किसान आंदोलन पर ज्ञान देने वाले जस्टिन ट्रूडो कनाडा में प्रदर्शनकारियों को रौंद रहे हैं!
ये वही ट्रूडो हैं जो किसान आंदोलन के समय भारत को लोकतंत्र की रक्षा का ज्ञान दे रहे थे. अब वे खुद लोकतंत्र को अपने पैरों तले रौंद रहे हैं और प्रदर्शनकारियों को कुचल रहे हैं. जो भारत को लोकतंत्र में प्रदर्शन का महत्व समझा रहे थे, आज वे खुद कनाडा के प्रदर्शनकारियों पर कहर बनकर टूट रहे हैं.
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किसान आंदोलन (Farmer protest) पर भारत को ज्ञान का पाठ पढ़ाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Canada PM Justin Trudeau) आज अपने देश के लोगों को कुचल रहे हैं तैकि उनकी आवाज को दबा सकें. सही कहते हैं लोग कि कर्मा लौटकर आता है. आप जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करते हैं वह आपके पास सूद समेत लौटता जरूर है.
अब कनाडा के प्रधानमंत्री को ही ले लीजिए जिन्होंने हमारे देश में हो रहे किसान आंदोलन का खूब समर्थन किया था और भारत को ज्ञान के मोती बांट रहे थे. आज उन्हें समझ आया होगा कि तकलीफ सभी को होती है.
अब यह वक्त का पहिया भी बड़ा अजीब है जनाम लौटकर आता है तो अच्छे-अच्छे के होश ठिकाने आ जाते हैं. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए तो यह वक्त कुछ ज्यादा जल्दी ही सबक सिखाने आ गया. वो कहते हैं ना जैसी करनी वैसी भरती. जो आपने बोया है वही काटने को मिलेगा या फिर जब खुद पर बीतेगी तो समझ जाओगे.
भारत को ज्ञान देने वाले ऐसी दो मुंहे प्रधानमंत्री ट्रूडो के बारे में आपकी राय क्या है?
दरअसल, किसान आंदोलन के समय कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार को शांति और संवाद का ज्ञान बांटा था. अब बात तो हमारे देश, हमारे घर की थी लेकिन विदेश में किसान आंदोलन के मुद्दे को उछालकर खुद को बेहतर और भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की गई. अब जब कनाडा में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और यह बात कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को बिल्कुल पसंद नहीं आ रही है.
याद कीजिए ये वही ट्रूडो हैं जो किसान आंदोलन के समय भारत को लोकतंत्र की रक्षा का ज्ञान दे रहे थे. अब वे खुद लोकतंत्र को अपने पैरों तले रौंद रहे हैं और प्रदर्शनकारियों को कुचल रहे हैं. जो भारत को लोकतंत्र में प्रदर्शन का महत्व समझा रहे थे, आज वे खुद कनाडा के प्रदर्शनकारियों पर कहर बनकर टूट रहे हैं. हमारे देश को तो प्रदर्शन झेलने की आदत है लेकिन कनाडा तो एक महीने भी इस आंदोलन को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. वहां के हालात दयनीय हैं.
दरअसल, कोविड वैक्सीन को अनिवार्य बनाए जाने और लॉकडाउन को लेकर कनाडा में जोरदार प्रदर्शन किया जा रहा है. हजारों की संख्या में ट्रक ड्राइवर अपने ट्रक लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे राजधानी ओटावा सहित ओंटारियो के शहर विंडसर में जाम है और जन-जीवन ठप पड़ा है. जिस पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गहरी आपत्ति जताई है और कहा है कि इस प्रदर्शन तुरंत खत्म करना चाहिए.
भारत के लोगों अब जस्टिन ट्रूडो की बात गले से नीचे नहीं उतर रही है. सही बात है भाई कोई इतना जल्दी कैसे बदल सकता है? ट्रूडो ने कनाडा में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर आपत्ति जताई है. ये वही ट्रूडो हैं जिन्होंने भारत के किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा था कि, उनकी सरकार हमेशा से शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन का समर्थक रही है. तो अब उनकी वो सरकार कहां गई?
