मोदी सरकार और ट्विटर के बीच मचा घमासान, जानिए इसके पीछे की वजह!
ट्विटर द्वारा बैन किए गए 250 अकाउंट्स में से कुछ को फिर से एक्टिव करने के बाद सरकार ने इसे लेकर नोटिस जारी किया था. इसी बीच ट्विटर इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर (इंडिया एवं साउथ एशिया) महिमा कौल का इस्तीफा देने की खबर आ गई. इस इस्तीफे को भारत सरकार और ट्विटर के बीच जारी अघोषित कोल्ड वॉर के तौर पर देखा जा रहा है.
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'अभिव्यक्ति की आजादी' को लेकर भारत में लंबे समय से हो-हल्ला मचा हुआ है. दुनियाभर में अभिव्यक्ति के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में 'ट्विटर' की बादशाहत कायम है. लेकिन, इन दिनों भारत में ट्विटर पर अभिव्यक्ति की आजादी को बनाए रखने का भारी दबाव है. इसे लेकर ही भारत सरकार और ट्विटर इंडिया के बीच लंबे समय से टकराव की स्थिति बनी हुई है. बीते हफ्ते में भारत सरकार ने ट्विटर से करीब 250 अकाउंट्स पर रोक लगाने को कहा था. इनमें से अधिकतर ट्विटर अकाउंट्स से आपत्तिजनक हैशटैग 'ModiPlanningFarmerGenocide' का इस्तेमाल किया गया था. सरकार का मानना था कि किसान आंदोलन के समर्थन की आड़ में कुछ लोग अपना एजेंडा चला रहे हैं. ट्विटर ने इस पर कार्रवाई करते हुए हैशटैग को हटा दिया था. इनमें से कई ट्विटर खाते 'आटोमेटेड बॉट माने जा रहे थे. जिनके जरिये किसान आंदोलन को लेकर गलत जानकारी और भड़काऊ सामग्री साझा की जा रही थी. हालांकि, ट्विटर ने इनमें से कुछ अकाउंट्स पर लगी रोक को 24 घंटे के अंदर ही फिर से हटा दिया था. हाल ही में सरकार की ओर से करीब 1200 अन्य ट्विटर खातों को प्रतिबंधित करने के लिए कहा गया था. सरकार ने आशंका जताई थी कि ये अकाउंट खालिस्तानी समर्थकों या पाकिस्तान द्वारा समर्थित हो लकते हैं. जिस पर ट्विटर ने अभी तक अमल नहीं किया है. माना जा रहा है कि ट्विटर इंडिया और भारत सरकार के बीच इसी पर घमासान मचा हुआ है. आइए जानते हैं कि आखिर ये पूरा माजरा है क्या?
ट्विटर ने नवंबर, 2020 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ट्विटर खाता अस्थायी रूप से बंद कर दिया था.
तो क्या यहां से हुई थी इसकी शुरुआत?
ट्विटर ने नवंबर, 2020 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ट्विटर खाता अस्थायी रूप से बंद कर दिया था. हालांकि, कुछ ही समय में इसे दोबारा शुरू कर दिया गया. इसे लेकर काफी बवाल मचा था. बीते माह ट्विटर अधिकारियों के साथ संसदीय समिति की एक बैठक के दौरान इस मामले पर सवाल उठाए गए थे. ट्विटर ने इसे एल्गोरिदम द्वारा कॉपीराइट इशू पाए जाने पर अपनी नीति के अनुसार कार्रवाई माना था. जिसे ट्विटर ने अनजाने में हुई गलती माना था. वहीं, ट्विटर का अपने प्लेटफॉर्म से सामग्री हटाने या खाते पर रोक लगाने का आधार क्या है, जिस पर कंपनी के प्रतिनिधियों ने कहा था कि वे ट्विटर को एक साफ-सुथरा (Healthy) प्लेटफॉर्म बनाना चाहते हैं. हालांकि, इस जवाब से समिति संतुष्ट नजर नहीं आई. ऐसे में माना जा सकता है कि भारत सरकार और ट्विटर इंडिया के बीच तनातनी की शुरुआत यही से शुरू हुई थी.
