तेजस्वी के लिए लालू को मिली तीसरी सजा से बड़ी चुनौती कुछ और है
तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद के लिए कानूनी लड़ाई तो लड़नी ही है, ताक में बैठे विरोधियों से अपने खानदानी वोट बैंक को भी बचाना है - ऊपर से 2019 से पहले चुनाव का डर, एक साथ मुश्किलें टूट पड़ी हैं.
-
Total Shares
लालू प्रसाद के लोगों को जिस बात का डर था, करीब करीब वैसा ही हो रहा है. चारा घोटाले में लालू प्रसाद को लगातार तीसरी सजा सुनाये जाने के बाद, आरजेडी को वक्त से पहले आम चुनाव कराये जाने की संभावना भी डराने लगी है.
लालू के विरासत सौंपने के बाद तेजस्वी ने आरजेडी की बागडोर संभालने की कोशिश तो की है, लेकिन वो चौतरफा चुनौतियों से घिरे नजर आ रहे हैं.
लालू को लगातार तीसरी सजा
तेजस्वी को लालू के लिए कानूनी लड़ाई तो लड़नी ही है - आरजेडी को एकजुट रखने के साथ ही समर्थकों का जोश भी बरकरार रखना है - और साथ ही साथ चुनाव की तैयारी भी करनी है.
तेजस्वी यादव राज्यपाल से मिलने के बाद मीडिया के सामने आये, उससे कुछ ही देर पहले रांची में में विशेष अदालत फैसला सुना चुकी थी. कुछ ही देर बाद अदालत की ओर से लालू प्रसाद को पांच साल जेल की सजा भी सुना दी गयी. चारा घोटाले में ये तीसरा मामला है. पहले मामले में पांच साल की सजा काट रहे लालू प्रसाद को, दो हफ्ते पहले ही साढ़े तीन साल की सजा चुनायी गयी थी - अब चाईबासा कोषागार केस में लालू को पांच साल की सजा और सुना दी गयी है. लालू को मिली अब तक की सजा को जोड़ें तो कुल साढ़े 13 साल की कैद की सजा सुनायी जा चुकी है.
चारा घोटाले में सजा की हैट्रिक...
लालू को मिली सजा पर तेजस्वी और आरजेडी के दूसरे नेताओं ने भी सजा के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात कही. लालू के जेल जाने के बाद तेजस्वी सहित तमाम नेताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमले तेज कर दिये हैं. आरजेडी के सीनियर नेता और पार्टी में लालू की आवाज माने जाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह का कहना रहा - 'हम पहले भी झटके झेल चुके हैं. अब हम दो स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे एक कानूनी और दूसरी लड़ाई सड़क पर लड़ी जाएगी.'
वैसे सजा सुनाये जाने के बाद आरजेडी नेताओं के सुर कुछ बदले नजर आये. इसकी एक वजह कोर्ट द्वारा तेजस्वी सहित पांच नेताओं को मिला अवमानना का नोटिस भी हो सकता है. देवघर केस में सजा के बाद फैसले पर आरजेडी नेताओं की टिप्पणी पर स्पेशल कोर्ट ने गंभीर रुख दिखाया था. स्पेशल कोर्ट के जज ने लालू के लिए सिफारिशी फोन आने की बात कही थी. बाद में खबरों में यूपी के दो अधिकारियों के नाम आने पर योगी सरकार ने जांच कराने की घोषणा कर दी थी.
मीडिया के सवालों के जवाब में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कहना रहा कि ये कोई अंतिम निर्णय नहीं है - और उनके सामने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का विकल्प खुला हुआ है. साथ ही, तेजस्वी ने ये भी बताया कि फरवरी में एक और केस में अदालत का फैसला आ सकता है.
सहानुभूति बटोरने की कोशिश
लालू का परिवार और आरजेडी नेता पहले तो सजा की अवधि को लेकर परेशान हुआ करते थे, अब उन्हें वक्त से पहले चुनाव की भी चिंता सताने लगी है. तेजस्वी सहित सारे नेता जनता की अदालत में खड़े होने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन लगता है अब उन्हें ये भी डर लगने लगा है कि विरोधी पार्टियां उनके खानदानी वोट बैंक पर भी कहीं धावा न बोल दें.
दलितों का मामला उछाल कर तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमले तेज कर दिये हैं. तेजस्वी ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सूबे में हो रहे दलितों पर अत्याचार को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा है.
