New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 फरवरी, 2021 01:14 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच तनाव अब खत्म हो चुका है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) पैंगोंग लेक से पीछे हट रही है. जल्द ही भारत और चीन के बीच 10वें राउंड की कॉर्प्स कमांडर लेवल की बैठक भी होनी है. इन सबके बीच चीन ने एक बार फिर से चालाकी भरी 'चाल' चल दी है. बीते साल गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प से गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई थी. चीन ने करीब 8 महीने बाद गलवान घाटी में हुई झड़प में अपने सैनिकों की मौत को स्वीकारा है. इसी के साथ चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो के जरिये भारतीय सेना पर इस झड़प का जिम्मेदार होने के आरोप लगाने की कोशिश की है. भारत की ओर से इस वीडियो पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया न देना दर्शाता है कि चीन की ओर से 'प्रॉक्सी वॉर' और 'प्रोपेगेंडा' की कोशिशों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. 10वें राउंड की कॉर्प्स कमांडर लेवल की बैठक से पहले भारत को दबाव में लेने की चीनी चाल असफल होती नजर आ रही है.

गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे.गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे.

जून, 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. गलवान घाटी में चीन को भारतीय सेना ने बहुत गहरा जख्म दिया था. इस घटना में चीन के करीब 50 सैनिकों के मरने का दावा किया जा रहा था. रूसी एजेंसी TASS ने भी 45 चीनी जवानों के मारे जाने की बात कही थी. चीन को गलवान में मिले जख्म का दर्द आंतरिक तौर पर बढ़ता जा रहा था. दरअसल, चीन पर गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या जारी करने को लेकर भारी दबाव था. इस दबाव का असर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर भी नजर आया. वह इस पर कुछ भी खुलकर कहने से बचते रहे. गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की मौत पर चीनी सरकार ने ऐसे किसी जानकारी से इनकार कर दिया था.

आखिरकार चीन ने स्वीकार किया कि उसके चार सैनिक इस हिंसक झड़प में मारे गए. लेकिन, चीन के इन सरकारी आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता हैं. हाल ही में बीबीसी के प्रसारण पर रोक लगाने वाला चीन अपने देश की खबरों को लेकर कितना असहज हो जाता है, ये उसकी बानगी है. चीनी मीडिया पर पूरी तरह से सरकार का हस्तक्षेप है और उसका एक-एक शब्द सरकार के हिसाब से ही तय होता है. इस स्थिति में केवल चार सैनिकों की मौत को स्वीकार करने वाले चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग के अनुसार, गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन ने तनाव को घटाने के लिए संयम बरता. चीन ने दोनों देश के बीच संबंध खराब न हों, इस वजह से सैनिकों के नाम नहीं बताए थे. लोगों को सच के बारे में जानना जरूरी था, इसलिए सच्चाई सामने आने में वक्त लगा. अगर कहा जाए कि चीन ने मजबूरी में सैनिकों के नाम लिए, तो गलत नहीं होगा. सवाल खड़े हो रहे हैं कि केवल चार सैनिकों की मौत का आधिकारिक आंकड़ा जारी करने में चीन को 8 महीने का वक्त क्यों लग गया.

भारत को निश्चित तौर पर सैनिकों के शहीद होने से एक बड़ा आघात लगा है. लेकिन, सेना के पराक्रम और शौर्य की वजह से चीन को जो जख्म मिला है, उसका दर्द इस वीडियो में साफ झलक रहा है. वीडियो के जरिये चीन ने खुद को 'पीड़ित' दिखाने की कोशिश की है. वीडियो के अनुसार, भारतीय सेना ने अवैध तरीके से गलवान घाटी में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा को पार किया था. जबकि, स्थिति इसके ठीक उलट थी. चीनी सेना पैंगोंग झील के आस-पास बड़ी संख्या में निर्माण कार्य कर रही थी. जिसे रोकते हुए भारतीय सेना ने पीएलए को शानदार सबक सिखाया. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से कई बार युद्ध लड़ने को लेकर तैयार रहने को कहा था. दोनों सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ था और तनाव की गंभीर स्थिति की खबरों से हर भारतीय हलकान था. लेकिन, भारत ने अपने कदम पीछे नहीं हटाए. अपनी ही धरती पर इस बार भारतीय सेना ने 'अंगद' की तरह पैर जमा दिया था. खुले तौर पर चीन को धमकी देते हुए भारत ने उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. भारत की मजबूत विदेश और रक्षा नीति ने इस मामले में अहम भूमिका निभाई है. भारत अब अपनी सीमा से जुड़े मामलों को लेकर अमेरिका जैसी महाशक्ति और संयुक्त राष्ट्र के पास नहीं भागता है. भारत ऐसे मामलों पर फैसला लेने के बाद अब केवल इन लोगों को अवगत करा देता है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत और चीन के बीच 10वें राउंड की कॉर्प्स कमांडर लेवल की बैठक में अब अन्य इलाकों और देपसांग का मुद्दा भी बातचीत में शामिल होगा.

नए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के नक्शे में अक्साई चिन को भारत का हिस्सा दिखाकर चीन को कड़ा संदेश पहले ही ही दे दिया था.नए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के नक्शे में अक्साई चिन को भारत का हिस्सा दिखाकर चीन को कड़ा संदेश पहले ही ही दे दिया था.

2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर भारत ने नए केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल लद्दाख के नक्शे में अक्साई चिन को भी भारत का हिस्सा दिखाकर कड़ा संदेश पहले ही ही दे दिया था. चीन की विस्तारवादी नीति भारत के परिप्रेक्ष्य में उसके लिए खतरनाक साबित हुई है. वहीं, कोरोना महामारी के दौरान 194 सदस्य देशों वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के एक प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया था. इस प्रस्ताव में कोरोना वायरस की शुरूआत कहां से हुई, इसकी जांच की जाएगी. भारत ने इस मामले पर अपना समर्थन जताकर चीन को कड़ा संदेश भेजा था. दुनिया भर में कोरोना महामारी के फैलने का आरोप चीन पर लगाया जा रहा है. वहीं, अब कोरोना को लेकर चीन के खिलाफ कई बड़े देश भी खड़े हो गए हैं. यह अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, लेकिन भारत को और मजबूती दे रहा है. पूर्वी लद्दाख में मुंह की खाने के बाद चीन के सामने सेना को लौटाने के अलावा विकल्प कम ही थे. भारत और भारतीय सेना ने चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर से लेकर अपनी जमीन पर जो घाव दिए हैं, वो काफी गहरे हैं. फिलहाल चीन को इससे उबरने में काफी वक्त लगेगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय