उड़ता पंजाब से बड़ा फायदा किसे - कांग्रेस, बीजेपी या आप को?
अनुराग कश्यप के मुकाबले बेहद कम वक्त में बोर्ड ने एक नई फिल्म क्रिएट कर दी है - मात्र 13 कट में. मानना पड़ेगा. सत्ता जब आस्था देती है तो तरकीबें आ ही जाती हैं.
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उड़ता पंजाब ने एक नयी धारणा को जन्म दिया है - कोई फिल्म भी दो सियासी दलों में गठबंधन करा सकती है? उड़ता पंजाब के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में अघोषित गठबंधन नजर आ रहा है. होता तो ये है कि आप जो मुद्दा उठाती है कांग्रेस उसमें भी विरोध का एलिमेंट खोज लेती है, लेकिन उड़ता पंजाब को लेकर सपोर्ट के अलावा उसके पास कोई रास्ता ही नहीं बच रहा.
त्रिकोणीय से द्विपक्षीय मुकाबला
पंजाब में अब तक त्रिकोणीय मुकाबले की बात चल रही थी, लेकिन फिलहाल ये द्विपक्षीय रूप अख्तियार कर लिया है. सेंसर बोर्ड के चीफ पहलाज निहलानी पर इल्जाम लगा कि वो बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं और इसी बात पर कांग्रेस और आप एक तरफ हो गये.
फिल्म को लेकर पहलाज निहलानी ने यहां तक आरोप लगाया है, "मैंने सुना है कि अनुराग कश्यप ने पंजाब की खराब छवि दिखाने के लिए आप से पैसा लिया है."
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वैसे पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का कहना है कि उन्हें 'उड़ता पंजाब' से कोई दिक्कत नहीं है. राहुल गांधी ने फिल्म का समर्थन किया है. राहुल ने फिर से कहा कहा है कि पंजाब ड्रग की समस्या से जूझ रहा है और फिल्म पर रोक से समस्या हल नहीं होगी.
पंजाब में बीजेपी सत्ता में हिस्सेदार है. कांग्रेस वापसी के लिए संघर्ष कर रही है - और आप मजबूत दावेदारी जता रही है.
फिल्म उड़ता पंजाब सिनेमा हॉल में कितना बिजनेस करती, ये तो नहीं मालूम लेकिन पहलाज निहलानी के इस कदम से अनुराग कश्यप की ऐसी कोई आशंका हो तो खत्म हो जानी चाहिए.
गजब है कामकाज
उड़ता पंजाब के लिए सेंसर बोर्ड ने जो 13 सुझाव दिये हैं उनमें एक डिस्क्लेमर भी है. बोर्ड ने इसे खुद लिख कर दिया भी है, ''फिल्म ड्रग्स के बढ़ते असर और इसके खिलाफ चल रही लड़ाई को दिखाती है. हम मानते हैं कि इसके लिए सरकार और पुलिस कोशिशें कर रही हैं. मगर ये लड़ाई लोगों के सहयोग के बिना नहीं जीती जा सकती.'' इसके साथ ही 'काल्पनिक कहानी' वाला डिस्क्लेमर भी चलाने को कहा गया है.
बाकी बातें अपनी जगह हैं, बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित ने भी पहलाज निहलानी के फैसले पर सवाल उठाया है. अशोक पंडित कहते हैं कि जब ट्रेलर पर कोई आपत्ति नहीं थी तो अब क्यों हो रही है. सही बात है, ट्रेलर में भी तो फिल्म का नाम है ही, लेकिन उसे बगैर किसी कट के रिलीज होने दिया गया.
ये सब नहीं चलेगा... |
मालूम नहीं क्यों, मगर, लगता है जैसे पहलाज निहलानी का मूड ठीक नहीं था - इसलिए वो साइनबोर्ड देख कर ही बिदक गये और उसे हटाने को कह दिया. साथ ही, फिल्म से पंजाब, जालंधर, चंडीगढ़, अमृतसर, तरनतारन, जशनपुरा, अबेसर, लुधियाना और मोगा को बैकग्राउंड और डायलॉग से भी हटाने को कहा है. फिल्म में 14 गालियों के अलावा वो सीन भी हटाने को कहा है जिसमें एक सरदार को खुजली करते दिखाया गया है.
जितनी मेहनत अनुराग कश्यप को फिल्म की एडिटिंग के लिए करनी पड़ी होगी - उसके मुकाबले बेहद कम वक्त में बोर्ड ने उसी में से एक नई फिल्म क्रिएट कर दी है - मात्र 13 कट में. मानना पड़ेगा. सत्ता जब आस्था देती है तो तरकीबें आ ही जाती हैं.
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लगता है सेंसर बोर्ड के भी कामकाज का तरीका अंग्रेजों के जमाने वाला ही है. फर्ज कीजिए बोर्ड को डिजिटल इंडिया के किसी प्रोजेक्ट में 'सेक्स' शब्द बैन करने का काम मिलता, फिर तो वो 'सेंसेक्स' से जुड़ी जानकारियां भी छुपा देता.
फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने बोर्ड के कामकाज पर अपने कॉलम में एक निजी अनुभव भी शेयर किया है. चौकसे लिखते हैं, "दशकों पूर्व मेरी बनाई ‘कन्हैया’ (ओलिवर ट्विस्ट) में अमजद खान बाथ टब में बैठी आशा सचदेव को समझाते हैं कि उस जैसे पेशेवर अपराधी से प्यार करना फिजूल है और जाते समय वे तौलिया उसकी ओर फेंक कर जाते हैं. कूपमंडूक सेंसर ने बाथटब की बातचीत हटा दी और तौलिया फेंकने का शॉट कायम रखा तो दृश्य का अर्थ यह हो गया कि अमजद खान आशा सचदेव के साथ हमबिस्तर होकर उसे तौलिया दे रहे हैं. इस तरह सरल दृश्य को सेन्सर ने अश्लील बना दिया."
साथ ही, चौकसे ने एक जरूरी सलाह भी दी है, "इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि सेंसर सदस्य को फिल्म विधा का ज्ञान होना चाहिए." हाल ही में लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को लेकर विवादित वीडियो बनाने वाले यूट्यूब के कॉमेडी चैनल एआईबी ने फिल्म 'उड़ता पंजाब' को लेकर अपने अंदाज में पोस्टर जारी किया है. इस पोस्टर में फिल्म का नाम 'उड़ता बीप' और रिलीज की तारीख लिखी है - 'शुभ मुहूर्त'.
एक संस्कारी पोस्टर... |
फायदे में कौन?
जब आम आदमी पार्टी ने पंजाब में चुनाव लड़ने का फैसला किया तो कुमार विश्वास ने सूबे में नशे को लेकर एक गीत लिखा. गीत में एक बच्ची की अपील तो बड़ी ही इमोशनल है, पर लगे हाथ बादल सरकार को सीधे सीधे टारगेट भी किया गया है. इस पर भी कड़ा एतराज जताया गया.
अभी न तो इस फिल्म के बिजनेस का अंदाजा लगाया जा सकता है और न ही इस बात का कि किसे इसका सियासी फायदा और नुकसान होगा क्योंकि ये इस बात पर निर्भर करता है कि चुनाव तक इसका कितना असर बरकरार रहेगा. वैसे बाद में जो भी फिलहाल तो इससे सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी पार्टी को ही होता नजर आ रहा है. जिस मुद्दे को आप नेता अरविंद केजरीवाल ने उठाया फिल्म के विवाद ने उसे आगे बढ़ा दिया है - जिसका वो अभी पूरा फायदा उठाएंगे.
2012 में राहुल गांधी ने एक बयान देकर तहलका मचा दिया था. एक युनिवर्सिटी की ओर से कराए गये एक अध्ययन के हवाले से राहुल गांधी ने कहा था, "पंजाब में 10 में से 7 युवक ड्रग की चपेट में हैं."
यानी जो मुद्दा राहुल गांधी ने उठाया उसे चुपके से केजरीवाल ने झटक लिया और अब कांग्रेस को उसके सुर में सुर मिलाने को मजबूर होना पड़ रहा है. अगर नुकसान की बात करें तो घाटे में बीजेपी ही लगती है. ये नुकसान भी शायद कम होता अगर पहलाज निहलानी ने रोड़े नहीं अटकाए होते.
श्रद्धा से सराबोर और भक्ति में आकंठ डुबकी लगाये पहलाज निहलानी को अंदाजा ही नहीं लगा कि उन्होंने बीजेपी को इतनी बड़ी चपत लगा दी. तमाम सफाई और खंडन के बावजूद बीजेपी को बैकफुट पर आना पड़ा है - और फिल्म का रिलीज टलने के साथ ही विवाद के लंबा खिंचने के भी इंतजाम हो गये हैं.
खैर, अब तो पहलाज निहलानी ने अपनी इकबाल-ए-आस्था भी जाहिर कर दी है, "मैं सवा सौ करोड़ में से ही एक हिंदुस्तानी हूं. मैं अपने प्रधानमंत्री का चमचा नहीं होऊंगा तो क्या इटली के प्रधानमंत्री का चमचा होऊंगा."
उड़ता पंजाब का थोड़ा असर सरहद पार भी पहुंच गया है. टीवी सीरियल 'ये हैं मोहब्बतें' के एक सीन पर पाकिस्तान की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की नियामक संस्था पेमरा ने 1 जून के एपिसोड में हीरो-हिरोइन के बीच अंतरंग दृश्य को 2015 के उनके ऑर्डिनेंस का उल्लंघन बताया है.
संभव है जल्द ही अनूप जलोटा का एक भजन इस रूप में सुनने को मिले - "एक भक्त की है अर्जी, खुदगर्ज की है गर्जी - आगे तुम्हारी मर्जी... जब वोट डालने निकलें..."
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