महाराष्ट्र से ज्यादा 'शिवसेनाएं' हैं पंजाब में!
शिवसेना (Shiv Sena) ने पटियाला में खालिस्तान विरोधी जुलूस (Anti Khalistan Rally) निकालने का ऐलान किया था. चौंकाने वाली बात ये है कि भाजपा, अकाली दल और कांग्रेस जैसी पार्टियों की मौजूदगी के बावजूद शिवसेना ने खालिस्तान विरोधी जुलूस निकाला. इस बारे में थोड़ा सा गूगल करने पर जानकारी मिली कि पंजाब में महाराष्ट्र से भी ज्यादा 'शिवसेनाएं' हैं.
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पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद से ही संभावना जताई जा रही थी कि राज्य में खालिस्तानी संगठनों का प्रभाव बढ़ जाएगा. और, पटियाला में मार्च निकालने को लेकर हिंदू संगठन और सिख संगठनों के बीच हुई झड़प ने इस पर मुहर लगा दी है. शिवसेना (बाल ठाकरे) की ओर से निकाले गए खालिस्तान विरोधी मार्च के जवाब में खालिस्तान समर्थक सिख संगठनों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई और तलवारें लहराई गईं. शिवसेना और सिख संगठनों में पटियाला में तनाव की स्थिति को देखते हुए फिलहाल कर्फ्यू की घोषणा कर दी गई है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 29 अप्रैल को खालिस्तान स्थापना दिवस मनाने का ऐलान किया था. जिसके जवाब में शिवसेना ने खालिस्तान विरोधी मार्च निकालने का ऐलान कर दिया था. वैसे, यहां चौंकाने वाली बात ये है कि भाजपा, अकाली दल और कांग्रेस जैसी पार्टियों की मौजूदगी के बावजूद पटियाला में शिवसेना ने खालिस्तान विरोधी मार्च निकाला. इस बारे में थोड़ा सा गूगल करने पर जानकारी मिली कि पंजाब में महाराष्ट्र से भी ज्यादा 'शिवसेनाएं' हैं. लेकिन, अहम सवाल ये है कि इन्हें बनाया किसने है?
खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 29 अप्रैल को खालिस्तान स्थापना दिवस मनाने का ऐलान किया था.
पंजाब में कितनी शिवसेना हैं?
देखा जाए, तो पंजाब में शिवसेना का कोई बड़ा राजनीतिक आधार नजर नहीं आता है. क्योंकि, राज्य में भाजपा, अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों की मौजूदगी बड़े स्तर पर है. इस स्थिति में शिवसेना के लिए राजनीतिक तौर पर पंजाब में कोई खास जमीन बची दिखाई नहीं पड़ती है. लेकिन, पंजाब शिवसेना के बारे में गूगल करने से पता चलता है कि राज्य में शिवसेना के नाम से 7 संगठन मौजूद हैं. शिवसेना (बाल ठाकरे), शिवसेना (हिंदुस्तान), ऑल इंडिया शिवसेना, ऑल इंडिया शिवसेना (राष्ट्रवादी), शिवसेना (शेर-ए-हिंद), शिवसेना पंजाब और शिवसेना (हिंद). इनमें से शिवसेना पंजाब को महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना से संबंधित आधिकारिक संगठन माना जाता है.
Punjab: Khalistani Terrorists attacked Anti-Khalistan march in #Patiala.Terrorists tried to hoist the Khalistani flag at Maa Kali Mandir.Arvind Kejriwal has successfully exported the #AAP Riots Model to Punjab.HINO & RINO to blame BJP for this too.https://t.co/VGHtT6zcZf pic.twitter.com/75Z9jeimYq
— Arun Pudur ?? (@arunpudur) April 29, 2022
शिवसेना से क्यों निकाले गए हरीश सिंगला?
शिवसेना (बाल ठाकरे) के अध्यक्ष हरीश सिंगला ने ही पटियाला में खालिस्तान विरोधी मार्च निकालने का ऐलान किया था. हरीश सिंगला की फेसबुक प्रोफाइल पर उनकी कई तस्वीरों में शिवसेना के पोस्टर पर उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे समेत शिवसेना के संजय राउत जैसे कई अन्य नेताओं की तस्वीरें दिखाई पड़ती हैं. खैर, पटियाला में हुई इस झड़प के बाद हरीश सिंगला को शिवसेना से निकाल दिया गया है. आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना पंजाब के अध्यक्ष योगराज शर्मा ने हरीश सिंगला को पार्टी से निकाले जाने की जानकारी साझा की है.
शिवसेना की ओर से की गई ये कार्रवाई सीधे तौर पर इशारा करती है कि पटियाला की घटना में सीधे तौर पर महाराष्ट्र वाली शिवसेना के ही शिवसैनिकों का हाथ था. पंजाब शिवसेना की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि शिवसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, युवा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदित्य ठाकरे और शिवसेना के राष्ट्रीय सचिव अनिल देसाई के आदेश पर हरीश सिंगला को पार्टी से बाहर निकालने का फैसला लिया गया है. हरीश सिंगला को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण शिवसेना से निष्कासित किया गया है.
This is from Punjab.Khalistanis with swords chanted Khalistan Zindabad.Stones were hurled and swords were brandished as two groups clashed in Patiala.The incident happened when the Shiv Sena was carrying out a march against Khalistani groups in Patiala. pic.twitter.com/sLj6iqDFyJ
— Anshul Saxena (@AskAnshul) April 29, 2022
पंजाब में चिंता बढ़ाने वाले हैं खालिस्तानी संगठन
वैसे, पंजाब में शिवसेना और खालिस्तान समर्थक सिख संगठनों के बीच झड़प की ये घटना आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार की चिंता बढ़ाने वाली कही जा सकती है. क्योंकि, पंजाब में इससे पहले कभी भी खुलेआम सड़कों पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे नहीं लगाए गए थे. सैकड़ों की संख्या में खालिस्तान समर्थकों ने कभी किसी हिंदू मंदिर पर हमला नहीं किया था. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जिस चौक के पास शिवसेना और खालिस्तान समर्थक सिख संगठन आपस में भिड़े थे. उसी के पास स्थित काली माता मंदिर पर सिख संगठनों ने पत्थरबाजी की. एनबीटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू सुरक्षा समिति के सदस्य राजेश केहर ने कहा कि शिवसेना का कार्यक्रम था. लेकिन, हमारे मंदिरों पर पथराव किया गया. मंदिर के अंदर आकर दुकानें तोड़ दी गईं.
पंजाब में खुलेआम खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले इन संगठनों और लोगों से निपटना सीएम भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती साबित होने वाला है. क्योंकि, पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल पर पूर्व आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने खालिस्तान समर्थकों से संबंध रखने के आरोप लगाए थे. कुमार विश्वास के इन आरोपों पर खूब हो-हल्ला मचा था. वहीं, अगर अब आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालों पर कार्रवाई नहीं करती है. तो, ये आम आदमी पार्टी पर लगे खालिस्तान समर्थक होने के आरोपों को मजबूती देगा. वहीं, अगर इन खालिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई की जाती है, तो पंजाब में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की संभावना भी बन सकती है.
No Fear of Law in Punjab : Khalistani mob doing Bhangra as Police fire in the air in Patiala video : pic.twitter.com/6vDOgnMaGA
— Live Adalat (@LiveAdalat) April 29, 2022
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