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Updated: 02 सितम्बर, 2015 03:41 PM
लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव
  @laluprasadrjd
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मोदी जी की बातों से चुनाव घोषणा से पहले ही हार जाने का भाव था. ध्यान रहे आत्ममुग्ध प्रधानमंत्रीजी! पद की गरिमा पद से बड़ी होती है.

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PM साहब, कद्र किरदार की होती है वरना कद मे तो साया भी इंसान से बड़ा होता है.

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बात करने से पूर्व आंकड़े समझ लेते तो अच्छा था. बिहार आंकड़ों की सारी परत खोलकर देख लेता है. नेतृत्व, विकास के बदले कई बोरी ‘मैं वाद’ छोड़ गए.

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हम 70 के दशक में अधिनायकवाद के खिलाफ एक साथ आये थे और आज भी इमरजेंसी वाले हालात हैं इसलिए साथ हैं. इतिहास पढ़िए या पूछिए आडवाणी जी के दिल से.

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जातिगत विषमता को खत्म करने की वकालत करना, सत्ता, संपत्ति, संसाधन में बराबर की हिस्सेदारी मांगना क्या जातिवाद है? समझ को व्यापक कीजिये मोदी जी!

फिर तो जंगलराज ही सही

मुद्दाविहीन भाजपा वालों ने नया जुमला गढ़ा है "जंगलराज". इनकी उच्च दर्शन की पीड़ा को समझा जा सकता है. दिक्कत इनकी मानसकिता के साथ है. एयर कंडीशंड कमरों में रहने वाले इन लोगों को वो सामाजिक न्यायप्रिय शासन जंगलराज दिखने लगता है, क्योंकि ये कुलीन लोग गांव-देहात को जंगल समझते है और गांवों में रहने वालों को "जंगली".

और जब गांव के दबे कुचले वर्ग का एक आदमी उनका शासक बन जाता है तो वो हो जाता है "जंगलराज". अगर गरीबों को अधिकार दिलाना जंगलराज है तो जंगलराज ही सही - "जब गरीबों को दिया आवाज, वो कहते है जंगलराज".

लेखक

लालू प्रसाद यादव लालू प्रसाद यादव @laluprasadrjd

लेखक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं.

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