क्यों अब कनाडा के नागरिकों को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए अनैतिक फैसले लिए जा रहे हैं. भारत के समय तो बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे और जब बात खुद पर आई है तो सीधे पलटी मार गए. भारत के लोगों का कहना है कि खुद पर बात आई तो कैसे मिर्ची लग गई, भारत को ज्ञान देने वाले ट्रूडो को माफी मांगनी चाहिए. लोग ट्रूडो के ट्वीट को रिट्वीट कर उन्हें उनकी ही बात याद दिला रहे हैं.
किसान आंदोलन के समय ट्रूडो ने क्या कहा था और अब कनाडा में प्रदर्शन होने पर क्या बोल रहे
दरअसल, भारत में किसान आंदोलन के समय जस्टिन ट्रूडो ने कहा था, ‘अगर मैं किसानों के विरोध के बारे में भारत से आने वाली खबरों पर अपनी बात नहीं रखता हूं तो मुझे खेद होगा, यह स्थिति चिंताजनक है. हम सभी परिवार और दोस्तों को लेकर बहुत चिंतित हैं. हम जानते हैं कि यह आप में से कई लोगों के लिए एक वास्तविकता है. मैं आपको याद दिला दूं, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा. हम बातचीत की प्रक्रिया में विश्वास करते हैं. हम अपनी चिंताओं को उजागर करने के लिए कई माध्यमों से भारतीय अधिकारियों तक पहुंचे हैं. यह हम सबके लिए एक साथ आने का क्षण है.'
इसके विपरीत जब कनाडा में विरोध प्रदर्शन हो रहा है तो जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि, ये अस्वीकार्य है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. मैं 'नाकाबंदी, अवैध प्रदर्शन अस्वीकार्य हैं. ये बिजनेस और उत्पादकों का नुकसान कर रहे हैं. हमें प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सब कुछ करना चाहिए. मैं स्पष्ट कर दूं कि प्रदर्शनकारियों को हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे लोकतंत्र, या हमारे साथी नागरिकों के दैनिक जीवन में बाधा डालने का अधिकार नहीं है. इसे रोकना होगा. ओटावा के लोग अपने ही पड़ोस में परेशान होने के लायक नहीं हैं. वे सड़क के किनारे जारी हिंसा को सामना करने के लायक नहीं हैं.'
इतना ही नहीं कनाडा के जन सुरक्षा मंत्री का कहना है कि अमेरिकी अधिकारियों को उनके घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए. जबकि खुद ट्रूडो ने भारत के आंतरिक मामले में हस्क्षेप किया था. प्रदर्शन को रोकने के लिए ओटावा के मेयर ने लगभग 2,000 अतिरिक्त पुलिस अधिकारियों को तैनात किया है.
शांति की बात करने वाले ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने की बात कही
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पहले ही साफ कर दिया था कि प्रदर्शन करने वाले को कुचल दिया जाएगा. इसके बाद अब कनाडा पुलिस ट्रक प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए थर्ड डिर्गी का इस्तेमाल करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर है. ट्रक ड्राइवर्स पिछले तीन हफ्तों से राजधानी ओटावा की सड़कों पर शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं. जिन्हें सड़क से हटाने के लिए भारी संख्या में पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है, उनपर डंडे बरसाए जा रहे हैं.
कनाडा प्रदर्शनकारियों को कुचल रहा है. वह कनाडा जो हमेशा डेमोक्रेसी के मामले पर पांचवें रैंकिंग पर आता है. सही बात है दूसरों को ज्ञान बाटना बहुत आसान होता है लेकिन जब बात खुद पर आती है तब लोगों को समझ आती है. भारत को ज्ञान देने वाले ऐसी दो मुंहे प्रधानमंत्री ट्रूडो के बारे में आपकी राय क्या है? हमारे हिसाब से प्रदर्शनकारियों पर डंडे बरसाना और कुचलना गलत है, चाहें यह किसी भी देश की बात क्यों न हो...
सोशल मीडिया पर जस्टिन ट्रूडो की छिछीलेदर हो रही है
Blocking the daily life of citizens during the farmers agitation was fine example of democracy and peaceful protest in India but not in Canada. It was immature and provocative of Trudeau to meddle long distance in our internal affairs then. Now the shoe is badly pinching. https://t.co/6cVEAf07lf
— Kanwal Sibal (@KanwalSibal) February 9, 2022
“Canada will always stand up for the right of peaceful protests anywhere around the world.” -Trudeau on Indian Farmers’ Protests, Dec 2020 https://t.co/NzSbPa76JD
— Ashwin Sanghi (@ashwinsanghi) February 8, 2022
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