सोनिया गांधी अब भी विदेशी हैं क्योंकि...
सोनिया गांधी ने भारत को लूटा है. इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है. लेकिन जिस परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर कइयों को फांसी दी गई है, उसी के आधार पर...
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तकनीकी रूप से सोनिया गांधी ने भले ही भारत की नागरिकता ले ली है लेकिन मैं अभी भी उन्हें एक विदेशी ही मानता हूं.
मुगलों के शुरुआती दिनों को देखें तो वे भी विदेशी थे क्योंकि बाबर भारत के बाहर से आया था. लेकिन अकबर के बाद से वे सब भी हम सभी के समान ही भारतीय थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने भारतीय धन-संपदा को लूट कर विदेश नहीं ले गए. और तो और, वास्तविकता में देखा जाए तो मुगल शासन के अधीन भारत बृहतर स्तर पर समृद्ध ही हुआ था. एक अनुमान के तहत मुगल शासन के दौरान अंतरराष्ट्रीय व्यापार के एक तिहाई हिस्से पर भारत का कब्जा था. भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों के उत्पाद सुदूर यूरोप में भी बेचे जाते थे.
ब्रिटिश राज के दौरान भारत आने वाले अंग्रेजों के बारे में यही बात नहीं कही जा सकती है. हालांकि यह भी सच है कि उनमें से कई भारत में लंबी अवधि के लिए रहे, दशकों तक रहने के बाद कुछ की मौत भी यहीं पर हुई, लेकिन वे यहां लूट के लिए आए थे और भारत की विशाल धन-संपदा को इंग्लैंड ले गए. इसलिए उन्हें भारतीय नहीं माना जा सकता है.
इसमें कोई संदेह नहीं कि सोनिया गांधी भी लंबे समय से भारत में रह रही हैं लेकिन उन्होंने भारत को लूटा है और इस भारी-भरकम लूट को भारत से कहीं दूर कुछ गुप्त जगहों पर जैसे स्विस बैंक, आइल ऑफ मैन, केमैन आईलैंड, मॉरीशस आदि में छुपा कर रखा है.
यह कहने के पीछे मेरे पास सबूत क्या हैं? कुछ भी नहीं, मेरे पास कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है. लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य जैसी कोई चीज भी होती है और इसके आधार पर कइयों को फांसी तक दिया गया है.
इसमें भी कोई संदेह नहीं कि यूपीए- 1 और यूपीए- 2 के दौरान प्रभावी शासक सोनिया गांधी ही थीं जबकि मनमोहन सिंह केवल एक कठपुतली थे, एक मुखौटा. करोड़ों रुपये नहीं बल्कि लाखों करोड़ की लूट यूपीए- 1 और यूपीए- 2 के दौरान एक के बाद घोटाले कर लूटे गए. आखिर कहां गए इतने सारे पैसे?
यूपीए- 1 और यूपीए- 2 के दौरान चूंकि सोनिया गांधी के ही प्रभावी नियंत्रण में भारत सरकार थी और अन्य कांग्रेसी नेताओं की इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वे बिना उनकी अनुमति के चूं-चपड़ भी कर सकते. ऐसे में परिस्थितिजन्य साक्ष्य यह कहता है कि उस लूट की प्रमुख लाभार्थी सोनिया ही थीं (हालांकि इसका एक छोटा हिस्सा यूपीए- 1 और यूपीए- 2 के सहयोगी दलों या कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं के पास भी गया होगा)
कानून में एक कहावत है - 'Res ipsa loquitor'. इसका मतलब होता है - 'मामला अपने आप सब कुछ कह डालता है'. यही वो कारण है कि सोनिया गांधी को मैं विदेशी मानता हूं.
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