केजरीवाल के 'बदलापुर' में कुमार विश्वास तो बस शुरुआती टारगेट हैं!
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) देश की राजनीति को बदलने आए थे. लेकिन, बहुसंख्यक राजनीति के फेर में इस कदर फंसे हैं कि खुद को बदलने में भी किसी तरह का परहेज नहीं कर रहे हैं. कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) और अलका लांबा के यहां पहुंची पंजाब पुलिस ने केजरीवाल की 'नई राजनीति' की ओर इशारा कर दिया है.
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अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने देश की राजनीति को बदलने का दावा किया था. लेकिन, हाल-फिलहाल में आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं. उससे स्पष्ट हो जाता है कि राजनीति को बदलने निकली आम आदमी पार्टी अब खुद ही बदल चुकी है. दरअसल, आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट कर पंजाब पुलिस के उनके घर पर हुई आवक की जानकारी दी है. इस ट्वीट में कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बिना पंजाब के सीएम भगवंत मान को सत्ता के बेजा इस्तेमाल के खिलाफ चेताया है. इस पूरे घटनाक्रम पर नजर डालें, तो साफ है कि पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल पर खालिस्तानी संगठनों से संबंध होने के आरोप का हिसाब करने के लिए कुमार विश्वास के घर पर पंजाब पुलिस ने दस्तक दी थी. आसान शब्दों में कहा जाए, तो केजरीवाल के 'बदलापुर' में कुमार विश्वास तो बस शुरुआती टार्गेट हैं!
पंजाब में मिली जीत ने अरविंद केजरीवाल की 2024 को लेकर पाली गईं उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं.
'वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे' वाली सोच हुई गायब
'वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे', कुछ साल पहले ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार की टैगलाइन हुआ करती थी. दिल्ली में उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाकर केंद्र की भाजपा सरकार ने अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ाने में कोई कसर नही छोड़ी थी. लेकिन, इन तमाम अड़चनों के बावजूद अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के तमाम नेता 'वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे' के नारे के साथ आगे बढ़ते रहे. इस मामले पर कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं. वैसे, बताना जरूरी है कि इससे पहले भाजपा के दो नेताओं तेजिंदर पाल सिंह बग्गा और नवीन जिंदल के खिलाफ भी पंजाब पुलिस ने केस दर्ज किया था.
लेकिन, कुमार विश्वास के मामले में अरविंद केजरीवाल किसी तरह का मौका देने की गुंजाइश नहीं रखना चाहते हैं. क्योंकि, भले ही कुमार विश्वास के खालिस्तान से जुड़े आरोपों का पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर न पड़ा हो. लेकिन, केजरीवाल भी जानते हैं कि कुमार विश्वास आगे भी पार्टी और उनके लिए मुश्किलें खड़ी करते रहेंगे. तो, उनसे निपटने के लिए 'मानहानि' का मुकदमा करने जैसा कानूनी रास्ता अपनाना कारगर नहीं होगा. वैसे भी पंजाब में सरकार के बाद परोक्ष रूप से ही सही पुलिस की कमान अरविंद केजरीवाल के हाथ में आ ही चुकी है. तो, दिल्ली के मुख्यमंत्री उसका इस्तेमाल करने से परहेज नहीं करेंगे. और, कुमार विश्वास के साथ केजरीवाल एक बार में ही मामला सेटल करने की ठान ली है.
