यूपी चुनाव टलने से किसे, कितना नफा-नुकसान होगा? 3 पहलू हैं इस बात के
यूपी चुनाव 2022 (UP Elections 2022) टलेंगे या नहीं, इसका फैसला चुनाव आयोग (EC) अपने अगले हफ्ते के उत्तर प्रदेश दौरे के बाद लेगा. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 टलने से किसे और कितना होगा फायदा-नुकसान? आइए 3 प्वाइंट्स में जानते हैं...
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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) की घोषणा से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सूबे में कोरोना की संभावित तीसरी लहर और ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रभाव को देखते हुए चिंता जताई है. हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि 'फरवरी में होने वाले चुनाव को एक-दो माह के लिए टाल दिया जाए, क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी.' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'जान है, तो जहान है' की लाइन पर चलते हुए अपनी बात चुनाव आयोग और पीएम नरेंद्र मोदी तक पहुंचाने की कोशिश की है. खैर, यूपी चुनाव 2022 टलेंगे या चुनाव होंगे, इसका फैसला चुनाव आयोग को ही लेना है. जिसके लिए चुनाव आयोग की टीम अगले हफ्ते उत्तर प्रदेश के हालातों की समीक्षा करने के लिए सूबे का दौरा करेगी. अगर विधानसभा चुनाव टलते हैं, तो नफा-नुकसान की बात भी होगी. आइए 3 प्वाइंट्स में जानते हैं कि यूपी चुनाव टलने से किसे और कितना होगा फायदा-नुकसान?
हाईकोर्ट ने अपील की है कि यूपी चुनाव को 1 या दो महीने के लिए टाल दें.
जनता की 'जान' का फायदा
इलाहाबाद हाईकोर्ट के कहा है कि 'जान है, तो जहान है.' हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि जिंदा रहेंगे, तो जीवन में केवल चुनाव ही नहीं और भी चीजों का आनंद उठाया जा सकता है. आम जनता के नजरिये से देखा जाए, तो ये उसके फायदे की बात ही कही जा सकती है. क्योंकि, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इसी साल उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का आयोजन किया गया था. जिसके बाद सूबे में हालात किस कदर बिगड़ गए थे, ये बात किसी से छिपी नही है. इतना तो माना ही जा सकता है कि 'जान है, तो जहान है' की बात हाईकोर्ट के जस्टिस ने कुछ सोच-समझकर ही कही होगी. कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता देखने के बाद जनता को अपनी जान प्यारी हो ही गई है.
भाजपा को लगेगा तगड़ा झटका
यूपी चुनाव 2022 के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार अपने दौरों के जरिये भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं. बीते अक्टूबर से लेकर अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 बार उत्तर प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. पूर्वांचल एक्सप्रेस वे और गंगा एक्सप्रेस वे के सहारे जहां पीएम नरेंद्र मोदी ने विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाया है. वहीं, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के जरिये 'भव्य काशी, दिव्य काशी' का सपना साकार कर हिंदुत्व को भी धार दी है. पीएम मोदी ने प्रयागराज में हुए नारी शक्ति कार्यक्रम में लाखों महिलाओं को विभिन्न योजनाओं की सौगात दी. सीएम योगी आदित्यनाथ समेत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे भाजपा के कई बड़े नेता पूरे उत्तर प्रदेश को मथने के लिए रथ यात्राएं निकाल रहे हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भाजपा ने अपने पक्ष में माहौल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है.
अगर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को चुनाव आयोग आगे के लिए टाल देता है, तो यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका कहा जाएगा. दरअसल, भाजपा के नेताओं ने उत्तर प्रदेश में पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित करने वाला आक्रामक कैंपेन चलाया है. इसके चलते बहुत हद तक भाजपा के पक्ष में माहौल बनता नजर भी आ रहा है. अगर अब तक हुए सियासी सर्वे की बात की जाए, तो योगी आदित्यनाथ अभी भी लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. तमाम मुद्दों के बाद भी योगी आदित्यनाथ और भाजपा की वापसी चुनावी सर्वे के हिसाब से तय मानी जा रही है. हालांकि, इन सर्वे पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है. इसके बावजूद भी भाजपा के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी जैसी चीजें जमीन पर नजर नहीं आ रही हैं.
विपक्ष को मिलेगा मजबूती के साथ खड़ा होने का मौका
यूपी विधानसभा चुनाव टाले जाते हैं, तो यह विपक्ष के लिए किसी करिश्मे से कम नहीं होगा. क्योंकि, इस दौरान अगर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते हैं, तो समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा समेत सभी विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ हमलावर हो जाएंगे. यूपी की सत्ता फिलहाल भाजपा के पास ही है, तो निश्चित तौर पर जवाबदेही सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा की ही होगी. इतना ही नहीं, बीते पांच सालों में विपक्षी दल योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा सके हैं. लेकिन, अयोध्या में बड़े सरकारी अधिकारियों और मेयर जैसे प्रभावशाली पदों पर बैठे लोगों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीन खरीदने के आरोपों पर सीएम योगी घिरते नजर आ रहे हैं.
हालांकि, इसमें सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ का संबंध नही है. लेकिन, कांग्रेस की ओर से इसे ऐसे ही पेश किया जा रहा है कि अयोध्या में जो हुआ, उनके संरक्षण में हुआ. अगर ये मामला और आगे बढ़ता है, तो भाजपा को नुकसान होगा. जिसका फायदा विपक्षी दलों को ही मिलेगा. अब तक के चुनावी दांव-पेंचों के जरिये विपक्षी दलों को अपनी ताकत का अंदाजा हो गया होगा. अगर विधानसभा चुनाव टलने से उनको और समय मिलता है, तो समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा समेत सभी सियासी दलों को अपने कमजोर समीकरणों को साधने का मौका मिल जाएगा. जो भाजपा के खिलाफ ही जाएगा.
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