JNU-जामिया पर कांग्रेसी रुख 'मुद्दे' के लिए लोकप्रिय, सियासत के लिए नुकसानदेह!
कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेताओं में शुमार शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने JNU, जामिया मिल्लिया और शाहीनबाग़ की यात्रा की है तो बता दें कि भले ही थरूर के ऐसा करने से पार्टी को फायदा हो मगर बात जब खुद थरूर की आएगी तो इसका खामियाजा उन्हें आने वाले वक़्त में भुगतना होगा.
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नागरिकता संशोधन कानून और NRC पर जारी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. बात अगर राजधानी दिल्ली की हो तो CAA और NRC के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय (Jamia students protesting against CAA) के छात्रों का प्रदर्शन और शाहीनबाग में जारी औरतों (Shaheenbagh protest against CAA) का धरना बीते कई दिनों से सुर्ख़ियों में है. नए कानून के खिलाफ करीब एक महीने से प्रदर्शन करने वाले छात्रों और महिलाओं का तर्क है कि नागरिकता संशोधन कानून देश को बांटने वाला कानून है जिसे सरकार को वापस लेना चाहिए. वहीं बात विपक्ष मुख्यतः कांग्रेस (Congress stand on CAA) की हो तो वो इस मुद्दे को लेकर सरकार से सीधा मुकाबला कर रही है. ये शायद सरकार से आर-पार की लड़ाई ही है जिसके चलते बीते दिनों ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने जामिया, शाहीनबाग और जेएनयू (Shashi Tharoor visiting Jamia ShaheenBagh and JNU) का दौरा किया और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेने का प्रयास किया. दिल्ली में कांग्रेस को मजबूत दिखाने के लिए थरूर ने तीनों ही स्थानों पर बड़ा दाव तो खेल लिया है. मगर उन्हें ये भी ध्यान रखना होगा कि ये सीधे सीधे उनकी सियासत को प्रभावित करेगा और इससे उन्हें बड़ा नुकसान होगा.
जामिया पहुंच कर छात्रों को संबोधित करते कांग्रेस नेता शशि थरूर
बता दें कि प्रदर्शनकारी छात्रों और महिलाओं को बल देने के लिए जामिया और शाहीनबाग़ पहुंचे शशि थरूर ने मौके की नजाकत को समझते हुए छात्रों और प्रदर्शन में शामिल लोगों में जोश भरने के लिए इकबाल का शेर पढ़ा था. साथ ही मौके पर उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए ये भी कहा था कि वो नागरिकता कानून और NRC के जरिये देश को बांटने का काम कर रही है.
@ShashiTharoor in jamia today . Honoured to hear him . Thank you sir. #Jamiafightson pic.twitter.com/FjbuLoc6Az
— Sadiq Ali (@iam_sadiqali) January 12, 2020
जामिया में छात्रों को संबोधित करते हुए थरूर ने 15 दिसंबर की घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि तब जो कुछ हुआ वह राष्ट्र पर एक धब्बा है. बगैर किसी उकसावे के कुलपति को सूचित किए बगैर पुलिसवाले छात्रावासों में घुसे और छात्राओं पर हमला किया. पुस्तकालय में पढ़ रहे छात्रों पर हमला किया गया, जो कि शर्मनाक है और कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है.' साथ ही CAA को लेकर थरूर ने ये भी कहा कि, केंद्र का कदम भेदभावपूर्ण है और एक समुदाय को हाशिये पर धकेलने की कोशिश है.
"आप ही हैं इस शहर की शान, आप ही हैं इस देश की जान।"
Dr @ShashiTharoor at Shaheen Bagh today. pic.twitter.com/sZa74hNNff
— Ruchira Chaturvedi (@RuchiraC) January 12, 2020
चाहे जामिया और शाहीनबाग हो या फिर जेएनयू जिस तरह शशि थरूर वहां पहुंचे. उन्होंने न सिर्फ मामले को गर्म किया है. बल्कि ये भी बता दिया है कि आने वाले कई दिनों तक इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस द्वारा राजनीतिक रोटी सेंकी जाएगी. मुद्दा आगे क्या रंग दिखाएगा इसका जवाब खुद थरूर ने पत्रकार पल्लवी घोष को दिया था. पल्लवी ने थरूर को ट्विटर पर टैग करते लिखा था कि थरूर पहले कांग्रेस के हाई प्रोफाइल नेता हैं जो न सिर्फ जामिया और जेएनयू गए बल्कि उन्होंने CAA और NRC को लेकर छात्रों से खुलकर बात भी की.
