा की औलादों को ये गंवारा नहीं है. उनकी मांग है कि नजीब को फुल टाइम सुरक्षा दो.
जब विवाद की फैक्ट्री बन जाए छात्र राजनीति |
कहने का मतलब ये कि वीसी साहब चौबीस घंटे नजीब के साथ रहें. सुरक्षा चाहिए जेड प्लस वाली. सुरक्षा मांग रहे हैं और नजीब जी लापता हैं तो साफ है कि किसी लाल सलाम वाली नारी मुक्ति गिरोह के अंतपुरम में आराम फऱमा रहे होगें. अंगूर, बादाम छुहारा परोसा जा रहा होगा और विदेशी स्कॉच दी जा रही होगी. बाहर के तमाशे देख देख कर कामरेड मजे ले रहा होगा.
यही तो क्रांति हैं. ऊपर से धमकी दी जा रही है कि कोई हिन्दू छात्र नहीं बचेगा. जरा सोचिए ये कैसी यूनिवर्सिटी है जहां वामपंथ के नाम पर जेहादी गुंडे पलते हैं, इसे जेहादियों का अड्डा बना दिया है. जिनमें अपने शिक्षकों के लिए न्यूनतम मर्यादा या सम्मान नहीं है.
ओछी छात्र राजनीति विश्वविद्यालय प्रशाषन को भी नहीं छोड़ रही |
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यहां जिस तरह की अव्यवस्था है जैसा लोकतांत्रिक अनाचार है, उसे दुरुस्त करने के लिए दंड की दरकार है. कठोर वित्तीय दंड. कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए. दस बीस के साथ जब ऐसा होगा, तब औकात में आने लगेंगे. पागलपन की हद तक बेलगाम हो गए हैं ये.
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