बिहार में दलितों पर बढ़ते अत्याचार, बिगड़ती क़ानून व्यवस्था और दिन-प्रतिदिन हो रहे घोटालों को लेकर महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर ज़ुल्मी नीतीश सरकार को बर्खास्त करने की माँग की। pic.twitter.com/vW0IYtnEWH
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 24, 2018
तेजस्वी यादव एक तरफ लालू प्रसाद को पीड़ित बताकर लोगों की सहानुभूति उठाने की कोशिश कर रहे हैं तो समर्थकों का उत्साह बढ़ाये रखने के लिए लालू को बिहार के हीरो की तरह पेश कर रहे हैं. कानून व्यवस्था को लेकर तेजस्वी का कहना रहा कि लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है - और नीतीश सरकार लचर और लाचार लगने लगी है. तेजस्वी का दावा है कि लोगों में गुस्सा इसलिए है क्योंकि लोगों को लगता है कि जिसे वोट दिया वो कारागार में है और जिसे वोट नहीं मिला वो चोर दरवाजे से सरकार में है.
तेजस्वी ने कहा कि बिहार की जनता लालू को हीरो मानती है, जनता के लिए लालू आरोपी नहीं हैं. फिर तेजस्वी ने इल्जाम लगाया कि नीतीश कैबिनेट में कई दागी बैठे हुए हैं. नीतीश को लेकर तेजस्वी का आरोप है कि मुख्यमंत्री बार-बार दिल्ली बिहार के फायदे के लिए नहीं, बल्कि लालू को फंसाने की साजिश रच सकें, इसलिए जाते हैं.
चुनाव की चिंता और दूसरी चुनौतियां
लालू प्रसाद ने जेल जाने से पहले तेजस्वी को अपना वारिस घोषित जरूर कर दिया था लेकिन आरजेडी में नेतृत्व को लेकर कुछ कन्फ्यूजन जरूर बना हुआ था. फिर राबड़ी देवी ने मोर्चा संभाला और सीनियर नेताओं को बुलाकर मीटिंग की - लालू की गैरमौजूदगी में पार्टी नेताओं को अपने तरीके से इस बात के लिए भी तैयार करने की कोशिश की कि उन्हें तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने में मुश्किल न हो. इस मोर्च पर तेजस्वी काफी हद तक कामयाब भी नजर आ रहे हैं. मगर, बात सिर्फ इतनी होती तब तो.
तेजस्वी को लालू प्रसाद के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़नी है और अपने खानदानी वोट बैंक को भी बचाना है जिसमें सेंध लगाने की ताक में विरोधी बैठे हुए हैं. दलितों के लिए कुर्सी तोड़ देने जैसे तेजस्वी के बयान इसी रणनीति का हिस्सा हैं. तेजस्वी के भाई तेज प्रताप अभी भले ही ठंडे दिख रहे हों, लेकिन वो अपनेआप में एक बड़ी चुनौती हैं. उनको जैसे तैसे समझा बुझा कर मना भले लिया जाता हो, लेकिन उनकी भी अपनी महत्वाकांक्षा है. तेजस्वी जहां समझदार और गंभीर नजर आते हैं वहीं तेज प्रताप किसी बात की परवाह नहीं करते. आरजेडी समर्थकों का एक धड़ा तेज प्रताप में लालू की छवि देखता है. तेज प्रताप को नियंत्रित रखना भी तेजस्वी के लिए एक बड़ी चुनौती है. मुश्किल ये भी है कि खुद भी तेजस्वी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं - और यही वजह रही कि नीतीश कुमार को आरजेडी का हाथ छोड़ कर बीजेपी के साथ एनडीए में जाने का बहाना मिल गया.
अब तेजस्वी और आरजेडी नेताओं को चुनावी आहट से मुश्किलें और ज्यादा बढ़ती प्रतीत होने लगी हैं. लालू को तीसरी सजा मिलने के बाद उनके जेल से बाहर आने में देर होगी ये साफ साफ नजर आने लगा है.
तेजस्वी यादव ने 2019 का चुनाव वक्त से पहले कराये जाने की आशंका जतायी है. तेजस्वी यादव को लगता है कि इसी साल दिसंबर में विधानसभा चुनावों के साथ ही अगला लोक सभा चुनाव हो सकता है. तेजस्वी ने इसे सत्ता पक्ष के लोगों के बिहार दौरे से जोड़ कर देखा है. पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव के ताजा बिहार दौरे का जिक्र किया - और कहा, "नीतीश कुमार और भाजपा हर हाल में लोकसभा के साथ ही बिहार विधानसभा का चुनाव भी 2018 के अंत करा लेना चाहते हैं. इसी की ये सब पूरी तैयारी चल रही है. अभी भूपेंद्र यादव बिहार आए थे और आज मोहन भागवत भी बिहार में घूम रहे हैं."
इन्हें भी पढ़ें :
लालू के जेल जाने के बाद अब क्या होगा RJD में खेल?
आपकी राय