वामपंथी इकोसिस्टम के लिए The Kashmir Files हमेशा ही अश्लील और प्रोपेगेंडा फिल्म रहेगी
नादव लैपिड (Nadav Lapid) ने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में 'द कश्मीर फाइल्स' को प्रोपेगेंडा और वल्गर फिल्म करार दिया. जिसके बाद वामपंथियों (Leftist) और वोक कम्युनिटी (Woke) ने लैपिड की इस आपत्तिजनक टिप्पणी को हाथोंहाथ लिया. क्योंकि, ये उनके एजेंडा को सूट कर रही थी.
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इजरायली फिल्ममेकर नादव लैपिड ने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को प्रोपेगेंडा और वल्गर फिल्म करार दिया. नादव लैपिड की इस टिप्पणी पर विवाद छिड़ गया है. जहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक बड़ा वर्ग नादव लैपिड की टिप्पणी पर अपना गुस्सा जता रहा है. वहीं, वामपंथी इकोसिस्टम का बुद्धिजीवी वर्ग नादव लैपिड के बयान को 'अंतिम सत्य' के तौर पर पेश कर रहा है. वैसे, ये वही वामपंथी इकोसिस्टम है, जो अक्षय कुमार के देशभक्ति सिखाने पर बिलबिला जाता है. लेकिन, एक विदेशी फिल्ममेकर की बातों को हाथोंहाथ लेने को तैयार बैठा रहता है. आसान शब्दों में कहें, तो द कश्मीर फाइल्स ने वामपंथियों के चेहरे पर लगा नकाब को नोंचकर उन्हें सबके सामने नंगा कर दिया था. तो, वामपंथी इकोसिस्टम के लिए The Kashmir Files हमेशा ही अश्लील और प्रोपेगेंडा फिल्म रहेगी.
नादव लैपिड वो शख्स हैं, जो इजरायल को लेकर भी ऐसी ही बातें करने के लिए मशहूर हैं.
लैपिड को बुलाना किसकी गलती?
नादव लैपिड को आईएफएफआई में ज्यूरी का हेड बनाने का फैसला आईबी मंत्रालय के अधिकारियों और आईएफएफआई के आयोजकों की ओर से ही लिया गया था. तो, निश्चित रूप से इस मामले में आईबी मंत्रालय की जिम्मेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता है. संभव है कि इजरायली वेब सीरीज फौडा की स्क्रीनिंग की वजह से नादव लैपिड को भी आयोजकों ने 'इजरायली' मानकर बुलावा भेज दिया हो. लेकिन, जिस लैपिड ने खुद अपने देश के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहने में कोताही न बरती हो. उसे मंत्रालय ने किस आधार पर एक अंतरराष्ट्रीय मंच के लिए उपयुक्त मान लिया? वैसे, जब एक सरकारी मंच से अंतरराष्ट्रीय स्तर का कोई शख्स ऐसी बात कहता है, तो अपनेआप दूसरों के लिए विश्वनीय हो जाती है. अगर अनुराग ठाकुर कुछ नहीं कर सकते थे. तो, कम से कम नादव लैपिड को उसी अंतरराष्ट्रीय मंच से एक कड़ा जवाब दे सकते थे. लेकिन, उनसे ये भी नहीं हो पाया. जबकि, वो वहां मौजूद थे.
कांग्रेस समेत 'वोक' समुदाय के समर्थन पर चौंकना क्यों?
फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के रिलीज होने के बाद कांग्रेस समेत वोक कम्युनिटी और वामपंथी इकोसिस्टम ने इसे प्रोपेगेंडा फिल्म साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. और, अब फिर से कांग्रेस नादव लैपिड के बयान के समर्थन में उतर आई है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का कहना है कि 'पीएम मोदी, उनकी सरकार, भाजपा और दक्षिणपंथियों ने द कश्मीर फाइल्स का खूब प्रचार किया था. एक फिल्म जिसे आईएफएफआई ने नकार दिया. ज्यूरी हेड नादव लैपिड ने प्रोपेगेंडा और अश्लील फिल्म करार दिया और फिल्म फेस्टिवल के लिए अनुचित बताया.' वैसे, कांग्रेस के इस स्टैंड पर चौंकने की जरूरत महसूस नहीं होती है. क्योंकि, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को अंजाम देने वालों को तो कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री आवास में चाय-नाश्ते के लिए ही बुलाया जाता था.
