Karnataka Exit Poll : कर्नाटक में मोदी का जादू न चल पाने की ये रही वजह
इंडिया टुडे-एक्सिस एग्जिट पोल पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि ये मेरे अनुमान के बेहद नजदीक है. उनके चेहरे की खुशी और संतोष बता रहा है कि कर्नाटक चुनाव में कुछ ऐसा होने जा रहा है जो कांग्रेस और राहुल गांधी को राहत देगा.
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इंडिया टुडे-एक्सिस एग्जिट पोल के नतीजे पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि ये मेरे अनुमान के बेहद नजदीक है.
कर्नाटक चुनाव में वो होता दिख रहा है जिसकी बीजेपी की आंधी में कोई कल्पना नहीं कर रहा था. एक के बाद एक 21 राज्यों में सरकार चला रही बीजेपी के हाथ से यदि कर्नाटक छिटक जाता है तो वह न सिर्फ दक्षिण में मोदी-अमित शाह की मुहिम के लिए झटका होगा, बल्कि 2019 चुनाव के लिए नई रणनीति बनाने पर भी मजबूर करेगा.वहीं दूसरी तरफ यदि कांग्रेस को कर्नाटक में जीत के नजदीक पहुंचाती है तो इसका श्रेय सिद्धारमैया की राजनीतिक सूझबूझ को ही जाएगा. लेकिन इस जीत की सवारी करते हुए राहुल गांधी 2019 चुनाव की अपनी दावेदारी को और मजबूती से रख पाएंगे.
इंडिया टुडे-एक्सिस एग्जिट पोल
इंडिया टुडे - एक्सिस एग्जिट पोल का बारीकी से अध्ययन करने पर ये मिलता है :
कर्नाटक चुनाव में वोट शेयर %कांग्रेस 39%बीजेपी 35%जेडीएस+ 17%अन्य 9%वोट शेयर की बात करें तो ओपिनियन पोल में कांग्रेस के पक्ष में 36 फीसदी वोट दिख रहा था. जो एग्जिट पोल में तीन फीसदी बढ़कर 39 फीसदी हो गया है. जबकि बीजेपी जहां थी, वहीं है. सिर्फ गिरावट दर्ज हुई है जेडीएस के खाते में. जो 3 फीसदी गिरकर 20 से 17 फीसदी वोट शेयर पाते दिखाई दे रहे हैं.
क्या था, जो कांग्रेस के खाते में जाता दिख रहा है :
1. सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ नाराजगी (एंटी-इनकंबेंसी) न के बराबर थी.
2. कांग्रेस सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं जैसे, अन्न भाग्य योजना, भाग्यश्री योजना (मुफ्त गैस सिलेंडर), कई जगह वॉटर फिल्टर प्लांट लगाना, सिद्धारमैया के पक्ष में जाता दिखा.
3. जातियों का समीकरण : कांग्रेस को अल्पसंख्यकों (मुस्लिम और ईसाई) का समर्थन हासिल है. इसके अलावा कुर्बा (जिससे सिद्धारमैया आते हैं) और अनुसूचित जाति - जनजाति, जो कि कुल आबादी का 48 फीसदी हैं, का बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा है.
4. जबकि बीजेपी को लिंगायत, ब्राम्हण, जैन, ओबीसी, क्षत्रीय और मराठियों का समर्थन हासिल है, जो कि आबादी का 41 फीसदी है.
5. जेडीएस को वोकालिग्गा समुदाय का समर्थन मिला है, जो कि आबादी का 11 फीसदी हैं. जेडीएस सिर्फ वोकालिग्गा ही नहीं, युवाओं और किसानों में भी काफी लोकप्रिय है. हालांकि, इसका दायरा सेंट्रल कर्नाटक और मैसूर तक ही सीमित है.
सिद्धारमैया बनाम येद्दीयुरप्पा :
कर्नाटक ने इन दोनों ही नेताओं के शासन को आजमा लिया है. सिद्धारमैया को मोटे तौर पर राज्य में येद्दीयुरप्पा की तुलना में लोकप्रियता हासिल है. लेकिन मोदी के प्रचार से यहां कुछ बैलेंस बना है.
- राज्य की 222 में से 170 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है.
- बीजेपी के पास जितनी अभी सीटें, उसे बहुमत तक पहुंचने के लिए 70 फीसदी के रेट से सफलता हासिल करना होगी.
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