ट्विटर इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर का इस्तीफा
ट्विटर द्वारा बैन किए गए 250 अकाउंट्स में से कुछ को फिर से एक्टिव करने के बाद सरकार ने इसे लेकर नोटिस जारी किया था. इसी बीच ट्विटर इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर (इंडिया एवं साउथ एशिया) महिमा कौल का इस्तीफा देने की खबर आ गई. इस इस्तीफे को भारत सरकार और ट्विटर के बीच जारी अघोषित कोल्ड वॉर के तौर पर देखा जा रहा है. वैसे तो महिमा कौल ने इस्तीफे की वजह को निजी कारण बताया है. लेकिन, चर्चा है कि इसकी वजह ये अघोषित कोल्ड वॉर ही है. सरकार की ओर से जारी नोटिस और महिमा कौल का इस्तीफा भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं. हालांकि, महिमा कौल ने जनवरी में ही इस्तीफा दे दिया था.
26 जनवरी को दिल्ली में फैली अराजकता और हिंसा को भड़ाकाने के लिए उपद्रवियों ने ट्विटर का सहारा लिया था.
किसान आंदोलन की भूमिका
ट्विटर और भारत सरकार के बीच चल रही इस तनातनी का एक बड़ा कारण किसान आंदोलन भी है. 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा और अराजकता को फैलाने के लिए उपद्रवियों ने बड़ी संख्या में ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल किया था. लाइव वीडियो और तस्वीरों के जरिये अफवाह फैलाने की भरपूर कोशिशों के बीच दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. हिंसा और अराजकता के इन लाइव वीडियो को खालिस्तानी समर्थक और पाकिस्तान समर्थित कुछ ट्विटर खातों पर सीधा प्रसारण किया जा रहा था. इसी को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने ट्विटर से करीब 1200 अन्य ट्विटर खातों पर रोक लगाने का आदेश दिया था. जिसे ट्विटर द्वारा अभी तक माना नहीं गया है.
ट्विटर का जवाब बहुत अहम
केंद्र सरकार की ओर से ट्विटर को पाकिस्तानी और खालिस्तानी समर्थकों से संबंधित अकाउंट्स बंद करने के आदेश पर ट्विटर का जवाब बहुत अहम है. ट्विटर का मानना है कि इससे भारतीय कानून के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित हो सकती है. ट्विटर की ओर से कहा गया कि जानकारियों के खुले और मुक्त आदान-प्रदान का सकारात्मक वैश्विक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में ट्वीट को जारी रखना चाहिए. वहीं, ट्विटर ने सरकार के आदेश के बावजूद कुछ नए मीडिया समूहों, पत्रकारों, एक्टिविस्ट्स और राजनेताओं के अकाउंट पर रोक नहीं लगाई है. इस मामले पर ट्विटर की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से लगातार बातचीत की बात भी कही गई है.
अभिव्यक्ति की आजादी का कानून एक बड़ी भूमिका निभा रहा है.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मुख्य भूमिका
भारत सरकार द्वारा इन ट्विटर खातों को पाकिस्तान समर्थित या खालिस्तानी समर्थकों का बताया जा रहा है. देश तोड़ने की साजिश समेत कई अन्य चीजो को आधार मानकर इन पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं. वहीं, इसे लेकर ट्विटर कह रहा है कि भारतीय कानून के हिसाब से सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है. ऐसे में किसी के ट्वीट्स और खातों को बिना किसी वजह से बंद करना इसका हनन होगा. हालांकि, ट्विटर ने ये जाहिर नहीं किया है कि वो सरकार की ओर से दिए गए एकाउंट को बंद करेगा या नहीं. ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी यहां भी एक अहम खिलाड़ी साबित हो रही है.
भारत सरकार और ट्विटर के बीच जारी इस अघोषित कोल्ड वॉर का क्या हल निकलेगा. इसका फैसला आने वाला वक्त करेगा. अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर व्यापक बहसों का एक दौर फिर से शुरू हो गया है. ट्विटर इन खातों पर रोक लगाएगा या नही. सरकार इस फैसले को मानेगी या नहीं. इन तमाम बातों के बीच एक गौर करने वाली बात ये हैं कि WhatsApp का देसी वर्जन 'संदेश' आ चुका है. साथ ही ट्विटर का मुकाबला करने के लिए 'KOO' भी मैदान में है. सरकार के कई मंत्रियों ने इस पर खाता भी बना लिया है.
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