केजरीवाल की कॉलर पकड़ने की बात कर कपिल अपने आरोपों की हवा निकाल दी
शुरू शुरू में तो कपिल मिश्रा काफी संजीदे नजर आये लेकिन जैसे जैसे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उनके आरोपों का अंबार बढ़ता गया - लगा जैसे कपिल का कद यूं ही घटता जा रहा हो.
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कपिल मिश्रा ने केजरीवाल नहीं बल्कि उनके विरोधियों के सामने नयी चुनौती पेश कर दी है. जाहिर ये है भ्रष्टाचार के भीषड़ आरोप नहीं हैं. जो विरोधी अब तक केजरीवाल को नौटंकीबाज बताते रहे अब उन्हें ये तय करना होगा कि कपिल मिश्रा और केजरीवाल में भला बीस कौन है?
कपिल की अदा
देश में कई ऐसे नेता हैं जो चुनावी रैलियों में भाषण देने के लिए नोट लिखवा कर लाते हैं. हर रैली में एक दो बातों के अलावा शायद ही कुछ नया सुनने को मिलता हो, फिर भी बगैर लिखे वो चार लाइन नहीं बोल पाते. जैसी प्रेस कांफ्रेंस कपिल की रही, अक्सर ऐसी स्थिति में लोग मोटी मोटी बातें बता कर मीडिया को दस्तावेज सौंप देते हैं - बाद में सवाल जवाब की प्रक्रिया में आरोप लगाने वाले को अपनी बात में जैसे भी हो सके डटे रहना होता है.
'कॉलर' पकडने की बात कर बेहोश हुए कपिल मिश्रा
कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप भी धाराप्रवाह लगाये. जैसे सारे तथ्य और आंकड़े कंठस्थ हों - उनके आत्मविश्वास का तो कहना ही क्या. जब तक वो चुप नहीं हुए उनका एनर्जी लेवल देखते ही बन रहा था, जबकि डॉक्टरों ने दो दिन पहले ही उन्हें एडमिट होने की सलाह दे रखी थी. लेकिन आखिरी सीन में हाथ में चेक लिए वो बेहोश हो गये. हालांकि, कपिल ने पहले ही सरकारी अमले से अपील कर डाली थी कि जबरन उनका अनशन तुड़वाने की कोशिश न हो.
कपिल मिश्रा की प्रेस कांफ्रेंस का ये वीडियो जरा गौर से देखिये. केजरीवाल पर इल्जामात का ये आखिरी सीन है. बात करते करते कपिल मिश्रा चेक ऐसे दिखाते हैं कि कैमरा जूम करके ठीक से दिखा सके. कुछ ही सेकंड बाद कपिल खुद से बेकाबू हो जाते हैं. जैसे ही कपिल गिरने को होते हैं - आस पास के लोग उन्हें पकड़ लेते हैं. दिलचस्प बात ये है कि बेहोशी की हालत में भी कपिल अपना एक हाथ दूसरे हाथ से पकड़े रहते हैं.
शुरू शुरू में तो कपिल मिश्रा काफी संजीदे नजर आये लेकिन जैसे जैसे उनके आरोपों का अंबार बढ़ता गया - लगा जैसे उनका कद यूं ही घटता जा रहा हो.
आप का जवाबी चेक
कपिल मिश्रा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 35-35 करोड़ रुपये के दो चेक लहराये थे. जवाबी हमले में 70 करोड़ का चेक दिखा कर संजय सिंह ने दावा किया कि कैसे फर्जी चेक दिखाये जा रहे हैं.
कपिल की तरह संजय सिंह ने भी आरोपों को धाराप्रवाह खारिज किया, 'प्रधानमंत्री ने कहा था...आधी रात का काला सच...ढाई साल से आपकी सरकार है, आप कोई गड़बड़ी नहीं पकड़ पाए. प्रधानमंत्री जी, केजरीवाल को बदनाम करना बंद कीजिए. हमने चंदा लेने के सारे नियमों का पालन किया है. जो बीजेपी कहती थी, वही बात अब कपिल मिश्रा बोल रहे हैं. मनोज तिवारी भी इसी शिकायत के साथ पिछले दिनों चुनाव आयोग से मिले थे और AAP की मान्यता रद्द करने की मांग की थी.'