सुबह-सुबह पंजाब पुलिस द्वार पर पधारी है।एक समय, मेरे द्वारा ही पार्टी में शामिल कराए गए @BhagwantMann को आगाह कर रहा हूँ कि तुम, दिल्ली में बैठे जिस आदमी को, पंजाब के लोगों की दी हुई ताक़त से खेलने दे रहे हो वो एक दिन तुम्हें व पंजाब को भी धोखा देगा।देश मेरी चेतावनी याद रखे??? pic.twitter.com/yDymGxL1gi
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) April 20, 2022
वैसे, पंजाब में 'अधिकारियों की मीटिंग' लेने वाले अरविंद केजरीवाल की इस 'नई राजनीति' के निशाने पर केवल कुमार विश्वास ही नही हैं. पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलने वाली कांग्रेस नेता अलका लांबा के घर पर भी पंजाब पुलिस ने पेशी का नोटिस चस्पा कर दिया है. वैसे, कुमार विश्वास और अलका लांबा में एक समानता ये भी है दोनों ही पूर्व में आम आदमी पार्टी के नेता रहे हैं. तो, इन पर निशाना साधा जाना चौंकाता नही है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत के साथ ही 'वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे' के नारे को अरविंद केजरीवाल की 'नई राजनीति' से बदलने की कवायद शुरू हो गई है. और, ये फिलहाल इन दोनों पर ही रूकती नजर नही आ रही है.
पंजाब पुलिस मेरे घर पहुँच चुकी है...
— Alka Lamba (@LambaAlka) April 20, 2022
2024 से पहले सुनाई देंगे 'बदलापुर' के कई किस्से
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में अप्रत्याशित जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का जोश सातवें आसमान पर है. भगवंत मान के पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के कुछ ही दिनों बाद अरविंद केजरीवाल ने उनके साथ गुजरात और हिमाचल प्रदेश में दस्तक दे दी थी. क्योंकि, इसी साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं. और, अरविंद केजरीवाल को पूरा भरोसा है कि दिल्ली में कम अधिकारों के बावजूद बनाई गई गई आम आदमी पार्टी की इमेज में एक राज्य के सीएम के तौर पर भगवंत मान कुछ न कुछ जोड़ेंगे ही. इसी वजह से अरविंद केजरीवाल अपनी हर चुनावी यात्रा पर भगवंत मान को 'जीत की ट्रॉफी' के तौर पर साथ रख रहे हैं. और, दिल्ली की तरह ही पंजाब से भी भ्रष्टाचार हटाने के दावों और मुफ्त योजनाओं के सहारे खुद को ब्रांड बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.
वैसे, इतना तो तय ही है कि अरविंद केजरीवाल 2024 के लिए खुद को पीएम नरेंद्र मोदी के सामने एक मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करना चाहते हैं. और, पंजाब में मिली जीत ने उनकी इस उम्मीद को पंख लगा दिए हैं. इस साल के आखिर में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अगर आम आदमी पार्टी अपने प्रदर्शन को कांग्रेस से थोड़ा सा भी बेहतर बना ले जाती है. तो, अगले साल होने वाले कुछ विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का ग्राफ बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले विपक्षी दलों के मोर्चे में अरविंद केजरीवाल खुलकर अपनी दावेदारी पेश कर सकेंगे. क्योंकि, तब तक उनके पास इन सियासी दलों को दिखाने के लिए अपना राजनीतिक आधार भी होगा.
और, अरविंद केजरीवाल ने इसके लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान ही अपनी इमेज को बदलते हुए खुद को हनुमान भक्त साबित कर दिया था. बहुसंख्यक आबादी की राजनीति को समझते हुए अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए केजरीवाल ने मुस्लिम समुदाय से ठीक उसी तरह परहेज करना शुरू कर दिया है, जैसा उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने किया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो आम आदमी पार्टी को मुस्लिम समुदाय का वोट चाहिए. लेकिन, अरविंद केजरीवाल उनके लिए खुलकर बोलने से बच रहे हैं. क्योंकि, इससे उनका बहुसंख्यक आबादी को साधने का समीकरण बिगड़ जाएगा. केजरीवाल अपनी इसी रणनीति पर आगे भी टिके रहेंगे. और, इस दौरान अगर किसी राज्य में कोई भी नेता अरविंद केजरीवाल की इमेज को नुकसान पहुंचाने वाला बयान देगा, तो उस पर पंजाब पुलिस की कार्रवाई का डंडा चलना तय है. देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब पुलिस की जद में नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी आते हैं क्या?
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