'लोगों से हजम नहीं होता एक महिला का अफसर बन जाना'
कर्नाटक के बेल्लारी जिले की एक महिला पुलिस सब-इंस्पेक्टर द्वारा हाल ही में अपनी नौकरी में महिलाओं को आने वाली दिक्कतों के बारे में लिखी फेसबुक पोस्ट वायरल हो गई है.
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महिलाएं कहीं भी हों उन्हें पुरुषवादी मानसिकता से जूझना ही पड़ता है. फिर चाहे वह घर हो या बाहर समाज में हर जगह उन्हें पुरुषों के अहम को झेलना पड़ता है. यहां तक कि लोगों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली पुलिस में भी कार्यरत महिलाएं खुद ही पुरुषवादी मानसिकता से सुरक्षित नहीं है.
ऐसी ही दिक्कतों से लंबे समय तक जूझने के बाद कर्नाटक की एक सब-इंस्पेक्टर गायत्री फरहान ने हाल ही में जब फेसबुक पर अपना ये दर्द बयां किया तो उनकी पोस्ट वायरल हो गई. अभी कुछ ही महीने पहले अपने पद से इस्तीफा देने वाली कर्नाटक की एक डीएसपी अनुपमा शिनॉय की फेसबुक पोस्ट भी काफी चर्चा में रही थी, जिसमें शिनॉय ने एक विधायक द्वारा उन्हें धमकाने का जिक्र किया था और बताया था कि महिलाओं के लिए देश के सिस्टम में काम करना कितना मुश्किल होता है.
अब गायत्री की फेसबुक पोस्ट भी उसी बात की तस्दीक करती है कि भारत में महिलाओं के लिए घर के बाहर निकलकर और पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ते हुए अपनी जगह बनाना कितना मुश्किल होता है. आइए जानें गायत्री ने क्या लिखा है अपनी फेसबुक पोस्ट में.
एक महिला सब-इंस्पेक्टर की फेसबुक पोस्ट क्यों हुई वायरलः
कर्नाटक के बेल्लारी जिले स्थित ब्रूस पेटे पुलिस स्टेशन में तैनात सब-इंस्पेक्टर गायत्री फरहान ने 26 जुलाई को अपडेट किए गए अपने फेसबुक स्टेट्स में लिखा, 'लोगों के लिए महिलाओं को अधिकारी के तौर स्वीकार कर पाना मुश्किल होता है. मैं इस बात को अपने करियर की शुरुआत से महसूस कर रही हूं. महिलाएं कड़ी मेहनत करती है लेकिन डिपार्मेंट के पुरुषों की तरह उनकी मेहनत को पहचान नहीं मिलती है. कभी-कभी कुछ घटनाओं ने मेरे आंखों में आंसू ला दिए लेकिन ये सोचकर कि ये मुझे कमजोर बना सकते हैं, उन आंसुओं को किसी के सामने दिखाया नहीं... मैं काबिलियत पर सवाल करने लगी. एक महिला के लिए समाज और प्रोफेशनल लाइफ में अपना अस्तित्व साबित करना मुश्किल है. आखिरकार ये वन मैन आर्मी है जो करो या मरो के सिद्धांत में यकीन रखती है.'
बेल्लारी की सब-इंस्पेक्टर गायत्री फरहान की फेसबुक पोस्ट वायरल हो गई है |
लेकिन मीडिया की नजर गायत्री की इस पोस्ट पर सोमवार यानी की 29 जुलाई को पड़ी. हालांकि बाद में गायत्री ने फेसबुक पर यह लिखते हुए सफाई दी कि, 'मैंने ये पोस्ट सामान्य तौर पर की है, कृपया इसे कोई रंग देने की कोशिश न करें.'
गायत्री ने अपनी वायरल हुई पोस्ट पर सफाई दी हैः
बेल्लारी की दूसरी महिला पुलिस ऑफिसर की पोस्ट हुई है वायरलः
गायत्री फरहान की फेसबुक पोस्ट को बेल्लारी की पूर्व डिप्टी एसपी अनुपमा शिनॉय ने लाइक किया है जिन्होंने जून में एक मंत्री से विवाद के बाद अपना पद छोड़ दिया था. शिनॉय उसके बाद फेसबुक पर सिर्फ तीन शब्द लिखे थे रिजाइंड ऐंड जॉबलेस J ‘ यानी कि ‘इस्तीफा देने के बाद बेरोजगार.’शिनॉय द्वारा फेसबुक पर लिखी ये बातें वायरल हो गई थीं.
कर्नाटक की पुलिस ऑफिसर अनुपमा शिनॉय की इस फेसबुक पोस्ट ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. अनुपमा का जनवरी में कर्नाटक के श्रम मंत्री परमेश्वर नायक की कॉल होल्ड पर रखने के लिए ट्रांसफर कर दिया गया था, बाद में अनुपमा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और फेसबुक पर लिखे उनके तीन शब्द के स्टेट्स ने तूफान खड़ा कर दिया था.
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एक मंत्री के साथ विवादों के बाद इस्तीफा देने वाली बेल्लारी की ही डिप्टी एसीपी अनुपमा शिनॉय की एफबी पोस्ट पर भी खूब हंगामा मचा था |
कर्नाटक में महिला-पुरुष दोनों का पुलिस में काम करना मुश्किल क्यों?
गायत्री और अनुपमा जैसी महिला पुलिस अफसरों के बारे में कहा जा सकता है कि उन्हें उनके महिला होने के कारण ही दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन ऐसा नहीं है कि कर्नाटक में सिर्फ महिलाएं ही पुलिस की नौकरी में परेशान हैं बल्कि पुरुष भी कोई बेहतर स्थिति में नहीं हैं.
जुलाई में एक हफ्ते के अंदर ही दो पुलिस अफसरों ने आत्महत्या कर ली थी. पहली घटना में चिक्कमंगलुरु के 34 वर्षीय ग्रामीण एसपी कलप्पा हांडीबाग ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस घटना के दो ही दिन बाद कोडागू जिले के 52 वर्षीय डीसीपी एमके गणपति ने भी छत के फंखे से लटककर अपनी जान दे दी थी.
कर्नाटक में महिला और पुरुष पुलिस अधिकारियों द्वारा खराब व्यवहार की शिकायतों या बढ़ती हुई आत्महत्या की घटनाएं वहां के पूरे पुलिस सिस्टम पर सवाल उठाता है कि आखिर वे कौन सी वजहें है जिनके कारण उन्हें ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है?
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