PM Modi, his govt, BJP, the RW ecosystem feverishly promoted ‘The Kashmir Files’ A movie rejected by International Film Festival Of India. Jury Head Nadav Lapid called it ‘propaganda, vulgar movie - inappropriate for the film festival’.Hate gets called out, eventually pic.twitter.com/VJ5dFRKnaT
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) November 28, 2022
और, वामपंथी इकोसिस्टम से आने वाली 'वोक' कम्युनिटी को लेकर तो क्या ही कहा जाए. दरअसल, फिल्म द कश्मीर फाइल्स ने लोगों को कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन के उस नंगे सच से रूबरू करवाया था. जिसे इस वोक कम्युनिटी ने अब तक मुस्लिमों के उत्पीड़न, मानवाधिकार, मजहबी स्वतंत्रता जैसे भारी-भरकम शब्दों के नीचे दबा कर रखा था. इस वोक समुदाय के हिसाब से भारतीय सेना की खिल्ली उड़ाना उनका अधिकार है. और, ये पूरी निर्लज्जता से उसका बचाव करने भी उतर पड़ते हैं. आसान शब्दों में कहें, तो जो चीजें इनके एजेंडा को सूट करती हैं. ये वोक समुदाय उन्हें हाथोंहाथ लेता है. लेकिन, गिरिजा टिक्कू की मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा बलात्कार के बाद नृशंस हत्या और बीके गंजू की पत्नी को खून से सने चावल खिलाने वाले आतंकियों की सच्ची कहानी आसानी से इनके गले नहीं उतरती है.
The Toolkit gang is on! #TheKashmirFiles pic.twitter.com/QUWbgw7oto
— Dr. Syed Rizwan Ahmed (@Dr_RizwanAhmed) November 29, 2022
इजरायली राजदूत ने मांगी माफी
भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने नादव लैपिड की इस आपत्तिजनक टिप्पणी पर ट्विटर थ्रेड लिखा है. नाओर गिलोन ने कहा है कि 'लैपिड को शर्म आनी चाहिए. क्योंकि, उन्होंने अतिथि को भगवान मानने वाले भारत की परंपरा का अपमान किया है. मैं फिल्म विशेषज्ञ नहीं हूं. लेकिन, जानता हूं कि ऐतिहासिक घटनाओं का गहराई से अध्ययन किए बिना उनके बार में बोलना असंवेदनशील है. मेरी सलाह है. अपनी आलोचना करने की स्वतंत्रता का इस्तेमाल इजरायल में ही करें, जैसा आप पहले भी करते रहे हैं. लेकिन, अपनी कुंठा दूसरे देशों पर निकालने की जरूरत नहीं है. भारत और इजरायल के बीच की दोस्ती बहुत मजबूत है. और, आपके द्वारा किए गए नुकसान से बच जाएगी. एक मनुष्य के रूप में मुझे शर्म आती है. और, अपने मेजबानों से उस बुरे तरीके के लिए माफी मांगना चाहते हैं कि हमने उनकी उदारता और दोस्ती के बदले यह दिया है.'
An open letter to #NadavLapid following his criticism of #KashmirFiles. It’s not in Hebrew because I wanted our Indian brothers and sisters to be able to understand. It is also relatively long so I’ll give you the bottom line first. YOU SHOULD BE ASHAMED. Here’s why: pic.twitter.com/8YpSQGMXIR
— Naor Gilon (@NaorGilon) November 29, 2022
IFFI ज्यूरी ने लैपिड के बयान को बताया निजी
आईएफएफआई की ज्यूरी के अन्य सदस्यों ने नादव लैपिड के बयान से खुद को अलग कर लिया है. ज्यूरी के सदस्य सुदीप्तो सेन ने ज्यूरी बोर्ड का बयान ट्वीट किया है. सुदीप्तो सेन ने लिखा है कि 'आईएफएफआई के ज्यूरी हेड नादव लैपिड ने द कश्मीर फाइल्स के बारे में जो कुछ भी कहा है. वो उनका निजी विचार है. आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी ज्यूरी (जिनमें से एक को निजी कारणों से कहीं जाना पड़ा) सदस्यों ने कहीं भी अपनी पसंद या नापसंद का जिक्र नहीं किया. और, यही हमारा विचार है.'
#IFFI #IFFI2022 @nfdcindia @ianuragthakur pic.twitter.com/GBhtw0tH6C
— Sudipto SEN (@sudiptoSENtlm) November 28, 2022
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