हालांकि, संजय सिंह का भी एक दावा खारिज हुआ. कपिल के साथ प्रेस कांफ्रेंस में बैठे एक शख्स जिसका नाम नील, उसे बीजेपी का कार्यकर्ता बताया था. बाद में नील ने उन्हें बीजेपी एजेंट साबित करने की चुनौती दे डाली और दावा किया कि वो आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं.
कपिल के इरादे
पहले सिर्फ कयास था कि केजरीवाल ने हीरो बनने का मौका गंवा दिया. अब कंफर्म है कि केजरीवाल ने वाकई एक बेहतरीन मौका गंवा दिया. केजरीवाल अगर कपिल के 'दो करोड़ कैश' बोलते ही ट्विटर पर इस्तीफा दे दिये होते तो एक तीर से कई निशाने कर चुके होते. संभव था उनके इस्तीफे का ट्वीट रीट्वीट के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी पीछे छोड़ चुका होता. आने वाले चुनावों में भी उनके पास कहने के तमाम ठोस बातें होतीं - तब ये भी हो सकता था कि गुजरात में मोदी को वैसी ही चुनौती दे सकते थे जैसा दिल्ली में 2015 में दिया था. खैर, ये तो रही कयासों की बात - अब तो खबरें ऐसी भी आने लगी हैं कि किस तरह केजरीवाल ने अपने खिलाफ तख्तापटक की एक गंभीर साजिश नाकाम कर दी है.
मीडिया रिपोर्टों को खंगालने पर मालूम होता है कि तख्तापलट की स्क्रिप्ट में कपिल मिश्रा और कुमार विश्वास के किरदार भी तय हो चुके थे. कामयाब होने पर कपिल मिश्रा दिल्ली के नये मुख्यमंत्री और कुमार विश्वास को आप का संयोजक बनना था.
खबर है कि साजिश के बारे में कपिल मिश्रा के दफ्तर में तैनात एक ओसडी ने केजरीवाल को बहुत पहले ही आगाह कर दिया था. फिर क्या था केजरीवाल अलर्ट हो गये और फटाफट फैसले लेते गये. कंफर्म करने के लिए केजरीवाल की मौजूदगी में एक विधायक ने कुमार विश्वास को फोन किया. बातचीत में विश्वास ने दावा किया कि नेतृत्व परिवर्तन से वो बस दो विधायक दूरे हैं. केजरीवाल, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकालने के बाद हुई किचकिच से बचना चाहते थे, इसलिए कुमार विश्वास से बात कर उन्हें मना लिया. राजस्थान प्रभारी बनाए गये विश्वास कपिल का साथ पहले ही छोड़ चुके थे.
यही वजह है कि टीम केजरीवाल कपिल की हर बात पर बीजेपी को टारगेट करने लगी. वैसे भी अरुणाचल से लेकर उत्तराखंड तक बीजेपी की सियासी चालें ऐसे आरोपों को यूं ही मजबूती दे देती हैं.
कपिल मिश्रा का ये कहना कि 'केजरीवाल को कॉलर पकड़कर तिहाड़ जेल भिजवाउंगा' तख्तापलट की बातों पर मुहर ही लगाता है. अव्वल तो कपिल मिश्रा होते कौन हैं जो वो केजरीवाल का कॉलर पकड़ कर तिहाड़ जेल ले जाते. आरोप चाहें जो लगाएं लेकिन कपिल मिश्रा को ये हक किसने दिया कि वो केजरीवाल के साथ ऐसा कोई सलूक करते. कपिल की इन बातों से तो वाकई लगता है कि वो मान कर चल रहे थे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अब ज्यादा दूर नहीं. वैसे सीएम बन जाने के बाद भी कपिल कर भी क्या पाते, दिल्ली पुलिस तो उनके अंडर में होती नहीं.
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