@ShashiTharoor first high profile cong neta to actually go to both jamia and jnu to address and meet the students inside the campus
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) January 12, 2020
पल्लवी का जवाब देते हुए थरूर ने कहा है कि यह ओवर ड्यू था. @INCIndia छात्रों के साथ खड़ा है. साथ ही थरूर ने @INC दिल्ली के अध्यक्ष @SChopraINC का जिक्र करते हुए कहा कि चोपड़ा दोनों झी कैम्पसों के अलावा शाहीनबाग गए और अब जबकि मैं यहां आया हूं तो भी वो मेरे साथ हैं.
It was overdue. @INCIndia stands with the students. @INCDelhi President @SChopraINC has been to both campuses & ShaheenBagh too — & he is with me on these visits today https://t.co/hqy9SRrDDe
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 12, 2020
इसी तरह थरूर जेएनयू भी गए और वहां उन्होंने फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मुलाकत की और बीते दिनों परिसर में हुई मारपीट के दौरान घायल हुईं छात्रसंघ अध्यक्ष आयशी घोष से मुलाकात की.
After an hour interacting with the JNU students under the auspices of @nsui, visited wounded JNUSU President AisheGhosh to commend her courage, commiserate on her injuries (stitches in the head& am arm in plaster) &wish her a speedy recovery. pic.twitter.com/LBv33oSXQP
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 12, 2020
हो सकता है कि जामिया और जेएनयू में थरूर ने छात्रों से मिलकर बोझिल पड़े मुद्दे को लोकप्रिय कर दिया हो और उसमें जान फूंक दी हो. मगर ये कहने में हमें कोई गुरेज नहीं है कि ये भेंट कहीं से भी उनकी सियासत के लिहाज से फायदेमंद नहीं है. जैसे जैसे समय आगे बढ़ेगा इसका सीधा असर उनकी सियासत पर हमें दिखाई देगा.
बात सीधी और एकदम साफ़ है. दिल्ली में चुनाव होने हैं. इस स्थिति में अगर कांग्रेस पार्टी का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि कांग्रेस की स्थिति कोई अच्छी नहीं है. ऐसे में CAA और NRC विरोध में जिस तरह कांग्रेस खुलकर सामने आई है. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने दिल्ली में अपना खोया हुआ जनाधार वापस लाने के लिए एक बड़ा दाव खेला है और इसकी जिम्मेदारी थरूर को दी है जो मैदान और ट्विटर दोनों ही स्थानों पर सधी हुई पारी खेलकर पार्टी को मजबूत करने का काम करते नजर आ रहे हैं.
बाकी बात हमने थरूर की सियासत प्रभावित होने के सन्दर्भ में कही है. तो बता दें कि चाहे जामिया हो या फिर जेएनयू पूर्व में छात्र अफज़ल गुरु की शोक सभा मनाने से लेकर भारत के टुकड़े तक ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जिसके चलते इनकी खूब जमकर किरकिरी हुई थी.
ऐसे में अब जबकि शशि थरूर इनके समर्थन में सामने आए हैं तो भले ही जेएनयू और जामिया के छात्र एक सही मुद्दा उठा रहे हैं. ये उन लोगों को प्रभावित करेगा जिनके जीवन में राष्ट्रवाद एक बड़ी भूमिका अदा करता है. यानी कल हम थरूर की भी कुछ वैसा ही फजीहत देख सकते हैं जैसी हमने राहुल गांधी की उस वक़्त देखी थी जब जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने का मामला छाया हुआ था और राहुल ने अपनी चुप्पी के रूप में एक तरह से उन बातों का समर्थन किया था.
अंत में हम अपनी बातों को विराम देते हुए बस यही कहेंगे कि चाहे थरूर का जामिया जेएनयू और शाहीनबाग जाना हो. या फिर लोगों का प्रदर्शन. दिल्ली में चुनाव होने हैं. तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा. भाजपा इस बात को बखूबी जानती है कि इस मुद्दे को लेकर तुष्टिकरण कैसे करना है? कैसे इसमें कांग्रेस को फंसाना है? और कैसे इसको बड़ा मुद्दा बनाते हुए वोट हासिल करने हैं. कुल मिलाकर बात का सार बस इतना है कि दिल्ली में भाजपा की राहें खुद कांग्रेस ने आसान की हैं.
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